रिहाई की कार्रवाई और कानूनी पृष्ठभूमि
उपलब्ध सूचना के अनुसार, समाजवादी पार्टी के दस बार के विधायक और पूर्व उत्तर प्रदेश मंत्री अजम खान को मंगलवार, 23 सितंबर 2025 को सिटापुर जिले के जेल से रिहा किया गया। उनका हिरासत में रहना कुल 23 महीने रहा, जिसके दौरान उन्होंने 79 आपराधिक मामलों में बंधक स्थिती झेली। विभिन्न अदालतों ने क्रमिक रूप से जमानत दे दी, जिसमें अलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी शामिल थे।
जेल प्रशासन ने बताया कि 72 मामलों में जमानत या रिहाई के आदेश प्राप्त हुए, जबकि शेष 7 मामलों में भी साक्षी अभियोजन ने रिहाई के पक्ष में सिफ़ारिश की। अंतिम मामला, जो रैम्पुर की सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन में 2020 में दर्ज हुआ था, धोखाधड़ी और उससे जुड़े आरोपों पर आधारित था। इस मामले में भी आल्हाबाद हाई कोर्ट ने 18 सितंबर को जमानत प्रदान कर दी।
रिहाई के समय, खां को काली कमरबंद और सफ़ेद कुर्ता‑पजामा में देखा गया, जबकि सुरक्षा बल ने जेल के बाहरी हिस्से में कड़ा पुख्ता इंतजाम किया हुआ था। उनके बेटे अब्दुल्ला और अदीब सहित सैकड़ों पार्टी कर्मचारियों ने सुबह से ही इंतजार किया था, जिससे जेल के द्वार से बाहर निकलते ही भीड़ का माहौल काबिले‑तारीफ़ था।

राजनीतिक प्रभाव और रैम्पुर में स्वागत
रिहाई के तुरंत बाद अजम खान अपने गृहनगर रैम्पुर की ओर रुख किया, जहाँ उनके समर्थकों ने फूलों की मालाओं और नारों से उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अनूप गुप्ता, मुरादाबाद सांसद रुची वीरा और जिला अध्यक्ष चंद्रपति यादव जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भी इस अवसर पर मौजूदगी दर्ज कराई।
अजम खान ने 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद उत्पन्न घृणा भाषण मामले से शुरू होकर कई अपराधों का सामना किया, जिसमें फर्जी रिपोर्ट लिखना, घृणा भाषण, धोखा और जमीन जब्ती के आरोप शामिल थे। उनके पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला को भी विभिन्न मामलों में दायर किया गया था, जिससे उनके परिवार को सार्वजनिक जांच और न्यायिक प्रक्रिया का सफर तय करना पड़ा।
समुदाय के भीतर उनकी स्थिति को देखते हुए, कई विश्लेषकों ने कहा है कि यह रिहाई समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक को मजबूती प्रदान कर सकती है। रैम्पुर में उनका राजनीतिक असर अब तक काबिले‑ध्यान रहा है; जलवायु परिवर्तन, विकासात्मक योजनाओं और सामाजिक कल्याण के मुद्दों में उनकी आवाज़ अक्सर सुनी जाती रही है।
भविष्य में अजम खान के राजनीतिक रोल पर विभिन्न पहलुओं से चर्चा जारी है। क्या वे अपने राजनीतिक करियर को फिर से पुनःस्थापित कर पाएंगे? क्या इस रिहाई से पार्टी की गठबंधन रणनीति में बदलाव आएगा? इन सवालों के जवाब अभी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन यह घटना यू.पी. की राजनीति में एक नई दिशा का संकेत दे सकती है।
- सिटापुर जेल से रिहाई के बाद तुरंत रैम्पुर पहुँचें।
- 79 मामलों में जमानत मिलने के बाद भी कानूनी चुनौती जारी है।
- समाजवादी पार्टी के भीतर उनका प्रमुख कलात्मक प्रभाव बना रहता है।
- रिहाई से पार्टी के मुस्लिम वोटर बेस को ऊर्जा मिलने की संभावना।