हिंडनबर्ग आरोपों पर सेबी प्रमुख माधबी बुच और पति का बयान: पूरी जानकारी

हिंडनबर्ग आरोपों पर सेबी प्रमुख माधबी बुच और पति का बयान: पूरी जानकारी
द्वारा नेहा शर्मा पर 11.08.2024

हिंडनबर्ग के आरोपों के बीच सेबी प्रमुख माधबी बुच और उनके पति का बयान

सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने हाल ही में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों पर एक विस्तृत बयान जारी किया है। अपने बयान में, दोनों ने हिंडनबर्ग के सभी आरोपों को निराधार और तथ्यहीन बताते हुए खारिज कर दिया है। यह बयान न केवल उनकी वित्तीय पारदर्शिता बल्कि उनके मजबूत नैतिक सिद्धांतों को भी उजागर करता है।

आरोपों का खंडन

माधबी और धवल बुच ने अपने बयान में जोरदार रूप से कहा कि उनके जीवन और वित्तीय मामलों में कोई भी जानकारी गुप्त नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे सेबी के समक्ष हर साल सभी आवश्यक जानकारी प्रस्तुत करते रहे हैं। वे पूरी तरह से तैयार हैं किसी भी वित्तीय दस्तावेज को किसी भी नियामक निकाय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए, यदि इसकी आवश्यकता हो।

बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि हिंडनबर्ग के आरोप उनके खिलाफ सीधी प्रतिक्रिया हैं, विशेष रूप से सेबी द्वारा जारी किए गए एक शो- कॉज नोटिस के कारण। इस संदर्भ में, यह बयान मध्यवर्ती उद्देश्यों को उजागर करता है जिससे लगता है कि हिंडनबर्ग का उद्देश्य केवल सनसनी फैलाना है।

अदानी समूह से संबंधों के आरोपों का खंडन

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने रिपोर्ट में दावा किया था कि बुच दंपति ने सिंगापुर में स्थित IPE Plus Fund 1 में निवेश किया है, जो मॉरीशस में पंजीकृत अदानी समूह से जुड़ा हुआ है। इन आरोपों पर जवाब देते हुए, बुच दंपति ने साफ तौर पर कहा कि वे ऐसे किसी भी निवेश से जुड़े नहीं हैं और हिंडनबर्ग के आरोप पूरी तरह से गलत और बेबुनियाद हैं।

नियामक प्रक्रिया पर विश्वास

बयान का एक महत्वपूर्ण अंश यह था कि बुच दंपति ने अपनी पारदर्शिता और सेबी की नियामक प्रक्रियाओं पर पूर्ण विश्वास की बात दोहराई है। उन्होंने कहा कि सेबी हमेशा उचित प्रक्रिया का पालन करता है और निवेशकों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। सेबी ने भी अपने बयान में यह स्पष्ट किया है कि वह उचित जांच और नियामक प्रक्रिया का अनुपालन करता है।

आरोपों पर विपक्ष और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

हिंडनबर्ग के आरोपों ने न केवल वित्तीय जगत में बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी व्यापक चर्चा छेड़ दी है। कई विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं ने इस मामले की गहन जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की मांग की है। उनका मानना है कि इस मुद्दे की पूरी सच्चाई सामने आनी चाहिए ताकि सार्वजनिक विश्वास बहाल हो सके।

दूसरी ओर, कुछ विशेषज्ञों ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सनसनीखेज और उनकी वैधता पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि इस प्रकार की रिपोर्टों का उद्देश्य केवल बाजार में अस्थिरता पैदा करना होता है, बिना किसी पुख्ता सबूत के आरोप लगाना बेहद गैर-जिम्मेदाराना है।

आगे की राह

बुच दंपति के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे पूरी तरह से अपनी वित्तीय पारदर्शिता और नैतिकता पर अडिग हैं। उन्होंने कहा है कि वे इस मुद्दे पर विस्तृत जवाब देने के लिए तैयार हैं और किसी भी नियामक जांच का स्वागत करते हैं।

यह मामला आगे कैसे बढ़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन फिलहाल, वित्तीय जगत और निवेशक इस विवाद को ध्यान से देख रहे हैं। सेबी ने अपनी नियामक प्रक्रिया का पालन करते हुए आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और जानकारी देने का वादा किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या हिंडनबर्ग अपने आरोपों को प्रमाणित कर पाता है या फिर सेबी और बुच दंपति अपने उपर लगाए गए आरोपों से बाइज्जत बरी होते हैं।

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