भारती एयरटेल ने मोबाइल टैरिफ में किया इजाफा
भारती एयरटेल ने 3 जुलाई से अपने मोबाइल टैरिफ में बदलाव किया है। इससे पहले रिलायंस जियो ने भी 27 जून को अपने टैरिफ में वृद्धि की थी। इस बदलावा का प्रमुख कारण टेलीकॉम उद्योग के वित्तीय स्वास्थ्य को स्थिर रखना है। एयरटेल का मानना है कि औसत प्रति उपयोगकर्ता राजस्व (एआरपीयू) ₹300 से अधिक होना चाहिए ताकि एक वित्तीय स्वस्थ व्यवसाय मॉडल बनाए रखा जा सके।
कितनी बढ़ी हैं दरें?
कंपनी ने अपने प्रीपेड और पोस्टपेड प्लान्स की दरों में 11% से 21% तक की वृद्धि की है। प्रीपेड प्लान्स की न्यूनतम दर अब ₹199 प्रति माह है, जो पहले ₹175 थी। पोस्टपेड प्लान्स की न्यूनतम दर ₹449 प्रति माह हो गई है, जो पहले ₹399 थी। सबसे ज्यादा वृद्धि वार्षिक और 56-दिवसीय वैलिडिटी प्लान्स में 20-21% की हुई है।
एयरटेल ने यह भी सुनिश्चित किया है कि एंट्री-लेवल प्लान्स पर प्रति दिन की बढ़त 70 पैसे से कम हो, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर उपभोक्ताओं पर कम दबाव पड़े।
5G प्लान्स पर विचार
हालांकि एयरटेल ने अपने 5G टैरिफ प्लान्स को अलग नहीं किया है, लेकिन रिलायंस जियो ने अपने उन प्लान्स में अनलिमिटेड 5G डेटा प्रदान करना शुरू कर दिया है जो 2GB डेटा प्रतिदिन या अधिक की पेशकश करते हैं। यह कदम 5G सेवाओं के मुद्रीकरण की दिशा में जियो का पहला कदम माना जा रहा है।
प्रतिद्वंद्वी कंपनियों पर असर
एयरटेल के टैरिफ बढ़ोतरी जियो से कम है। जियो ने अपने टैरिफ में 12% से 25% तक की वृद्धि की है। नया बदलाव दोनों कंपनियों के लिए 3 जुलाई से लागू हो जाएगा और इनके पैकेज में मुफ्त वॉयस कॉल्स और टेक्स्ट मैसेज शामिल रहेंगे।
भारतीय उपभोक्ताओं ने लंबी अवधि तक सस्ती मोबाइल सेवाओं का आनंद लिया है, लेकिन अब इन लगातार बढ़ते टैरिफ से उन पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं दोनों के लिए महंगाई के दबाव बढ़ा सकती है।
इस परिप्रेक्ष्य में, टेलीकॉम कंपनियों की यह आवश्यकता है कि वे वित्तीय मजबूती बनाए रखें ताकि वे अपने नेटवर्क को अपग्रेड कर सकें और बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकें।
उपभोक्ताओं के सामने चुनौतियाँ
इन बदलते टैरिफ दरों के बीच उपभोक्ताओं को यह सोचना होगा कि उन्हें कौन सा प्लान चुनना चाहिए जो उनकी जरूरतों के अनुकूल हो। एक तरफ, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने बजट के भीतर रहें, वहीं दूसरी और उन्हें अच्छी गुणवत्ता की सेवाएं मिलें।
इस बढ़त के प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखे जा सकते हैं जहां लोग पहले से ही सेवाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। औसत प्रति उपयोगकर्ता राजस्व के दिशा में यह कदम, हालांकि आवश्यक है, मगर उपभोक्ताओं के लिए एक नई चुनौती भी लाता है।
कोरोना महामारी और टैरिफ वृद्धि
महामारी के बाद के समय में, जहां लोग आर्थिक दबाव का सामना कर रहे हैं, वहां यह वृद्धि एक अतिरिक्त बोझ बन सकती है। इसके बावजूद, टेलीकॉम कंपनियां यह मानती हैं कि यह वृद्धि आवश्यक है ताकि वे लगातार अपने नेटवर्क और सेवाओं में सुधार कर सकें।
कुल मिलाकर, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कदम उपभोक्ताओं के लिए कैसे कार्य करता है और क्या वे इसके साथ संगठित हो पाते हैं या उनके लिए नए अवसरों की खोज करनी पड़ती है।