भारतीय फुटबॉल टीम के नए युग का आरंभ
भारतीय फुटबॉल में एक नया अध्याय शुरू हो गया है, जब 55 वर्षीय स्पेनिश कोच मनोलो मार्केज़ को भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम का मुख्य कोच नियुक्त किया गया है। मार्केज़ ने पहले हैदराबाद एफसी को ISL चैंपियनशिप में जीता था और वर्तमान में वह एफसी गोवा के कोच हैं।
ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) ने एक प्रेस रिलीज़ में उनकी नियुक्ति की घोषणा की। इसके तहत, 2024-25 सत्र के दौरान, मार्केज़ दोनों टीमें - भारतीय राष्ट्रीय टीम और एफसी गोवा - को कोचिंग देंगे। इसके बाद वे पूर्णकालिक रूप से राष्ट्रीय टीम के कोच का पद संभालेंगे। इस मौके पर AIFF के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने उनका स्वागत किया और एफसी गोवा को धन्यवाद दिया कि उन्होंने मार्केज़ को राष्ट्रीय सेवा के लिए रिहा किया।
मनोलो मार्केज़ की यात्रा
मनोलो मार्केज़ का स्पेन में एक विस्तृत कोचिंग करियर है। उन्होंने कई स्पेनिश क्लबों के लिए कोचिंग की है और वहीँ से उनकी योग्यता और अनुभव का धनी बन चुके हैं। भारत आने के बाद, उन्होंने हैदराबाद एफसी को 2021-22 ISL सीजन में उनकी पहली चैंपियनशिप दिलाई।
मार्केज़ की कोचिंग शैली खिलाड़ियों को उनके सर्वोत्तम प्रदर्शन तक पहुंचाने में सक्षम है। उनकी सबसे बड़ी ताकतों में से एक है युवाओं के साथ काम करने की उनकी क्षमता। उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों को विकसित करने और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में अद्वितीय कौशल दिखाया है।
चुनौतियाँ और अवसर
मार्केज़ की नई भूमिका में सबसे बड़ी चुनौती होगी दोनों टीमों के कोचिंग के बीच संतुलन बनाना। उन पर एक तरफ क्लब टीम एफसी गोवा की जिम्मेदारी है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय टीम की भी उम्मीदें और जरूरतें हैं। हालांकि, एफसी गोवा के सीईओ रवि पुस्कर का मानना है कि मार्केज़ की भारतीय संस्कृति और खिलाड़ियों की समझ उन्हें इस चुनौती को पार करने में मदद करेगी।
AIFF के अनुसार, “मार्केज़ की नियुक्ति भारतीय फुटबॉल के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उनका व्यापक अनुभव और सिद्धांतिक कोचिंग शैली भारतीय टीम के लिए एक मूल्यवान संपत्ति साबित होगी।”
इगोर स्तिमाक की विदाई और नई उम्मीदें
मार्केज़ की नियुक्ति से पहले, इगोर स्तिमाक ने भारतीय टीम को कोच किया था। उनके नेतृत्व में, टीम 2026 FIFA विश्व कप के लिए क्वालिफाई करने में असफल रही, जिसके परिणामस्वरूप उनकी बर्खास्तगी हुई। अब मार्केज़ से अपेक्षाएँ अधिक हैं कि वे राष्ट्रीय टीम को एक नई दिशा देंगे और उन्हें आने वाले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में सफलता दिलाएंगे।
मार्केज़ की नियुक्ति भारतीय फुटबॉल समुदाय में उत्साह का कारण बनी है। खिलाड़ियों, प्रशंसकों और प्रशासकों, सभी को उम्मीद है कि वे भारतीय फुटबॉल को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँगे।
आने वाले समय में, भारतीय फुटबॉल टीम पर निगाहें टिकाई जाएँगी कि वे मार्केज़ के नेतृत्व में कैसा प्रदर्शन करती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे कैसे दोहरी जिम्मेदारी निभाते हैं और क्या वे भारतीय फुटबॉल को उसका खोया हुआ गौरव वापस दिला सकते हैं।
टिप्पणि
Ron DeRegules
मनोलो का भारत में काम करना शुरू करना बहुत अच्छी बात है उन्होंने हैदराबाद को चैंपियन बनाया था और अब गोवा में भी अच्छा काम कर रहे हैं युवा खिलाड़ियों के साथ उनका तरीका बहुत अलग है जो भारतीय फुटबॉल के लिए बहुत जरूरी है अगर वो अपनी कोचिंग शैली को राष्ट्रीय टीम में लागू कर पाए तो हमें अच्छा नतीजा मिल सकता है अभी तक जितने विदेशी कोच आए हैं उनमें से कुछ तो बस अपने तरीके को थोपने में लगे रहे लेकिन मार्केज़ अलग हैं वो खिलाड़ियों को समझते हैं और उनकी जरूरतों के हिसाब से काम करते हैं इसलिए उनकी नियुक्ति से मुझे उम्मीद है कि भारतीय फुटबॉल का अगला पीढ़ी बहुत मजबूत होगा अगर उन्हें समय दिया जाए तो वो बहुत कुछ बदल सकते हैं और ये बदलाव बस टीम के प्रदर्शन तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे फुटबॉल संस्कृति में भी असर डालेगा ये एक बड़ा मोड़ है और मैं इसे ध्यान से देखूंगा
Manasi Tamboli
क्या तुमने कभी सोचा है कि जब हम एक विदेशी कोच को भारतीय टीम का कोच बनाते हैं तो क्या हम अपनी आत्मा को बेच रहे हैं जब हम अपने खिलाड़ियों को विदेशी तरीकों से बदलने को मजबूर करते हैं तो क्या हम अपनी खेल की पहचान को मिटा रहे हैं अगर हम अपने खिलाड़ियों को अपने अंदर की आवाज़ सुनने दें तो क्या होगा शायद वो अपने असली आत्मा के साथ खेलेंगे और जीतेंगे न कि किसी विदेशी विचार के निर्देश पर चलकर
Ashish Shrestha
मार्केज़ की नियुक्ति एक बड़ी गलती है। AIFF के अध्यक्ष के बयान में भी अस्पष्टता है। एक कोच दो टीमों के लिए एक साथ काम करेगा? यह व्यवहारिक रूप से असंभव है। एफसी गोवा के सीईओ का बयान भी बेमानी है। भारतीय संस्कृति की समझ का क्या रिश्ता है फुटबॉल के टैक्टिक्स के साथ? यह सब बातें बस एक धोखा है। जब तक हम अपने खिलाड़ियों को असली ट्रेनिंग नहीं देंगे तब तक कोई विदेशी कोच भी फायदा नहीं कर सकता।
Mallikarjun Choukimath
मनोलो मार्केज़ की नियुक्ति एक अनुभवी कलाकार के लिए एक विशाल कैनवास का आविष्कार है। यह केवल एक फुटबॉल टीम का नियुक्ति नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक संवाद का प्रारंभ है जहां यूरोपीय तर्कशक्ति और भारतीय भावनात्मकता का मिलन हो रहा है। इगोर स्तिमाक का अंत एक भौतिकवादी दृष्टिकोण का अंत था, जबकि मार्केज़ एक दार्शनिक उपाय है। उनकी योजनाएं न केवल खिलाड़ियों के शरीर को नहीं, बल्कि उनके मन को भी बदल देंगी। यह एक युगांतर है। हम अब केवल जीत के बारे में नहीं सोच रहे हैं, हम एक नए खेल के बारे में सोच रहे हैं।
Sitara Nair
ओह माय गॉड ये तो बहुत बढ़िया है!!! 😍🙏 मनोलो को देखकर लग रहा है जैसे एक अज्ञात जादूगर आ गया है जो हमारे खिलाड़ियों के अंदर की चमक निकाल देगा 💫 उन्होंने हैदराबाद को चैंपियन बनाया था और अब गोवा में भी अच्छा काम कर रहे हैं और ये दोनों टीमों के लिए एक साथ काम करना तो बहुत ही बहादुरी वाली बात है 🤩 मैं तो बस इंतज़ार कर रही हूँ कि जब भारतीय टीम अगले टूर्नामेंट में जीते तो मैं रोऊंगी 😭💖 ये नया युग शुरू हो रहा है और मैं इसमें हिस्सा बनने के लिए बहुत खुश हूँ 🙌❤️
Abhishek Abhishek
क्या आपने कभी सोचा कि अगर हम एक भारतीय कोच को नियुक्त करते तो क्या होता? क्या आपको लगता है कि एक विदेशी कोच ही भारतीय फुटबॉल को बचा सकता है? क्या हम अपने अपने लोगों पर भरोसा नहीं कर सकते? ये सब एक नए उपन्यास की तरह है जहां विदेशी ही हीरो हैं और हम बस दर्शक हैं।
Avinash Shukla
मुझे लगता है कि ये एक अच्छा मौका है। मार्केज़ ने भारत में काम करना शुरू किया है और उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। अगर हम उन्हें समय दें और उनके तरीके को समझें तो शायद हम एक नई नियति की ओर बढ़ रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि वो युवाओं को बहुत ज्यादा ध्यान देंगे। भारत में बहुत सारे युवा खिलाड़ी हैं जिनकी क्षमता बर्बाद हो रही है। अगर मार्केज़ उन्हें एक मौका दे सकते हैं तो ये बहुत बड़ी बात होगी। 🤝⚽
Harsh Bhatt
ये सब बकवास है। मार्केज़ को बस एक अच्छा रिज्यूमे चाहिए था। हैदराबाद की चैंपियनशिप को लेकर उन्होंने क्या किया? उनके खिलाड़ियों में से कितने नेशनल टीम के लिए चुने गए? जब तक भारतीय फुटबॉल में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बन जाता, तब तक कोई कोच भी कुछ नहीं कर सकता। ये सब बस एक धोखा है जिसे जनता को खुश रखने के लिए बनाया गया है।
dinesh singare
मार्केज़ को लगता है कि वो भारत के लिए एक सेवक हैं? बिल्कुल नहीं! वो अपना नाम बढ़ाना चाहते हैं। वो अपनी विदेशी पहचान का फायदा उठा रहे हैं। अगर वो असली नेता होते तो वो अपने देश में रहते और वहां के खिलाड़ियों को बढ़ाते। लेकिन नहीं, वो भारत आए हैं क्योंकि यहां उन्हें अधिक ध्यान मिल रहा है। ये सब एक नाटक है जिसका अंत एक बड़ी नाकामी के साथ होगा।
Priyanjit Ghosh
ओह भाई ये तो बहुत मज़ेदार है 😂 एक विदेशी कोच दो टीमों के लिए एक साथ काम करेगा? अगर वो गोवा में खेल रहे हैं तो राष्ट्रीय टीम के लिए वो कब आएंगे? जब वो अपनी बीच में एक ब्रेक लेंगे? 😆 अच्छा है कि वो अपने दिमाग को दोहरा रहे हैं वरना एक ही दिमाग से दो टीम चलाना तो बहुत मुश्किल होगा। लेकिन अगर वो असली में जानते हैं कि क्या करना है तो चलेगा। वरना ये सब बस एक बड़ा नाटक है।
Anuj Tripathi
मार्केज़ को देखकर लगता है कि भारतीय फुटबॉल के लिए एक नई शुरुआत हो रही है उन्होंने अपने काम से साबित कर दिया है कि वो युवाओं के साथ कैसे काम करते हैं और उन्हें आत्मविश्वास कैसे दिलाते हैं ये बहुत जरूरी है क्योंकि हमारे खिलाड़ियों को अक्सर खुद पर भरोसा नहीं होता अगर वो इसे राष्ट्रीय टीम में भी लागू कर दें तो हम बहुत आगे बढ़ सकते हैं बस एक बात है कि उन्हें समय देना होगा और अगर वो अपने तरीके को बदल नहीं देंगे तो ये बहुत अच्छा होगा
Hiru Samanto
मार्केज़ के आने से बहुत उत्साह है उन्होंने भारत में काम करके अच्छा नाम कमाया है और उनका तरीका बहुत अच्छा लगता है अगर वो युवाओं को ज्यादा मौका दे सकते हैं तो ये बहुत अच्छी बात होगी और अगर वो दोनों टीमों के बीच संतुलन बना पाएं तो ये बहुत बड़ी उपलब्धि होगी
Divya Anish
मार्केज़ की नियुक्ति एक ऐतिहासिक क्षण है। उनकी विश्लेषणात्मक शैली, युवा खिलाड़ियों के प्रति समर्पण, और भारतीय फुटबॉल के प्रति गहरी रुचि उन्हें एक असाधारण चयन बनाती है। इगोर स्तिमाक के अवसान के बाद, यह एक नई शुरुआत का प्रतीक है। उनके तकनीकी दृष्टिकोण, जो व्यावहारिक अनुभव और सैद्धांतिक गहराई का संगम है, भारतीय टीम के लिए एक अमूल्य संपत्ति होगी। अब यह देखना बाकी है कि कैसे उनकी दृष्टि भारतीय फुटबॉल की संरचना को गहराई से बदल देगी। यह एक युगांतर है, और हम इसके अंतर्गत जी रहे हैं।