जब अवध एक्सप्रेस (ट्रेन नं. 19038) ने 12 अक्टूबर, 2025 को मुजफ्फरपुर जंक्शन (स्टेशन कोड MFP) पर अपना कोच क्रम उलट दिया, तो सैकड़ों यात्रियों को लगा कि ट्रेन के एसी कोच अनजाने में गायब हो गए। इंजन के पास सामान्यतः एसी कोच होते हैं, पर इस बार सभी एसी कोच ट्रेन के अंत में रखे गए, जिससे प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ा लोगों का मनोबल डगमगा गया।
घटना का विस्तृत विवरण
मुजफ्फरपुर जंक्शन पर ट्रेन लगभग 8:15 एएम पर प्लेटफ़ॉर्म 2 पर पहुँची, लेकिन नियत समय से 15 मिनट देरी के साथ। कोच परिवर्तन की घटनामुजफ्फरपुर जंक्शन के दौरान यात्रियों ने देखा कि इंजन के बगल में जनरल और स्लीपर कोच खड़े थे, जबकि एसी कोच पीछे छापे की तरह दिख रहे थे। एक यात्री ने कहा, "हम सब एसी कोच के आगे खड़े थे, लेकिन ट्रेन रुकने पर इंजन के पास जनरल और स्लीपर कोच देखकर घबरा गए".
भीड़ ने तुरंत पीछे की ओर धक्कों का झटका महसूस किया, और लगभग 10‑15 मिनट तक प्लेटफ़ॉर्म पर “स्टैम्पीड‑जैसी” स्थिति बनी रही। स्टेशन मास्टर ने स्थिति को संभालने के लिए कदम उठाए, लेकिन कई यात्रियों ने पहले ही अपने बुक किए हुए बर्थ्स को ढूँढने के लिए दोड़ लगाई थी।
अवध एक्सप्रेस की सामान्य कोच व्यवस्था
भारतीय रेलवे (Organization) के अनुसार, अवध एक्सप्रेस हर दिन बरौनी जंक्शन (बिहार) से बांद्रा टर्मिनस (मुंबई) तक 24 कोच वाले सेट में चलती है। मानक क्रम में एसी कोच (एसी 2‑टियर, एसी 3‑टियर, एसी प्रथम श्रेणी) को ट्रेन के आगे की ओर रखा जाता है, ताकि इकट्ठा गर्मी के कारण शीतलता बनी रहे। यह क्रम पश्चिमी रेलवे (Organization) के 28 मार्च 2025 के आधिकारिक अधिसूचना (WR/2025/3758) में भी स्पष्ट किया गया है।
इस क्रम में सामान्यतः इंजन‑पावर‑ब्रेक‑जेनरैटर कोच के बाद दो जनरल कोच, फिर पाँच स्लीपर कोच और अंत में एसी कोच आते हैं। एसी कोच को आगे रखने का उद्देश्य यात्रियों को यात्रा की शुरुआत में आरामदायक वातावरण देना है, जबकि स्लीपर और जनरल कोचों को बाद में रखा जाता है।

यात्रियों की तत्काल प्रतिक्रिया
कोच बदलने की सूचना न मिलने के कारण कई यात्रियों ने अपने बुकिंग कन्फ़र्मेशन की कागज़ी कॉपी निकाली, फिर मोबाइल पर NTES ऐप खोलकर कोच लिस्ट देखी। कुछ ने तुरंत स्टेशन के सूचना काउंटर पर जाकर पूछताछ की, जबकि अन्य ने सोशल मीडिया पर लाइव वीडियो अपलोड करके स्थिति को दर्शाया।
- लगभग 1,200 यात्रियों में से 300 से अधिक ने तत्काल सहायता की माँग की।
- कुछ अभिभावक ने चाइल्ड-ड्रेस (बाल सुरक्षा) को लेकर चिंता जताई, क्योंकि बच्चों के लिए एसी कोच ही सुरक्षित माना जाता है।
- स्टाफ के पास उपलब्ध सूचना बोर्ड पर वही पुरानी कोच क्रम प्रदर्शित था, जिससे भ्रम और बढ़ गया।
दुर्भाग्यवश, कई लोग तब तक पीछे की ओर नहीं पहुँच पाए जब तक ट्रेन पूरी तरह से लोड नहीं हो गई, और कुछ को अपने बुकिंग के अनुसार सही कोच नहीं मिल पाया।
रेल प्रबंधन की तत्काल कार्रवाई
इन घटनाओं के बाद, रविशंकर महतो, एरिया ऑफिसर ने सभी स्टेशन अधिकारियों को निर्देश दिया कि कोच परिवर्तन की जानकारी कम से कम 30 मिनट पहले सार्वजनिक सुनाई जाए। उन्होंने कहा, "हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में कोच व्यवस्था में कोई बदलाव होने पर यात्रियों को समय पर सूचना मिले।"
ईस्ट सेंट्रल रेलवे के जनरल मैनेजर शिव गुप्ता ने बाद में कहा कि इस प्रकार की त्रुटियों को घटाने के लिए डिजिटल बोर्ड और मोबाइल अलर्ट का प्रयोग बढ़ाया जाएगा। पश्चिमी रेलवे के जनरल मैनेजर अलोक कंसल ने भी सहयोगी कदमों का उल्लेख किया, खासकर बैकएंड सिस्टम में कोच क्रम अपडेट करने के लिए।
इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉरपोरेशन (IRCTC) ने तुरंत एक advisory जारी किया, जिसमें यात्रियों को आधिकारिक वेबसाइट, NTES ऐप या स्टेशन काउंटर से कोच क्रम जाँचने का सुझाव दिया गया। यह advisory 13 अक्टूबर को प्रकाशित हुआ और आज के बाद सभी प्रमुख ट्रेनों पर लागू हो गया।

भविष्य में संभावित सुधार और निष्कर्ष
कोच परिवर्तन जैसी असमान्य स्थितियाँ भारतीय रेलवे के 68,000 किमी नेटवर्क में अक्सर नहीं बल्कि विशेष परिस्थितियों में होती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि रीयल‑टाइम डेटा इंटेग्रेशन, AI‑संचालित कोच ट्रैकिंग और यात्रियों को मोबाइल एलेर्ट भेजने से इस समस्या को काफी हद तक रोका जा सकता है।
इसके अलावा, स्टेशन पर बड़े LED डिस्प्ले, ऑडियो अलर्ट और कैरियर‑स्पेसिफिक QR कोड का प्रयोग करने से यात्रियों को तुरंत सही कोच के बारे में जानकारी मिल सकेगी। यदि ये कदम लागू हों, तो अगले साल तक ऐसे “कोच उलटना” की घटनाएँ न्यूनतम रहने की संभावना है।
अंत में, यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि बड़े पैमाने पर चलने वाले रेल सिस्टम में सूचनात्मक पारदर्शिता अत्यंत जरूरी है। यात्रियों के पास सटीक जानकारी नहीं होने पर उत्पन्न हुई हलचल न केवल असुविधा पैदा करती है, बल्कि सुरक्षा जोखिम भी बढ़ा सकती है। आने वाले महीनों में भारतीय रेलवे के डिजिटल लोकरिडिंग प्रोजेक्ट के तहत इन पहलुओं को सुधारा जाएगा, उम्मीद है कि भविष्य में यात्रियों को ऐसी अनपेक्षित झंझटों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कोच परिवर्तन से कौन‑से यात्रियों को सबसे ज्यादा असर पड़ा?
एसी कोच में बुकिंग वाले प्रमुखतः मध्यम वर्गीय यात्रियों और वरिष्ठ नागरिकों को असुविधा हुई, क्योंकि उन्हें गर्मी के समय एसी वाले कोच की ही उम्मीद थी। सामान्य/स्लीपर कोच वाले यात्रियों को भी नई स्थिति के कारण अपना बर्थ ढूँढने में अतिरिक्त समय लगना पड़ा।
क्या इस घटना में सुरक्षा नियमों का उल्लंघन हुआ?
हां, रेलवे सुरक्षा विनियम के अनुसार स्टेशन मास्टर को कम से कम 30 मिनट पहले कोच परिवर्तन की घोषणा करनी होती है। इस बार वह समय सीमा पूरी नहीं हुई, जिससे कई यात्रियों को अचानक कोच बदलने की सूचना मिली।
IRCTC ने आगे क्या सलाह दी है?
IRCTC ने यात्रियों को सलाह दी कि वे यात्रा से पहले NTES मोबाइल एप, IRCTC की वेबसाइट या स्टेशन के सूचना काउंटर से कोच क्रम की जाँच कर लें। साथ ही, यदि किसी भी समय कोच परिवर्तन की सूचना मिले तो तुरंत स्टेशन स्टाफ से मदद मांगें।
भविष्य में इस तरह की समस्याओं को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?
रेलवे अब AI‑आधारित कोच ट्रैकिंग, रीयल‑टाइम मोबाइल अलर्ट और बड़े LED डिस्प्ले सिस्टम पर काम कर रहा है। साथ ही, एरिया ऑफिसर रविशंकर महतो ने सभी स्टेशनों पर कोच परिवर्तन की पूर्वसूचना जारी करने का आदेश दिया है।
टिप्पणि
Rashid Ali
अवध एक्सप्रेस की कोच उलटने की खबर सुनकर कई लोग दंग रहे। ट्रेन के एसी कोच अंत में रखे जाना आम नहीं है, इसलिए लोग तुरंत अपनी बुकिंग की जाँच करने लगे। कुछ यात्रियों ने मोबाइल ऐप से कोच क्रम देख कर हलचल को कम करने की कोशिश की। प्लेटफ़ॉर्म पर भीड़ और गड़बड़ी देखी गई, लेकिन स्टेशन स्टाफ ने तुरंत स्थिति को संभालने की कोशिश की। आशा है कि भविष्य में ऐसी अस्पष्ट बदलावों से बचा जाएगा।
Prince Naeem
कभी सोचते हैं कि ऐसी छोटी‑छोटी गड़बड़ियों में बड़ी सीख छिपी होती है। तकनीक के सही उपयोग से इस तरह की समस्याएँ कम हो सकती हैं।