भारतीय क्रिकेट के कोच के रूप में गौतम गंभीर की बढ़ती चुनौतियाँ
गौतम गंभीर, भारतीय क्रिकेट टीम के नए मुख्य कोच के रूप में, अपने कार्यकाल की शुरुआत के बाद से ही चुनौतीपूर्ण समय का सामना कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में चौथे टेस्ट में 184 रन की हार के खेल में, गंभीर की निराशा फूट-फूटकर बाहर आ गई। उन्होंने सीनियर खिलाड़ियों की घोषणा करने की प्रवृत्ति के बारे में कड़ी बातें कही कि वे परिस्थितियों के बजाय अपने स्वाभाविक खेल को महत्त्व दे रहे हैं। गंभीर ने बगैर किसी खिलाड़ी का नाम लिए अपनी टिप्पणी साझा की, लेकिन यह माना जा रहा है कि उनका निशाना अधिकतर रोहित शर्मा, विराट कोहली और ऋषभ पंत पर था। इन खिलाड़ियों ने अपने चुनौतीपूर्ण प्रदर्शन से पूरी टीम को संकट में डाल दिया है।
गंभीर की रणनीति में बदलाव और खिलाड़ियों की जिम्मेदारी
गंभीर ने अपनी नई जिम्मेदारी को लेकर कहा है कि जब से उन्होंने जुलाई 2024 में कोच का पद संभाला है, उन्होंने खिलाड़ियों को पहली छह महीनों के लिए अपने स्वाभाविक खेल को खेलने की आज़ादी दी थी। लेकिन अब यह खिलाड़ी उनके निर्देशों के अनुसार खेलेंगे। गंभीर ने स्पष्ट किया कि अगर खिलाड़ी उनकी रणनीति की परवाह नहीं करेंगे, तो उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाएगा। यह स्थिति टीम के अन्य खिलाड़ियों में बेचैनी उत्पन्न कर सकती है, लेकिन गंभीर मानते हैं कि रणनीतिक बदलाव सफलताओं के लिए आवश्यक हैं।
चेतेश्वर पुजारा का चयन न होने पर निराशा
भारतीय टीम के चौथे टेस्ट में खासतौर पर चेतेश्वर पुजारा की अनुपस्थिति को लेकर गंभीर ने चयनकर्ताओं की कड़ी आलोचना की। पुजारा का ऑस्ट्रेलिया में अद्वितीय प्रदर्शन का रिकॉर्ड रहा है, और यही वजह है कि गंभीर ने बोर्ड से उनके चयन को लेकर अपनी निराशा व्यक्त की। पिछले आंकड़ों के अनुसार, पुजारा ने 11 टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलिया में 47.28 की औसत से 993 रन बनाए हैं। उनका इतना शानदार रिकॉर्ड होते हुए भी उन्हें टीम से बाहर रखने पर गंभीर ने अपनी असहमति जताई और यह बोर्ड के फैसले पर सवाल खड़ा करता है।
बीसीसीआई के साथ गंभीर के रिश्ते में दरार
प्रशिक्षण करार लेकर, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने गंभीर को कोच के लिए पहली पसंद नहीं बताया था। पर विदेशी उम्मीदवारों की अनुपलब्धता और अन्य मजबूरियों के कारण गंभीर को यह भूमिका सौंपी गई थी। अब स्थिति इस मोड़ पर आ गई है कि अगर टीम का प्रदर्शन सिडनी टेस्ट और आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में नहीं सुधरता है, तो गंभीर का पद जोखिम में पड़ सकता है।
गंभीर के कार्यकाल में संचार की असंवेदनशीलता
गौतम गंभीर के कार्यकाल में टीम चयन और संचार में कुछ मुद्दे सामने आए हैं। खिलाड़ियों में कथित रूप से सुरक्षा की कमी महसूस की जा रही है क्योंकि गंभीर टीम में कई प्रयोग कर रहे हैं। इस परिस्थिति ने टीम के अंदर अस्थिरता का माहौल पैदा किया है और अब ऐसा लगता है कि कई खिलाड़ी असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। यह गंभीर के सामने एक बड़ी चुनौती है कि वे अपनी टीम के भीतर विश्वास और सुरक्षा का माहौल कैसे बनाते हैं।
इन तमाम घटनाओं के मद्देनजर, गंभीर की भूमिका में सुधार और भारतीय क्रिकेट टीम के आगामी मैचों में रणनीति बनाने की क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। टीम के भविष्य को लेकर गंभीर से उम्मीद की जाती है कि वे खिलाड़ियों को प्रेरित करेंगे और भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा देंगे। यह केवल एक कोच के लिए नहीं, बल्कि पूरे क्रिकेट जगत के लिए एक परीक्षा है।