बजट 2024: रेलवे का 'साधारण' यात्रियों पर ध्यान नहीं

बजट 2024: रेलवे का 'साधारण' यात्रियों पर ध्यान नहीं
द्वारा swapna hole पर 24.07.2024

बजट 2024: रेलवे का 'साधारण' यात्रियों पर ध्यान नहीं

भारतीय रेलवे, जो कभी साधारण जनता के परिवहन का प्रमुख साधन माना जाता था, अब अपने नए बजट 2024 में कुछ अलग प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इस बार रेलवे का सारा ध्यान बुलेट ट्रेन, समर्पित मालवहन कॉरिडोर और वर्ल्ड-क्लास स्टेशनों पर है। इस सब के कारण यह संसाधन उन परियोजनाओं की ओर मोड़ दिए गए हैं, जिनसे उच्च श्रेणी के यात्री और व्यापारी वर्ग को लाभ मिलेगा। लेकिन इस दौरान साधारण यात्रियों की जरूरतों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।

साधारण यात्रियों की अनदेखी

रेलवे का मुख्य उद्देश्य हमेशा से अधिकतम लोगों को सस्ते और सुरक्षित यात्रा का साधन उपलब्ध कराना रहा है। लेकिन समय के साथ यह उद्देश्य कहीं खो सा गया है। रोज़ाना उपनगरीय और लंबी दूरी की ट्रेनों में सफर करने वाले करोड़ों साधारण यात्रियों की कई समस्याएं हैं। उनके लिए सफर अब सरल और आरामदायक नहीं रहा है।

कई ट्रेनें समय पर नहीं चलतीं। उनके ठहराव और सीटिंग अरेंजमेंट में असुविधा होती है। और, सबसे महत्वपूर्ण बात, यात्रा के दौरान जो सुरक्षा कबायद होनी चाहिए, उसकी कमी खलती है। ये सारे पहलू उस समय और अदूरी हो जाते हैं जब रेलवे का पूरा ध्यान बुलेट ट्रेन और नई अत्याधुनिक सुविधाओं की ओर केंद्रित हो जाता है।

सुरक्षा की बढ़ी चिन्ताएं

रेलवे का दावा है कि उसने बिना मानवरहित फाटक वाली दुर्घटनाओं को कम करने के उपाय किए हैं। लेकिन तथ्य यह है कि साधारण यात्री ट्रेनों में सुरक्षा की स्थिति अभी भी बहुत चिंताजनक है। पटरी पर होने वाली चोरियों और लूट की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसके अलावा, पटरियों की नियमित मरम्मत और रखरखाव के अभाव में दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है।

रेलवे कर्मचारियों का भी कहना है कि जो साधारण ट्रेनों की सुरक्षा और आराम की जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें अक्सर उच्च श्रेणी की परियोजनाओं पर स्थानांतरित कर दिया जाता है। इससे साधारण यात्रियों की असुविधाएं और बढ़ जाती हैं।

यात्रा के दौरान आराम में कमी

साधारण यात्री ट्रेनों में यात्रा करना कभी सुविधाजनक रहा करता था, लेकिन आज यह बात नहीं कही जा सकती। यूरोप और अन्य देशों की रेलवे प्रणालियों के विपरीत, भारतीय ट्रेनों में अब भी आधारभूत सुविधाओं की कमी है। शौचालयों की नियमित सफाई नहीं होती, और बैठने की सीटें भी अधिकतर टूटी हुई या असुविधाजनक होती हैं। एयर कंडीशनर कोचों में भी बहुत से यात्रियों को खिड़कियों से आने वाली धूल और आवाज से परेशानी होती है।

रेलवे की बढ़ती आय का सवाल

भले ही रेलवे की आय में इजाफा हो रहा है, लेकिन वह इन कमाई का सही जगह उपयोग नहीं कर रहा है। बुलेट ट्रेन और अन्य उच्च-स्तरीय परियोजनाओं पर अरबों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन साधारण यात्रियों के लिए नए कोच या अतिरिक्त ट्रेनें नहीं चलाई जा रही हैं। रेलवे की प्राथमिकताओं की असल परीक्षण तब होती है जब साधारण यात्रियों के लिए की जाने वाली व्यवस्थाओं को देखा जाए।

अब समय आ गया है कि सरकार और रेलवे प्राधिकरण यह समझे कि साधारण यात्री भी उनके ढांचे में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनका ध्यान केवल उच्च-स्तरीय परियोजनाओं पर केंद्रित नहीं होना चाहिए, बल्कि उन साधारण यात्रियों की सुविधाओं और सुरक्षा पर भी देना होगा। ताकि सभी समाज के वर्गों के लिए यात्रा आरामदायक और सुरक्षित बनाई जा सके।