जब India Meteorological Department (IMD) ने 6 अक्टूबर, 2025 को दिल्ली‑NCR के लिए येलो अलर्ट जारी किया, तो शहर के लोग हवा में बदलाव की ठंडी हवा महसूस करने लगे। चेतावनी में बताया गया कि तेज़ तापमान गिरावट, हल्की‑से‑मध्यम बारिश, थंडरस्टॉर्म और 30‑40 किमी/घंटा तक की तेज़ हवाएँ (गुस्तियों में 50 किमी/घंटा तक) होंगी। इस बारे में डॉ. रवींद्र कुमार, प्रमुख मौसम विज्ञानी, ने कहा – “पश्चिमी व्यवधान की हवा अब दिल्ली के ऊपर से गुजर रही है, इसलिए आज‑कल की अपेक्षा ठंडक ज्यादा महसूस होगी।”
आगामी मौसम चेतावनी का सारांश
इंडिया मीटिओरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने बताया कि 6 और 7 अक्टूबर दोनों को येलो अलर्ट रहेगा। यानी, शहर में बिखरी‑बिखरी बौछारें होंगी और बहु‑आवधि तक हवा तेज़ चलती रहेगी। अधिकतम तापमान 28‑30°C तक गिरने की संभावना है, जबकि रविवार को रिकॉर्ड 34.1°C से अचानक नीचे आएगा। न्यूनतम तापमान भी 20°C तक घट सकता है, जो सामान्य से 3‑4°C कम है।
विस्तृत पूर्वानुमान और तापमान परिवर्तन
पश्चिमी व्यवधान (जो इस वर्ष कई बार उतर चुका है) 6 अक्टूबर की सुबह से देर तक बरसात का कारण बनेगा। बारिश के मुख्य समय‑बिंदु दो‑तीन बार चक्रवाते रहेंगे, विशेषकर उत्तर‑पश्चिमी दिशा से आती हवा के कारण। हवा की गति 30‑40 किमी/घंटा तक रहेगी, कभी‑कभी 50 किमी/घंटा तक भी जीभ पर पानी ला सकती है।
- 6 अक्टूबर – हल्की‑से‑मध्यम बारिश, थंडरस्टॉर्म, तेज़ बवंडर।
- 7 अक्टूबर – दो‑तीन बारीक बौछारें, पूर्णतः बादलों वाला आकाश, वही हवा की गति।
- 8 अक्टूबर – बादलों में कमी, हल्की धूप की झलक।
- 9‑10 अक्टूबर – साफ़ आसमान, तापमान धीरे‑धीरे सामान्य पर लौटेगा।
इंस्टिट्यूट के अनुसार, इस मौसमी बदलाव के कारण नाइट‑टेम्परेचर 20°C तक गिर जाएगा, जो साल के इस समय में सबसे अधिक ठंडा है।

बारिश की मात्रा और इतेहासिक तुलना
सफ़दरजुंग मौसम स्टेशन (एक प्रमुख सेंटर) ने अब तक 5 अक्टूबर तक 51.8 mm की बारिश दर्ज की है। यह औसत अक्टूबर रेन (15.1 mm) से तीन गुना अधिक है। पिछले साल इसी अवधि में बारिश लगभग नहीं हुई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन प्रवाहों को आगे चलने दिया जाए तो कुल अक्टूबर बरसात 90‑100 mm तक पहुँच सकती है, जो पिछले पाँच वर्षों में सबसे अधिक होगी।
वास्तव में, 2025 का वर्ष भी बारिश में एतिहासिक रहा है—मई में 186.4 mm (सबसे अधिक), जून में 107.1 mm (+45 % सामान्य), जुलाई में 259.3 mm, अगस्त में 400.1 mm, और सितंबर में 136.1 mm। रेकॉर्ड कहता है कि यह लगातार वर्षाभर की उच्चवृष्टि का परिणाम है, और दिल्ली‑NCR को अब मौसमी बदलावों के लिए तैयार होना पड़ेगा।
प्रभावित क्षेत्र और स्थानीय प्रतिक्रियाएँ
नॉर्थ दिल्ली, नॉर्थ‑ईस्ट दिल्ली और दिल्ली‑NCR के आसपास के इलाकों में बाढ़ की आशंका बढ़ी है। कई स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों ने रिकवरी टीमें तैनात कर ली हैं और जलभराव को रोकने के लिए नालियों की सफाई कराई है। कुछ स्कूलों ने देर सुबह तक की कक्षाएँ रद्द कर दीं, जबकि बाजारों में भी कुछ स्टॉल बंद रहे।
स्थानीय दुकानदार, श्री अमित शर्मा, ने कहा – “बारिश के कारण आज‑कल की तरह भीड़भाड़ नहीं होगी, पर जलजमाव का डर रहेगा, इसलिए ग्राहक कम आएंगे।”
ट्रैफ़िक विभाग ने भी कहा कि बायडु कॉलेज, इंडिया गेट, और लोटस टेम्पल जैसी जगहों पर जलभराव के कारण वाहन आंदोलन में बाधा आ सकती है। इसलिए, लोगों को वैकल्पिक मार्ग अपनाने की सलाह दी गयी है।

भविष्य के लिए संभावित परिदृश्य
यदि पश्चिमी व्यवधान के बाद भी मौसम में किसी तरह का बदलाव नहीं आया, तो दिल्ली‑NCR को अगले दो‑तीन दिनों में हल्की‑से‑मध्यम बारिश के साथ ठंडी हवाओं का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौसमी बदलावों के कारण आज‑कल शहर में जल‑साठा (फ्लडिंग) की संभावना बढ़ेगी, इसलिए लोग अपने घरों की निचली मंजिलों को सुरक्षित रखने, इलेक्ट्रिक उपकरणों को ऊँचे स्थान पर रखने और आवश्यक प्री‑फर्स्ट एड किट तैयार रखने को कह रहे हैं।
एक और बात जो कई लोगों को हैरान करती है वह है कि इस साल का रेन पैटर्न असामान्य है, लेकिन यह भी दर्शाता है कि जल‑संरक्षण के उपायों को जल्द अपनाना आवश्यक है। शहर की नदियों और टैंक‑बोंड की क्षमता का पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है, और कई राष्ट्रीय स्तर के प्रोजेक्ट्स अब इस दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
यह अलर्ट दिल्ली के रहने वाले लोगों को कैसे प्रभावित करेगा?
येलो अलर्ट का मतलब है कि हल्की‑से‑मध्यम बारिश, तेज़ हवाएँ और थंडरस्टॉर्म होंगी, इसलिए रास्ते फिसलन भरे हो सकते हैं, जलभराव की आशंका रहती है और बाहर निकलते समय सावधानी बरतनी चाहिए। घर में पालतू जानवरों को अंदर रखना और ब्लीट्स (electric appliances) को ऊँचाई पर रखना बेहतर रहेगा।
पश्चिमी व्यवधान क्या है और इसका असर कब तक रहेगा?
पश्चिमी व्यवधान एक ठंडी वायुमंडलीय प्रणाली है जो मोनसून के बाद के महीनों में उत्तरी भारत में प्रवेश करती है। इस बार यह 6‑7 अक्टूबर तक सक्रिय रहेगा, और बाद में मौसम धीरे‑धीरे साफ़ होने की उम्मीद है।
बारिश के दौरान कौन‑से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं?
नॉर्थ दिल्ली, नॉर्थ‑ईस्ट दिल्ली और दिल्ली‑NCR के लो‑लेवल इलाके, विशेषकर लोटस टेम्पल, इंडिया गेट, और दिल्ली‑हवा महल के आसपास, जलभराव की संभावनाएं अधिक हैं। स्थानीय प्रशासन ने इन इलाकों में नालियों की सफ़ाई का काम तेज़ किया है।
भविष्य में ऐसी भारी बारिश से बचाव के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?
सरकार ने जल‑संरक्षण एवं बाढ़‑प्रबंधन के लिए नई नीतियों का प्रस्ताव किया है, जैसे निचले इलाकों में जल‑नालियों का विस्तार, टैंक‑बोंड की क्षमता बढ़ाना और शहरी नियोजन में बाढ़‑रोधी इमारतों को प्रोत्साहित करना।
टिप्पणि
Sweta Agarwal
ओह, येलो अलर्ट? मतवाला मौसम, बकवास।