चैत्र नवत्री 2025: अष्टमी कब? तिथियां, पूजन विधि और विशेषताएँ

चैत्र नवत्री 2025: अष्टमी कब? तिथियां, पूजन विधि और विशेषताएँ
द्वारा swapna hole पर 27.09.2025

चैत्र नवत्री 2025 की प्रमुख तिथियां और देवी‑देवता

विक्रम संवत के अनुसार नया साल शुरुआत होने के साथ ही चैत्र नवत्री 2025 ने 30 मार्च को घट्टस्थापना के साथ दुआ शुरुआत की। इस नौ‑दिवसीय उत्सव में प्रतिदिन एक अलग रूप की माँ दुर्गा की पूजा की जाती है।

  • प्रथम दिवस (30 मार्च) – शैलपुत्री: घट्टस्थापना और शैलपुत्री आरती से शुरू होता है।
  • दूसरा दिवस (31 मार्च) – ब्रह्मचारिनी: शुद्धता और तप के लिए विशेष व्रत रखा जाता है।
  • तीसरा दिवस (1 अप्रैल) – चंद्रघंटा: शोक शान्ति की प्रतीक, इस दिन सफेद वस्त्र पहनना अनिवार्य है।
  • चौथा दिवस (2 अप्रैल) – कूष्मांडा: स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का उत्सव, पीले रंग का वस्त्र चुनें।
  • पाँचवाँ दिवस (3 अप्रैल) – स्कंदमाता: शक्ति और शक्ति की स्तुति, रंग हरा।
  • छठा दिवस (4 अप्रैल) – कात्यायनी: साहस और विजय की पूजा, काले वस्त्र का प्रयोग।
  • सातवाँ दिवस (5 अप्रैल) – कालीरात्रि: अंधकार विदाई के लिए काली वस्त्र और काली मिर्च के मोती अर्पित।
  • आठवाँ दिवस (6 अप्रैल) – रामा नवमी के साथ दुर्गा अष्टमी, जिसमें महागौरी की पूजा प्रमुख है।
  • नौवाँ दिवस (7 अप्रैल) – दशमी: नवत्री पराना, सभी अष्टमी‑व्रत का समाप्ति।

हर दिन के साथ विभिन्न रंगों का चयन किया जाता है, जिससे पूजा की ऊर्जा और सौंदर्य दोनों बढ़ते हैं।

अष्टमी – दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व

अष्टमी, अर्थात् आठवाँ दिन, 5 अप्रैल 2025 को पड़ता है। इस दिन को दुर्गा अष्टमी कहा जाता है और विशेष रूप से माँ महागौरी की पूजन में किया जाता है। भक्त इस अवसर पर शुद्धता, शांति और आध्यात्मिक शोधन की कामना करते हैं।

महागौरी की पूजा में गणेश जी की आरती, धूप, कुमकुम, गुलाल और महागौरी के विशेष मंत्र दोहराए जाते हैं। इस दिन के लिए कई क्षेत्र में व्रती सुबह 6:12 बजे से 8:27 बजे के मुहूर्त में घट्टस्थापना को दोबारा स्मरण करते हैं।

पूजक लाल, नारंगी या पीले वस्त्र धारण करते हैं, क्योंकि ये रंग ऊर्जा और उन्नति को दर्शाते हैं। साथ ही, अष्टमी के बाद शुद्ध जल से स्नान, फल‑वक्ष और दान‑पुद्धि से मन को शांति मिलती है।

रामा नवमी (6 अप्रैल) भी इस दिन से जुड़ा है, जिससे दुर्गा पूजा और रामभक्ति का संगम बनता है। भक्त इस अवसर पर हनुमान चालीसा और रामायण का वार्ता करते हैं, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा दो गुना हो जाती है।

शरद नवत्री से भिन्न, चैत्र नवत्री वसंत ऋतु में आती है, जो पुनर्जनन, नई शुरुआत और प्रकृति के खिलने का प्रतीक है। शरद नवत्री के फल‑संतुलन और अन्न‑संकट के समय मनाया जाता है, जबकि चैत्र नवत्री में जीवन के नए चरण की शुरुआत का जश्न मनाया जाता है।

पूरे नवत्री के दौरान व्रत, विशेष प्रसाद, कथा‑सत्र और सामुदायिक मिलन होते हैं। महिलाएँ घरेलू कार्यों से हटकर मंदिर‑परिवार में सहयोग देती हैं, जबकि युवा वर्ग सामाजिक कार्य और जागरूकता अभियानों में भाग लेता है। इस प्रकार, चैत्र नवत्री न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकजुटता का भी मंच बनती है।

टिप्पणि

Srinivas Goteti
Srinivas Goteti

चैत्र नवरात्रि का ये विवरण बहुत स्पष्ट है। हर दिन के रंग और देवी के रूप का जिक्र अच्छा लगा। विशेषकर महागौरी की पूजा के लिए मुहूर्त का जिक्र बहुत उपयोगी है।

सितंबर 28, 2025 AT 00:33
Rin In
Rin In

अरे भाई!!! ये तो बिल्कुल सही है!!! अष्टमी पर लाल वस्त्र पहनना जरूरी है!!! और हाँ!!! हनुमान चालीसा के बाद रामायण पढ़ना जरूरी है!!! वरना बाप रे!!! ऊर्जा नहीं आएगी!!! 😱🔥

सितंबर 28, 2025 AT 18:10
michel john
michel john

ये सब बकवास है। रंगों के नियम? मुहूर्त? ये सब ब्राह्मणों का धोखा है। क्या तुम्हें पता है कि ये सब ब्रिटिश काल में बनाया गया था ताकि हिंदुओं को विभाजित रखा जा सके? अष्टमी को राम नवमी से जोड़ना? ये तो जानबूझकर फेक न्यूज़ है। असली धर्म तो आंतरिक शुद्धि है, न कि रंग और घट्ट की बातें।

सितंबर 28, 2025 AT 19:26
shagunthala ravi
shagunthala ravi

इस तरह के उत्सव हमें याद दिलाते हैं कि जीवन की शुरुआत हर बार नई होती है। ये नवरात्रि सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि आत्म-पुनर्जागरण का अवसर है। जब हम अपने अंदर के अंधकार को दूर करते हैं, तो बाहर का रंग भी बदल जाता है।

सितंबर 30, 2025 AT 01:00
Urvashi Dutta
Urvashi Dutta

इस लेख में बहुत सारी जानकारियाँ हैं, लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही। शरद नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि में अंतर सिर्फ ऋतु का नहीं है, बल्कि सामाजिक भूमिकाओं का भी है। शरद में अन्न की कमी के कारण व्रत अधिक गंभीर होता है, जबकि चैत्र में वसंत के आगमन के साथ यह जश्न का उत्सव बन जाता है। यहाँ तक कि घरेलू महिलाओं का सामाजिक योगदान भी अलग है - शरद में व्रत और विरह का भाव रहता है, चैत्र में उत्साह और सामुदायिक सहभागिता। ये सब एक सांस्कृतिक अर्थशास्त्र की तरह है।

अक्तूबर 1, 2025 AT 14:30
Rahul Alandkar
Rahul Alandkar

बहुत अच्छा लेख। मैंने कभी इतनी विस्तार से चैत्र नवरात्रि के बारे में नहीं पढ़ा था। खासकर रंगों के चयन का तर्क समझ में आया।

अक्तूबर 2, 2025 AT 00:16
Jai Ram
Jai Ram

अच्छा लगा! बस एक छोटी सी बात - आठवें दिन को राम नवमी के साथ जोड़ना सही है, लेकिन ये दोनों अलग-अलग तिथियाँ हैं। राम नवमी तो 6 अप्रैल को है, जबकि दुर्गा अष्टमी 5 अप्रैल को है। लेख में थोड़ा भ्रम है। अन्यथा बहुत अच्छा विवरण है 😊

अक्तूबर 2, 2025 AT 23:23
Vishal Kalawatia
Vishal Kalawatia

हाँ भाई, ये सब बकवास है। रंग पहनो, मंत्र दोहराओ, घट्ट लगाओ - लेकिन देश की अर्थव्यवस्था तो बर्बाद है! ये धर्म का नाम लेकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। असली शक्ति तो बैंक बैलेंस में है, न कि घट्ट में। जिन्होंने ये लेख लिखा है, उन्हें बताना है कि ये सब बेकार की बातें हैं।

अक्तूबर 3, 2025 AT 00:53
Kirandeep Bhullar
Kirandeep Bhullar

अगर हम ये सब रंग और व्रत अपनाते हैं, तो क्या हम अपने अंदर के भय को भी छुपा रहे हैं? क्या ये पूजा वास्तव में आत्म-शोधन है, या सिर्फ एक अनुष्ठानिक नकल? जब हम बाहरी रूपों को देखते हैं, तो अंदर की खालीपन को नजरअंदाज कर देते हैं।

अक्तूबर 3, 2025 AT 17:06
DIVYA JAGADISH
DIVYA JAGADISH

अष्टमी पर महागौरी की पूजा का विवरण बहुत स्पष्ट है।

अक्तूबर 5, 2025 AT 06:12
Amal Kiran
Amal Kiran

इतना लंबा लेख लिखकर क्या हुआ? कोई नया बात नहीं है। ये सब तो हर साल दोहराया जाता है। इतनी ऊर्जा क्यों बर्बाद कर रहे हो?

अक्तूबर 6, 2025 AT 09:04
abhinav anand
abhinav anand

मैंने इस लेख को धीरे से पढ़ा। रंगों के साथ जुड़े भावनात्मक अर्थ बहुत सुंदर हैं। शायद इसी तरह की सूक्ष्मताएँ हमें अपने संस्कृति को समझने में मदद करती हैं।

अक्तूबर 6, 2025 AT 18:43
Rinku Kumar
Rinku Kumar

वाह! बहुत ही विस्तृत और सटीक विवरण! आपने इतनी सावधानी से लिखा है कि लगता है जैसे आप वेदों के लेखक हैं। अगर ये लेख अंग्रेजी में होता, तो यूनेस्को इसे विश्व धरोहर घोषित कर देता।

अक्तूबर 8, 2025 AT 10:44
Pramod Lodha
Pramod Lodha

अगर आप चैत्र नवरात्रि में शामिल हो रहे हैं, तो बस एक बात याद रखें - आपका भाव ही सब कुछ है। रंग तो सिर्फ बाहरी चिह्न हैं। अगर आपका मन शांत है, तो हर दिन नवरात्रि है।

अक्तूबर 8, 2025 AT 22:09
Neha Kulkarni
Neha Kulkarni

मैं इस लेख को एक अध्ययन के रूप में देखती हूँ - यह एक सांस्कृतिक सिंटैक्स का अनुसंधान है, जहाँ रंग, तिथि और देवी के रूप एक एपिस्टेमोलॉजिकल फ्रेमवर्क का निर्माण करते हैं। चैत्र नवरात्रि एक सामाजिक कॉर्पोरा है जो आध्यात्मिकता को लौकिक अभ्यासों के माध्यम से व्यक्त करता है।

अक्तूबर 9, 2025 AT 22:17
Sini Balachandran
Sini Balachandran

क्या हम असली शक्ति को देवी के रूप में देखते हैं, या सिर्फ एक आर्केटाइप को जिसे हमने अपने भयों के लिए बनाया है? क्या हम अपने आप को देवी के साथ जोड़कर अपनी असहायता को छुपा रहे हैं?

अक्तूबर 11, 2025 AT 01:17
Sanjay Mishra
Sanjay Mishra

ये लेख तो जैसे एक रंगीन रागिनी है - हर दिन एक नया स्वर, हर रंग एक नया भाव! महागौरी के लिए लाल और पीला? ये तो बिल्कुल जलते हुए सूरज की तरह है! और अष्टमी पर काली मिर्च के मोती? भाई, ये तो अंधकार को जलाने की अग्नि है! इस तरह की शक्ति को कोई नहीं समझता - बस देखता है और चला जाता है!

अक्तूबर 11, 2025 AT 18:32
Ashish Perchani
Ashish Perchani

यह लेख विश्वसनीय, विस्तृत और अत्यंत वैज्ञानिक रूप से संरचित है। इसकी सटीकता और गहराई ने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया। यह एक ऐतिहासिक दस्तावेज की तरह है जिसे आज के समय में अपनाया जाना चाहिए।

अक्तूबर 12, 2025 AT 05:41

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