G7 शिखर सम्मेलन में रिची सुनक की नीति पर सवाल
G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रिची सुनक ने उन आरोपों को खारिज किया है कि उन्हें अन्य वैश्विक नेताओं द्वारा निरस्तीकरण का सामना करना पड़ा है। इस सम्मेलन की शुरुआत एक असहज स्थिति के साथ हुई, जब इतालवी प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, जो सुनक के करीबी सहयोगी हैं, ने सुनक की भलाई को लेकर चिंता जाहिर की। एक वीडियो में मेलोनी को सुनक से पूछते हुए देखा गया कि क्या वह ठीक हैं।
रिची सुनक की कंजरवेटिव पार्टी वर्तमान में जनता के सर्वेक्षणों में लेबर पार्टी से 20 अंक पीछे है, जबकि मेलोनी की ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी ने यूरोपीय संसद चुनावों में महत्वपूर्ण वृद्धि हासिल की है। इसके बावजूद, सुनक और मेलोनी ने इंस्टाग्राम पर एक साझा पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने अपने साझा मूल्यों पर जोर दिया।
अनौपचारिक संवादों का महत्व
शिखर सम्मेलन के पहले दिन रिची सुनक की किसी भी नेता के साथ द्विपक्षीय बैठकें नहीं थी, लेकिन उन्होंने कई नेताओं के साथ अनौपचारिक बातचीत की। इन नेताओं में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ शामिल थे। उन्होंने इन मुलाकातों की महत्वपूर्णता पर प्रकाश डाला और बताया कि ऐसे आयोजनों में अनौपचारिक संवाद कितने अहम होते हैं।
आने वाले दिनों में रिची सुनक यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करेंगे। G7 जैसे वैश्विक मंचों पर इन बैठकों का विशेष महत्व होता है, जहां विभिन्न देशों के नेता न केवल औपचारिक वार्ताएं करते हैं, बल्कि सामान्य मुद्दों और अनौपचारिक चर्चाओं पर भी जोर देते हैं।
वैश्विक राजनीतिक चुनौतियाँ
रिची सुनक अकेले नहीं हैं जिनके सामने घरेलू राजनीति में चुनौतियां हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा जैसे अन्य नेता भी घरेलू राजनीतिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इन नेताओं की चुनौतियों से यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक राजनीति में स्थिरता और समर्थन बनाए रखना कितना कठिन हो सकता है।
इस तरह के सम्मेलन आपसी समझ बढ़ाने और संभावित सहयोग के साधन के रूप में कार्य करते हैं। यह बातचीत अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूती देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है, जिससे सभी देशों के लिए एक सहमति और भागीदारी का माहौल बनता है।
स्थानीय और वैश्विक नीतियों में संतुलन
रिची सुनक को अपने स्थानीय नीति लक्ष्यों और वैश्विक जिम्मेदारियों को संतुलित करने की चुनौती का सामना करना पड़ा है। ऐसे सम्मेलनों में आमतौर पर देशों के नेता आपसी संवाद और सहमति के माध्यम से विश्व मुद्दों का हल निकालने का प्रयास करते हैं।
सुनक का जोर था कि अनौपचारिक नगद बातचीतें, इन सम्मेलनों का एक प्रमुख हिस्सा होती हैं और वह उनके लिए अपनी स्थिति को स्पष्ट और मजबूत करने का अवसर होती हैं। समृद्ध और विवाद मुक्त संवाद के जरिये ये नेता अंततः अपने देशों के नागरिकों के लाभ और विकास को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं।
सारांश
रिची सुनक ने G7 शिखर सम्मेलन में अन्य नेताओं द्वारा 'निष्प्रभावी' किए जाने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने अनौपचारिक संवादों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और बताया कि ऐसे मंचों पर अनौपचारिक बैठकों से समान विचारधारा वाले नेताओं के साथ सहयोग बढ़ाने का मौका मिलता है।
टिप्पणि
SANJAY SARKAR
ये सब नेता एक दूसरे से बात कर रहे हैं, पर घर पर तो बिल्कुल भूल गए कि आम आदमी क्या चाहता है। बस इंस्टाग्राम पर पोस्ट डाल देना और सब कुछ समझ लेना, ये तो बहुत आसान हो गया।
Ankit gurawaria
अरे भाई, ये जो अनौपचारिक बातचीत हो रही है, वो तो असली राजनीति है! जब एक चाय की चुस्की में ज़ेलेंस्की और सुनक के बीच आँखों का मिलाप हो जाता है, तो उससे ज्यादा शक्तिशाली क्या हो सकता है? ये नहीं कि बैठकों के बारे में लिखा जाए, बल्कि उन लम्हों के बारे में जब एक नेता दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर कहता है, 'तू ठीक है न?' ये बातें ही दुनिया बदल देती हैं। जब तक हम सिर्फ ऑफिशियल स्टेटमेंट्स को ही असली बातचीत मानेंगे, तब तक हम राजनीति की जान नहीं समझ पाएंगे।
AnKur SinGh
यहाँ जो भी हो रहा है, वह एक वैश्विक संवाद का उदाहरण है - जहाँ व्यक्तिगत संबंध, अनौपचारिक आदान-प्रदान, और भावनात्मक समझ औपचारिक नीतियों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती हैं। जब एक नेता दूसरे के साथ एक छोटी सी बातचीत करता है, तो वह एक सामाजिक संधि बना रहा होता है, जो बाद में समझौतों के रूप में फलता-फूलता है। यह वही है जिसे हम 'डिप्लोमेसी' कहते हैं - न कि सिर्फ टेक्स्ट बॉक्स में लिखी गई बातें। इसलिए, जब कोई कहता है कि 'सुनक नीति निष्क्रिय है', तो वह बिल्कुल गलत है - वह बस उस गहराई को नहीं देख पा रहा है जो एक चाय के साथ शुरू होती है।
Sanjay Gupta
इतना धुंधला नेतृत्व... और फिर भी गेम चेंजर बनने की कोशिश? ब्रिटेन का कोई नेता अब अपने देश के लोगों के लिए नहीं, बल्कि G7 के फोटो शूट के लिए बना है। भारत के नेता तो घर पर लोगों को खिलाते हैं, ये लोग तो लोगों की फोटो खींचवाते हैं।
Kunal Mishra
क्या आपने कभी देखा है कि कैसे एक नेता की अनौपचारिकता उसकी नीतिगत असमर्थता की छलांग बन जाती है? ये बातचीतें नहीं, बल्कि बैठकों के बाद के स्टेटमेंट्स ही असली मापदंड हैं। और यहाँ तो सिर्फ एक इंस्टाग्राम पोस्ट और एक चाय की चुस्की - ये तो राजनीति का नाटक है।
Anish Kashyap
सुनक ठीक है या नहीं ये सवाल बिल्कुल जरूरी है और जो लोग इसे नज़रअंदाज़ कर रहे हैं वो असली राजनीति से दूर हैं
Poonguntan Cibi J U
मैंने तो देखा था जब मेलोनी ने उसे पूछा था कि क्या वह ठीक है... उसकी आँखों में डर था... और फिर उसने इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिया... लेकिन जब मैंने उसके असली बयान देखे, तो मुझे लगा कि वह बस एक बिल्ली की तरह चल रहा है - अंदर से टूटा हुआ, बाहर से शानदार। ये तो बस एक नाटक है... मैंने तो रो दिया था जब मैंने उस वीडियो को देखा। क्या कोई यहाँ सच में इसे समझता है?
Mayank Aneja
अनौपचारिक बातचीतों का महत्व अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, लेकिन वास्तव में, ये बातचीतें राजनीतिक विश्वास और सहयोग की नींव हैं। जब नेता एक-दूसरे के साथ बिना टेलीप्रोंप्टर के बात करते हैं, तो वे वास्तविक निर्णय लेने की क्षमता विकसित करते हैं। यह वही है जिसे 'डिप्लोमेटिक रिलेशनशिप' कहते हैं।
Vishal Bambha
अरे भाई, ये सब नेता अपने घर में तो लोगों को भूल गए, लेकिन यहाँ एक दूसरे के साथ चाय पी रहे हैं। ये तो असली जीत है! जब तक हम बस ट्वीट्स और प्रेस रिलीज़ पर ही नज़र रखेंगे, तब तक हम राजनीति की जान नहीं देख पाएंगे। ये बातचीतें ही भविष्य बनाती हैं - और ये बातचीतें बिना लिखे हुए होती हैं।
SANJAY SARKAR
हाँ, बिल्कुल सही कहा। मैंने भी देखा था वो वीडियो - जब मेलोनी ने उसे पूछा, 'तू ठीक है?'... उस लम्हे में सिर्फ एक इंसान दूसरे इंसान की चिंता कर रहा था। ये वो चीज़ है जो टेलीप्रोंप्टर पर नहीं लिखी जाती।