CBSE 10वीं रिजल्ट 2025: इस बार भी लड़कियों का जलवा
CBSE ने 2025 के 10वीं कक्षा के रिजल्ट जारी कर दिए हैं और इस बार भी नजारा कुछ जाना-पहचाना ही दिखा। CBSE 10वीं रिजल्ट में लड़कियाँ फिर से लड़कों पर भारी पड़ी हैं। इस साल लड़कियों का पास प्रतिशत 95% रहा, जो पिछले साल के मुकाबले थोड़ा सा बढ़ा है। वहीं, लड़कों का पास प्रतिशत 92.63% रहा, जो पिछले साल से हल्का सा कम है। दोनो की तुलना करें तो लड़कियों ने 2.37% की बढ़त के साथ बाज़ी मारी है।
दिलचस्प बात ये भी है कि ट्रांसजेंडर छात्रों का पास प्रतिशत भी 95% रहा, यानि वे भी इस रेस में किसी से कम नहीं रहे। परीक्षा का नतीजा देखकर लगता है कि इस बार भी बेटियाँ पीछे रहने वाली नहीं हैं और हर साल की तरह अपना प्रदर्शन सुधार रही हैं।
विदेशी स्कूलों ने बनाया इतिहास, टॉपर्स की लंबी लिस्ट
CBSE के अधीन विदेशी स्कूलों के छात्रों का रिजल्ट देखकर तो देश के कई स्कूल भी हैरान रह जाएंगे। यहाँ 98.57% छात्रों ने परीक्षा में सफलता पाई है। यानी 29,320 छात्रों ने कुल 29,745 में से परीक्षा क्लियर की। विदेशी स्कूलों के छात्रों ने बेहतरीन उदाहरण पेश करते हुए क्वालिटी एजुकेशन पर सवाल उठाया है।
अगर टॉपर्स की बात करें तो इस बार पूरे भारत में 1.99 लाख से अधिक छात्रों ने 90% या उससे ज्यादा अंक हासिल किए हैं। ये कुल विद्यार्थियों का 8.43% है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। ऐसे छात्रों ने न सिर्फ परिवार बल्कि स्कूल और समाज का भी नाम रोशन किया है।
क्षेत्रीय परिणामों में दिल्ली के छात्रों का प्रदर्शन भी शानदार रहा। यहाँ पास प्रतिशत 95.14% रहा। उत्तर प्रदेश भी पीछे नहीं है – यहाँ 95.24% छात्रों ने परीक्षा पास की। ये आंकड़े दिखाते हैं कि बड़े राज्यों के छात्र भी लगातार मेहनत कर रहे हैं और नंबर सुधारने की होड़ लगी हुई है।
परीक्षा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बच्चों को बधाई दी और कहा कि ‘एक परीक्षा किसी भी इंसान की पहचान नहीं होती’। उनका संदेश छात्रों के लिए प्रेरणादायक है, क्योंकि हर बच्चा अपने-अपने तरीके से खास है और परीक्षा ज़िंदगी का एक पड़ाव भर है।
CBSE ने रिजल्ट को लेकर पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराए हैं – जैसे कि cbse.gov.in, results.cbse.nic.in, Digilocker और Umang ऐप। इंटरनेट के दौर में अब रिजल्ट पाना भी पहले जितना मुश्किल नहीं रहा।
पीछे छूटने वाले छात्रों के लिए भी बोर्ड ने रि-एवालुएशन और कंपार्टमेंट एग्जाम जैसी सुविधाएँ दी हैं ताकि कोई भी बच्चा अपने सपनों से न चूके। बच्चों के चेहरे पर रिजल्ट का टेंशन साफ देखा जा सकता है, लेकिन ये नंबर ज़िंदगी की असली परीक्षा नहीं होती। मेहनत और आत्मविश्वास – यही आगे बढ़ने की सबसे बड़ी कुंजी है।
टिप्पणि
Mayank Aneja
लड़कियों का ये प्रदर्शन सिर्फ नंबरों का मसाला नहीं, बल्कि समाज के अंदर बदलाव का संकेत है। घरों में अब बेटियों को पढ़ाने का विश्वास है, और वो उस विश्वास को अपने प्रयासों से साबित कर रही हैं।
Vishal Bambha
ये सब बकवास है! लड़कियाँ ज्यादा पास हो रही हैं? तो क्या? इसका मतलब ये नहीं कि लड़के कम योग्य हैं। बस लड़कियों ने ज्यादा डिसिप्लिन दिखाया है। लड़कों को भी अपने आप को बेहतर बनाना होगा, बस रोने की बजाय!
Raghvendra Thakur
पढ़ाई नहीं, मेहनत जीतती है। लड़के या लड़कियाँ-ये सब बातें बेकार।
Vishal Raj
अगर आप देखें तो ये सिर्फ रिजल्ट नहीं, ये एक नए युग की शुरुआत है। बेटियाँ अब बस घर की चाबी नहीं, बल्कि भविष्य की चाबी हैं। और ये नंबर उनके दिमाग की चमक का प्रमाण हैं।
Reetika Roy
विदेशी स्कूलों का 98.57% पास रेट देखकर लगता है कि हमारे यहाँ की शिक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव की जरूरत है। गुणवत्ता और अनुशासन दोनों चाहिए।
Pritesh KUMAR Choudhury
बहुत अच्छा रिजल्ट है। 😊 लड़कियों का ये प्रदर्शन देश के लिए गर्व की बात है। और हाँ, ट्रांसजेंडर छात्रों का 95% पास रेट भी बहुत बड़ी बात है। ये सब एक साथ देखना चाहिए।
Mohit Sharda
मुझे लगता है कि ये सिर्फ लड़कियों और लड़कों की बात नहीं है। ये सारे बच्चों की मेहनत की कहानी है। जिन्होंने रात भर पढ़ाई की, जिन्होंने अपने घर के दबाव को झेला, जिन्होंने अपने डर को हराया-उन सबके लिए ये रिजल्ट एक जीत है।
Sanjay Bhandari
yrr ye sab toh bhi kya baat hai... par ek baat sach hai, girls abhi bhi zyada serious hain padhai me, boys toh bas phone pe hi time pass krte hain 😅
Mersal Suresh
यहाँ तक कि एक बोर्ड का रिजल्ट भी नियमित रूप से अपडेट नहीं होता। यह देश की शिक्षा व्यवस्था की वास्तविकता है। जब तक टीचर्स की भर्ती, बुनियादी ढांचे और मूल्यांकन प्रणाली में सुधार नहीं होगा, तब तक ये आंकड़े सिर्फ एक नाटक हैं।
Pal Tourism
dekho na yaar, 95% girls pass hui hai toh kya? matlab unke paas coaching hai, parents ka pressure hai, aur boys ka kya? unke paas toh bas ghar ka kaam hai. ye sab fake numbers hai. actual mein toh boys ke paas better thinking skills hai, bas exam format unke liye nahi hai. aur haan, digilocker pe result nahi nikla toh kya karega? CBSE ka server toh crash ho jata hai har saal!
Sunny Menia
इस रिजल्ट के पीछे कोई भी लड़का या लड़की नहीं है, सिर्फ एक नई पीढ़ी है जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रही है। हमें इसे एक बहस नहीं, बल्कि एक आंदोलन के रूप में देखना चाहिए।