India-UK Free Trade Agreement: भारत के लिए 2025 में कौन से बड़े फायदे मिलेंगे

India-UK Free Trade Agreement: भारत के लिए 2025 में कौन से बड़े फायदे मिलेंगे
द्वारा नेहा शर्मा पर 7.05.2025

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट: टैक्स छूट से किस-किस सेक्टर को होगा असली फायदा?

India-UK Free Trade Agreement 2025 में आखिरकार 14 लंबी बैठकों के बाद फाइनल हो गया है। इस समझौते का असर सिर्फ बड़ी कंपनियों या सरकार तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि आम भारतीयों तक पहुंचेगा, क्योंकि इसमें लगभग 99% टैक्स लाइनों पर ढील दी गई है। मतलब अब भारत और ब्रिटेन के बीच लगभग पूरा व्यापार टैक्स-मुक्त रहेगा।

सबसे पहले टेक्सटाइल, परिधान, फुटवियर और चमड़े की इंडस्ट्री की बात करें तो यहां लंबे समय से टैक्स की वजह से इंडियन प्रोडक्ट्स महंगे पड़ते थे। अब एफटीए के तहत इन सेक्टरों को सीधा विदेशी बायर्स तक पहुंचने में आसानी होगी। खासकर छोटे-मोटे कपड़ा उद्योगों को निर्यात बढ़ाने का मौका मिलेगा। ब्रिटिश खरीदारों के लिए भी भारतीय फैशन और जूते-चमड़े के प्रोडक्ट्स सस्ते हो जाएंगे।

अब बात करें ऑटो सेक्टर की। ब्रिटेन से जो गाड़ियां भारत आती थीं, उन पर 100% से ज्यादा इम्पोर्ट ड्यूटी लगती थी, लेकिन अब ये सिर्फ 10% तक आ जाएगी। हालांकि, ब्रिटिश कारों के लिए एक कोटा भी रहेगा जिससे पावर एकतरफा न हो। भारतीय कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स (Jaguar Land Rover), आयशर (Royal Enfield), TVS मोटर्स निर्यात बढ़ाने को तैयार हैं। साथ ही, ब्रिटिश कारों के शौकीनों के लिए लक्जरी गाड़ियां थोड़ी सस्ती हो जाएंगी।

इंजीनियरिंग गुड्स, ऑटो पार्ट्स और ऑर्गेनिक केमिकल्स में भारत पहले से ही शानदार निर्यातक है। टैरिफ कम होने से इन क्षेत्रों में भारत और मजबूत स्थिति में आ जाएगा। इंजीनियरिंग गुड्स एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों के लिए नया बाजार खुलेगा, और ऑटोमोटिव का पूरा सप्लाई चैन रिसेट हो सकता है।

  • रत्न, आभूषण और मरीन प्रोडक्ट्स जैसे झींगा आदि को सीधे ड्यूटी-फ्री एंट्री मिलेगी। इससे भारत के कारीगर और शिपिंग कंपनियों के लिए भारी मुनाफा मिलेगा।
  • IT सेवाएं और फार्मा के लिए भी ब्रिटेन का बड़ा बाजार खुलेगा, जिससे भारत को अंतरराष्ट्रीय टॉप कंपनियों के साथ कॉम्पिटेशन करने में आसानी होगी।
ब्रेक्जिट के बाद भारत-यूके की नई आर्थिक दोस्ती

ब्रेक्जिट के बाद भारत-यूके की नई आर्थिक दोस्ती

अब बात करते हैं आम आदमी की पॉकेट पर पड़ने वाले असर की। सबसे चर्चित नाम है स्कॉच व्हिस्की का। अब तक भारत में स्कॉच व्हिस्की पर 150% ड्यूटी थी, जो पहले 75% और फिर 40% तक आ जाएगी। यानी पहली बार ब्रिटिश स्प्रिट्स अफॉर्डेबल बन सकती हैं।

जहां तक ब्रिटिश कारों की बात है, इम्पोर्ट डयूटी कम होने से Jaguar, Range Rover जैसी गाड़ियां थोड़ी कम कीमत पर मिल सकेंगी। हालांकि, अभी भी ये गाड़ियां हर किसीके बजट में नहीं आएंगी, लेकिन लग्जरी मार्केट को रफ्तार मिलेगी।

इस एग्रीमेंट से भारत का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $120 अरब डॉलर तक पहुंचाने का है। सीधा मतलब है—नौकरियों के नए मौके, निवेशकों का भरोसा और इनोवेशन के नए रास्ते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे 'ग्रोथ और इन्वेस्टमेंट का कैटलिस्ट' बताते हुए साफ किया कि यह डील पोस्ट-ब्रेक्जिट वैश्विक भूमिका में भारत को मजबूत बनाएगी।

इस समझौते के बाद भारत-यूके की आर्थिक दोस्ती नए मुकाम पर पहुंच गई है। दोनों देश अब एक-दूसरे के स्ट्रेटजिक और बिजनेस पार्टनर हैं, जिसका फायदा सीधे कारोबार, लोगों की आमदनी और देश की इमेज को मिलेगा।

एक टिप्पणी लिखें