तेहरान, ईरान में 31 जुलाई, 2024 को हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माईल हनीयेह की हत्या ने दुनियाभर में एक बड़ा हलचल मचा दी है। 62 वर्षीय हनीयेह का संबंध हमास से 1980 के दशक के आखिर से था और उन्होंने फिलिस्तीनी आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। हनीयेह, जो एक शरणार्थी शिविर में पैदा हुए थे, ने अपने जीवन में बड़ी कठिनाइयों का सामना किया था। उनके माता-पिता 1948 में इस्राएल की स्थापना के बाद अस्कलान (अब अशकेलोन) से गाजा नगर के पास के एक शिविर में भाग कर आए थे।
इस्तीफा पाकर, हनीयेह ने गाजा में शिक्षा ग्रहण की और बाद में इस्लामी विश्वविद्यालय, गाजा से अरबी साहित्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। हनीयेह की राजनीतिक सक्रियता के कारण उन्हें कई बार इजरायली बलों द्वारा गिरफ्तार किया गया और कई बार इजरायली जेलों में रखा गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद, उन्हें लेबनान निर्वासित कर दिया गया था, लेकिन 1993 में उनकी वापस गाजा में वापसी हुई।
जैसे जैसे समय बीतता गया, हनीयेह हमास के प्रमुख राजनीतिक नेता के रूप में उभरने लगे। शेख अहमद यासिन और अब्देल अजीज रंतिसी की मौतों के बाद, हनीयेह ने हमास में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया और 2006 के विधायी चुनावों में हमास की विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने फिलिस्तीनी प्राधिकरण के प्रधानमंत्री के रूप में संक्षिप्त समय के लिए कार्य किया, लेकिन अध्यक्ष महमूद अब्बास द्वारा उनके पद से हटा दिए गए थे।
2017 में, अमेरिकी सरकार ने हनीयेह को 'विशेष रूप से निर्दिष्ट वैश्विक आतंकवादी' घोषित किया। इसके बाद भी, हनीयेह निर्वासन से हमास के राजनीतिक प्रयासों का नेतृत्व करते रहे, अंतरराष्ट्रीय समझौते करने और फिलिस्तीनी अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे। उनकी मौत ने इस्राएल-गाजा संघर्ष और शांति वार्ताओं पर गहरा असर डाला है। ईरान और हमास ने इस्राएल पर हनीयेह की हत्या का आरोप लगाया है, जबकि इस्राएल ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
इस कठिन संघर्ष के दौरान, हनीयेह ने बड़ी व्यक्तिगत हानियों का सामना किया। अप्रैल 2024 में, उनके तीन बेटे और चार पोते-पोतियों की मौत हो गई। उनकी संपत्ति का विस्तृत विवरण उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनके प्रभाव और विरासत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस्माईल हनीयेह की राजनीतिक यात्रा एक सामान्य शिक्षित व्यक्ति से लेकर हमास के प्रमुख नेता बनने तक का सफर है। उनका जीवन संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने अपनी स्थिति के प्रति भागीदारी से कभी समझौता नहीं किया। उनके निधन से अब फिलिस्तीनी आंदोलन को नया नेतृत्व तलाशना होगा, साथ ही क्षेत्रीय राजनीति में इसके क्या प्रभाव पड़ेंगे, यह देखना कुछ समय की बात होगी।
तेहरान में हुई इस घटना ने अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है और आगे की स्थिति पर निरीक्षण जारी रहेगा। हनीयेह के योगदान को देखते हुए, उनकी विरासत अब भी दुनिया भर के अनेक लोगों के दिलों में जीवित रहेगी।