रिपोर्ट: swapna
बुधवार, 27 अगस्त 2025—कई शहरों में स्कूल की घंटी नहीं बजेगी, जुलूस निकलेंगे और घर-घर प्रसाद चढ़ेगा. वजह साफ है: गणेश चतुर्थी 2025 पर कई राज्यों ने स्कूल अवकाश घोषित कर दिया है, लेकिन पूरे देश में नियम एक जैसा नहीं है. कुछ जगहें पूरी तरह बंद रहेंगी, कुछ में सामान्य कक्षाएं चलेंगी.
त्योहार कब, कितने दिन और छुट्टी का नियम
गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025, बुधवार को है. यही दिन गणेशोत्सव की शुरुआत है, जो 10 दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन के साथ पूरा होता है. इस साल अनंत चतुर्दशी 5 सितंबर 2025 को पड़ने की संभावना है, इसलिए बड़े शहरों में उस दिन ट्रैफिक और कानून व्यवस्था को लेकर खास इंतजाम होते हैं.
यह राष्ट्रीय अवकाश नहीं है, इसलिए छुट्टी का फैसला राज्य सरकारें और स्थानीय शिक्षा विभाग लेते हैं. सरकारी स्कूल आमतौर पर राज्य की अधिसूचना का पालन करते हैं, जबकि निजी, CBSE और CISCE से जुड़े स्कूल भी उसी राज्य की छुट्टी सूची को ही आधार बनाते हैं. कुछ जिलों में “स्थानीय अवकाश” अलग से लागू किया जाता है—खासकर जहां बड़े सार्वजनिक पंडाल और जुलूस मार्ग पड़ते हैं.
यही वजह है कि पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों—जहां गणेशोत्सव बड़े पैमाने पर मनता है—में छुट्टियां ज्यादा स्पष्ट दिखती हैं. दूसरी तरफ, उत्तर और पूर्व के कई राज्यों में यह कामकाजी दिन रहता है, जब तक जिला प्रशासन या स्कूल प्रबंधन अलग से सूचना न जारी करे.
राज्यवार स्थिति: कहां स्कूल बंद, कहां खुले
अब तक जिन राज्यों ने 27 अगस्त 2025 (बुधवार) को स्कूल अवकाश की पुष्टि की है, वे नीचे दिए गए हैं. ये आदेश सरकारी और ज्यादातर निजी स्कूलों पर लागू होते हैं; कोई भी अंतिम स्थिति आपके स्कूल की आधिकारिक सूचना से ही मानी जाए.
- महाराष्ट्र: राज्यभर स्कूल बंद. गणेशोत्सव का मुख्य केंद्र होने के कारण परिवार और समुदाय दोनों स्तर पर व्यापक भागीदारी रहती है.
- आंध्र प्रदेश: विनायक चविथि पर अवकाश. मंदिरों और घरों में पारंपरिक पूजा होती है, कई जगह सामुदायिक कार्यक्रम भी.
- तेलंगाना: विनायक चविथि के लिए स्कूल बंद. हैदराबाद सहित बड़े शहरों में जुलूस और ट्रैफिक प्लानिंग पहले से तय होती है.
- कर्नाटक: वरसिद्धि विनायक व्रत के अवसर पर स्कूल अवकाश. बेंगलुरु, मैसूरु, हुब्बल्ली जैसे शहरों में सार्वजनिक पंडालों की संख्या हर साल बढ़ती है.
- गुजरात: राज्यभर स्कूल बंद. यहां कई जगह जैन समुदाय का पर्यूषण भी इसी अवधि में पड़ता है, इसलिए कुछ जिलों में ‘सम्वत्सरी’ के आसपास अलग तिथियों पर भी छुट्टियां दिख सकती हैं.
- मध्य प्रदेश: राज्य सरकार ने स्कूल अवकाश की पुष्टि की है. भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसे शहरों में सार्वजनिक स्थापना और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं.
- गोवा: ‘चवथ’ के नाम से लोकप्रिय इस त्योहार पर स्कूल बंद. गांवों में पारंपरिक सजावट और सामुदायिक पूजा मुख्य आकर्षण रहती है.
इन राज्यों के अलावा, देश के बाकी हिस्सों में स्थिति अलग-अलग रहेगी. उत्तर, पूर्व और कई उत्तर-पूर्वी राज्यों में 27 अगस्त को सामान्य कक्षाएं चलने की संभावना है—जब तक कि स्थानीय प्रशासन या शिक्षा विभाग अलग आदेश न निकाल दे.
जहां आमतौर पर नियमित स्कूल चलने की स्थिति रहती है (अंतिम निर्णय स्थानीय आदेश पर निर्भर):
- दिल्ली और आसपास: दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में सामान्यतः यह कार्यदिवस रहता है. कुछ निजी स्कूल स्थानीय कारणों से समय-सारणी बदल सकते हैं.
- उत्तर भारत: उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में आमतौर पर छुट्टी घोषित नहीं होती, जब तक जिला स्तर पर निर्देश न आएं.
- पूर्व और पूर्वोत्तर: बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भी सामान्य कक्षाएं रहने की संभावना है. कुछ मिशनरी/अल्पसंख्यक प्रबंधन वाले स्कूल अपनी आंतरिक सूची के हिसाब से अलग निर्णय ले सकते हैं.
- दक्षिण के अन्य राज्य: तमिलनाडु और केरल में यह आमतौर पर कार्यदिवस होता है, हालांकि कुछ जिलों में स्थानीय कार्यक्रमों के चलते समय-सारणी में बदलाव हो सकता है.
ध्यान रहे, जिन राज्यों में 27 अगस्त को छुट्टी होगी, वहां कुछ स्कूल अनंत चतुर्दशी या बड़े विसर्जन के दिन भी आधे दिन या ‘सेफ्टी रीजन’ से बंद रख सकते हैं—खासकर जुलूस मार्गों के आसपास. यह पूरी तरह से जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस की एडवाइजरी पर निर्भर करेगा.
परिवारों के लिए सबसे काम की बात—अपने स्कूल की आधिकारिक सूचना देखें. सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूल अब मोबाइल ऐप, व्हाट्सऐप ब्रॉडकास्ट, ईमेल या स्कूल वेबसाइट पर सर्कुलर डालते हैं. अगर एग्जाम/यूनिट टेस्ट तय हैं, तो अक्सर नई तारीख की सूचना साथ ही जारी की जाती है.
यह भी समझना जरूरी है कि “सार्वजनिक अवकाश” और “प्रतिबंधित/वैकल्पिक अवकाश” अलग चीजें हैं. कई दफ्तरों और निजी संस्थानों में वैकल्पिक अवकाश का विकल्प होता है, पर स्कूलों में नियम साफ रखने के लिए या तो पूर्ण अवकाश घोषित होता है या सामान्य दिनचर्या चलती है. CBSE और CISCE से संबद्ध स्कूल, जहां भी स्थित हों, आमतौर पर संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की गजटेड हॉलिडे लिस्ट का पालन करते हैं.
त्योहार के सामाजिक असर की बात करें तो मुंबई, पुणे, नागपुर, हैदराबाद, बेंगलुरु, सूरत, वडोदरा, इंदौर, गोवा और विजयवाड़ा जैसे शहरों में पंडालों, आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और जुलूसों की वजह से स्कूलों के आसपास सुरक्षा और ट्रैफिक प्लानिंग सख्त रहती है. इसी वजह से शिक्षा विभाग समय रहते छुट्टी का फैसला लेता है, ताकि छात्र-छात्राएं और अभिभावक बिना जल्दबाजी के पारिवारिक पूजा में शामिल हो सकें.
गुजरात में पर्यूषण के दिनों में जैन समुदाय के कार्यक्रम चलते हैं, इसलिए कुछ जिलों में सम्वत्सरी के आस-पास अलग तिथियों पर भी स्कूल बंद मिल सकते हैं. हालांकि यह गणेश चतुर्थी से स्वतंत्र निर्णय होता है, और दोनों की अधिसूचनाएं अलग-अलग निकलती हैं.
अगर आप ऐसे जिले में हैं जहां बड़े विसर्जन जुलूस निकलते हैं, तो अनंत चतुर्दशी के दिन दो बातें ध्यान रखें—पहली, ट्रैफिक डाइवर्जन पहले से प्लान कर लें; दूसरी, अगर बच्चे की स्कूल बस उन रूट्स से गुजरती है तो स्कूल की एडवाइजरी जरूर पढ़ें. कई बार स्कूल उस दिन ऑनलाइन असाइनमेंट देकर ऑफलाइन उपस्थिति से छूट दे देते हैं, ताकि बच्चों की सुरक्षा बनी रहे.
अंत में, एक चेकलिस्ट संभाल लें: 1) अपने राज्य/जिले की छुट्टी अधिसूचना देखें, 2) स्कूल का सर्कुलर पढ़ें, 3) अगर एग्जाम थे तो नई तारीख नोट करें, 4) अनंत चतुर्दशी के लिए ट्रैफिक और सुरक्षा अपडेट फॉलो करें. इतने भर से आपकी प्लानिंग आसान हो जाएगी और बच्चे बिना तनाव के त्योहार का आनंद ले पाएंगे.
टिप्पणि
Priyanjit Ghosh
अरे भाई ये तो महाराष्ट्र वालों का दिन ही बन गया... बाकी देश तो स्कूल खुला रखता है और गणेश जी को ऑनलाइन दर्शन देता है 😂
Anuj Tripathi
मेरे शहर में तो बस एक पंडाल है और वो भी बाजार के पीछे लेकिन स्कूल खुला ही रहता है... ये जो बड़े शहरों में जुलूस निकलते हैं वो तो बस इंस्टाग्राम के लिए होते हैं भाई 😅
Hiru Samanto
मुझे लगता है कि ये छुट्टी का फैसला राज्य स्तर पर होना चाहिए क्योंकि हर जगह की संस्कृति अलग है... गुजरात में पर्यूषण और गणेश चतुर्थी एक साथ आ जाते हैं तो वहां तो दो बार छुट्टी चाहिए 😊
Divya Anish
महाराष्ट्र के लोगों के लिए यह त्योहार बस एक दिन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव है। वहां के बच्चे बिना किसी दबाव के घर में आरती, प्रसाद और नाटकों के साथ त्योहार का असली अर्थ समझ पाते हैं। बाकी जगहों पर तो बस एक घंटे का जुलूस और फिर वापस बुक्स पर नज़र डालनी पड़ती है।
हमें इस तरह के त्योहारों को बच्चों के जीवन का अंग बनाना चाहिए, न कि एक अतिरिक्त बोझ के रूप में। स्कूल बंद करना बस एक आदेश नहीं, बल्कि एक सामाजिक सम्मान का प्रतीक है।
अगर एक राष्ट्रीय त्योहार के लिए भी राज्यों को अलग-अलग फैसले लेने पड़ रहे हैं, तो हमें अपनी सांस्कृतिक विविधता को वास्तविक रूप से मान्यता देने की जरूरत है।
एक छात्र के लिए एक दिन का अवकाश उसके जीवन को बदल सकता है-वह अपने दादा-दादी के साथ बैठकर गाना सुन सकता है, या अपनी बहन के साथ पंडाल घूम सकता है।
यह छुट्टी बच्चों को सिर्फ खेलने का मौका नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर देती है।
हमें इसे एक अवकाश के रूप में नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक शिक्षा के रूप में देखना चाहिए।
क्या हम अपने बच्चों को सिर्फ एग्जाम के लिए तैयार कर रहे हैं, या उन्हें एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत भी देना चाहते हैं?
मुझे लगता है कि यह सवाल हर शिक्षक और अभिभावक को खुद से पूछना चाहिए।
md najmuddin
मेरा बेटा बेंगलुरु में पढ़ता है... वहां तो स्कूल बंद है और वो रोज पंडाल घूमता है 😎
Ravi Gurung
मैं बिहार से हूँ... यहाँ तो आज भी स्कूल खुला है, लेकिन मैंने अपने बच्चे को घर पर ही छोटा सा पूजा करवा दिया 😌
SANJAY SARKAR
क्या गुजरात में जैन समुदाय के लिए भी छुट्टी होती है या अलग से घोषित होती है? कोई डिटेल्स बता सकता है?
Ankit gurawaria
देखो यार, ये गणेश चतुर्थी का त्योहार सिर्फ एक दिन का नहीं है, ये तो एक पूरी जीवनशैली है। जब तुम एक छोटे से गांव में रहते हो, तो यहां तक कि बच्चे भी जानते हैं कि गणेश जी क्यों आए हैं। यहां तक कि वो बच्चे जो बिना टीवी देखे बड़े हुए हैं, वो भी जानते हैं कि अनंत चतुर्दशी के दिन क्या होता है। वो जुलूस जो शहरों में आजकल बन रहे हैं, वो तो बस इंस्टाग्राम और टिकटॉक के लिए हैं। लेकिन गांवों में तो अभी भी एक बूढ़ी दादी अपने हाथों से मिट्टी का गणेश बनाती है, और उसकी आंखों में आंसू होते हैं जब वो उसे जलाती है। ये त्योहार हमारे दिलों को छूता है, न कि हमारे फोनों को। जब तुम एक नागपुर के पंडाल में जाते हो, तो वहां एक बच्चा गीत गा रहा होता है, एक बूढ़ा बांसुरी बजा रहा होता है, और एक माँ अपने बेटे के लिए गुड़ की लड्डू बना रही होती है। ये सब तुम बस एक लिस्ट में नहीं देख सकते। ये तो जीवन है। और जब तुम इसे जीते हो, तो तुम्हारा दिल भर जाता है। इसलिए जिन राज्यों में छुट्टी है, वो बस अपने आप को भाग्यशाली समझें। और जिन राज्यों में नहीं है, वो अपने घर पर एक छोटा सा पूजा करें। गणेश जी को तो आपकी भावनाएं बहुत ज्यादा पसंद हैं, न कि आपके शहर का नाम।
AnKur SinGh
यह त्योहार भारतीय संस्कृति के अनिवार्य अंग है, और इसके व्यापक अवकाश का घोषणा करना एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। विभिन्न राज्यों के बीच असमानता न केवल शिक्षा प्रणाली में अंतर लाती है, बल्कि सामाजिक एकता को भी प्रभावित करती है। गणेश चतुर्थी को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित करने की आवश्यकता है, ताकि हर बच्चा, चाहे वह अरुणाचल प्रदेश का हो या गोवा का, एक ही दिन अपने परिवार के साथ इस पवित्र अवसर का आनंद ले सके।
यह एक ऐसा त्योहार है जो भारत के सभी समुदायों को जोड़ता है-हिंदू, जैन, और यहां तक कि कुछ ईसाई और मुस्लिम परिवार भी इसे सम्मान के साथ मनाते हैं।
सरकारी और निजी स्कूलों के बीच अंतर को दूर करना भी आवश्यक है, क्योंकि CBSE और CISCE के स्कूलों को अलग-अलग निर्देशों का पालन करना पड़ता है, जिससे छात्रों के बीच असमानता पैदा होती है।
एक राष्ट्रीय छुट्टी के साथ, हम यह संदेश भी दे सकते हैं कि भारत की सांस्कृतिक विविधता एक शक्ति है, न कि एक बाधा।
हमें अपने बच्चों को न केवल गणित और विज्ञान, बल्कि अपनी विरासत के बारे में भी सिखाना चाहिए।
इस त्योहार को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने से हम न केवल शिक्षा, बल्कि राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत कर सकते हैं।
Sanjay Gupta
ये सब बकवास है। जिन राज्यों में छुट्टी नहीं है, वो बस अपने बच्चों को डिसिप्लिन दे रहे हैं। गणेश जी को घर पर पूजो, लेकिन स्कूल बंद करने की जरूरत नहीं। ये तो बस लालच और दिखावे का नाम है।
Kunal Mishra
यह अवकाश व्यवस्था एक भारतीय अस्तित्व की अनियमितता का उदाहरण है। गणेश चतुर्थी एक धार्मिक त्योहार है, और इसे राष्ट्रीय स्तर पर अवकाश के रूप में घोषित करना एक आधुनिक राष्ट्र के लिए असंगत है। जब तक शिक्षा को एक वैज्ञानिक और निर्णय-आधारित आधार पर नहीं रखा जाएगा, तब तक हम बस एक त्योहार-आधारित देश बने रहेंगे। यह असमानता न केवल शिक्षा में, बल्कि भारत के भविष्य के लिए एक गहरा चुनौती है।
Priyanjit Ghosh
अब तो अनंत चतुर्दशी के दिन भी छुट्टी दे दो भाई... वरना बच्चे ट्रैफिक में फंस जाएंगे 😂