भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट: टैक्स छूट से किस-किस सेक्टर को होगा असली फायदा?
India-UK Free Trade Agreement 2025 में आखिरकार 14 लंबी बैठकों के बाद फाइनल हो गया है। इस समझौते का असर सिर्फ बड़ी कंपनियों या सरकार तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि आम भारतीयों तक पहुंचेगा, क्योंकि इसमें लगभग 99% टैक्स लाइनों पर ढील दी गई है। मतलब अब भारत और ब्रिटेन के बीच लगभग पूरा व्यापार टैक्स-मुक्त रहेगा।
सबसे पहले टेक्सटाइल, परिधान, फुटवियर और चमड़े की इंडस्ट्री की बात करें तो यहां लंबे समय से टैक्स की वजह से इंडियन प्रोडक्ट्स महंगे पड़ते थे। अब एफटीए के तहत इन सेक्टरों को सीधा विदेशी बायर्स तक पहुंचने में आसानी होगी। खासकर छोटे-मोटे कपड़ा उद्योगों को निर्यात बढ़ाने का मौका मिलेगा। ब्रिटिश खरीदारों के लिए भी भारतीय फैशन और जूते-चमड़े के प्रोडक्ट्स सस्ते हो जाएंगे।
अब बात करें ऑटो सेक्टर की। ब्रिटेन से जो गाड़ियां भारत आती थीं, उन पर 100% से ज्यादा इम्पोर्ट ड्यूटी लगती थी, लेकिन अब ये सिर्फ 10% तक आ जाएगी। हालांकि, ब्रिटिश कारों के लिए एक कोटा भी रहेगा जिससे पावर एकतरफा न हो। भारतीय कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स (Jaguar Land Rover), आयशर (Royal Enfield), TVS मोटर्स निर्यात बढ़ाने को तैयार हैं। साथ ही, ब्रिटिश कारों के शौकीनों के लिए लक्जरी गाड़ियां थोड़ी सस्ती हो जाएंगी।
इंजीनियरिंग गुड्स, ऑटो पार्ट्स और ऑर्गेनिक केमिकल्स में भारत पहले से ही शानदार निर्यातक है। टैरिफ कम होने से इन क्षेत्रों में भारत और मजबूत स्थिति में आ जाएगा। इंजीनियरिंग गुड्स एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों के लिए नया बाजार खुलेगा, और ऑटोमोटिव का पूरा सप्लाई चैन रिसेट हो सकता है।
- रत्न, आभूषण और मरीन प्रोडक्ट्स जैसे झींगा आदि को सीधे ड्यूटी-फ्री एंट्री मिलेगी। इससे भारत के कारीगर और शिपिंग कंपनियों के लिए भारी मुनाफा मिलेगा।
- IT सेवाएं और फार्मा के लिए भी ब्रिटेन का बड़ा बाजार खुलेगा, जिससे भारत को अंतरराष्ट्रीय टॉप कंपनियों के साथ कॉम्पिटेशन करने में आसानी होगी।
ब्रेक्जिट के बाद भारत-यूके की नई आर्थिक दोस्ती
अब बात करते हैं आम आदमी की पॉकेट पर पड़ने वाले असर की। सबसे चर्चित नाम है स्कॉच व्हिस्की का। अब तक भारत में स्कॉच व्हिस्की पर 150% ड्यूटी थी, जो पहले 75% और फिर 40% तक आ जाएगी। यानी पहली बार ब्रिटिश स्प्रिट्स अफॉर्डेबल बन सकती हैं।
जहां तक ब्रिटिश कारों की बात है, इम्पोर्ट डयूटी कम होने से Jaguar, Range Rover जैसी गाड़ियां थोड़ी कम कीमत पर मिल सकेंगी। हालांकि, अभी भी ये गाड़ियां हर किसीके बजट में नहीं आएंगी, लेकिन लग्जरी मार्केट को रफ्तार मिलेगी।
इस एग्रीमेंट से भारत का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $120 अरब डॉलर तक पहुंचाने का है। सीधा मतलब है—नौकरियों के नए मौके, निवेशकों का भरोसा और इनोवेशन के नए रास्ते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे 'ग्रोथ और इन्वेस्टमेंट का कैटलिस्ट' बताते हुए साफ किया कि यह डील पोस्ट-ब्रेक्जिट वैश्विक भूमिका में भारत को मजबूत बनाएगी।
इस समझौते के बाद भारत-यूके की आर्थिक दोस्ती नए मुकाम पर पहुंच गई है। दोनों देश अब एक-दूसरे के स्ट्रेटजिक और बिजनेस पार्टनर हैं, जिसका फायदा सीधे कारोबार, लोगों की आमदनी और देश की इमेज को मिलेगा।
टिप्पणि
Abinesh Ak
अरे भाई ये सब बकवास है! 99% टैक्स छूट? तो फिर भारत के छोटे उद्यमी कहाँ रह गए? ब्रिटेन के लिए ये एक बड़ा फैंटम डील है जिसमें हमारी छोटी इंडस्ट्री को बलात्कार किया जा रहा है। टेक्सटाइल और फुटवियर के क्षेत्र में ब्रिटिश ब्रांड्स का डंपिंग शुरू हो जाएगा और हमारे बाजार में जो 10 लाख छोटे उद्यमी हैं, वो सब बेकार हो जाएंगे। ये एफटीए सिर्फ टाटा और रॉयल एनफील्ड के लिए है, बाकी सब के लिए फाँसी की रस्सी।
Ron DeRegules
इस एग्रीमेंट का असली फायदा वो लोगों को होगा जो व्यापार के अंदर रहते हैं न कि जो बाहर से देखते हैं। ऑटो पार्ट्स और इंजीनियरिंग गुड्स के लिए ये एक गेम चेंजर है क्योंकि अब ब्रिटेन के सप्लायर्स के साथ लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन को रिसेट किया जा सकता है। इससे भारत के एक्सपोर्टर्स को डायरेक्ट एक्सेस मिलेगा और उनकी कॉस्ट ऑफ गुड्स घटेगी जिससे उनकी कमाई बढ़ेगी। ये बस एक टैरिफ नहीं है ये एक इकोसिस्टम रिबिल्ड है।
Manasi Tamboli
क्या हम भूल गए कि व्यापार कभी सिर्फ टैक्स नहीं होता? ये सब एक अहंकार का नाटक है। हम अपने जूते बेच रहे हैं और ब्रिटेन के लक्जरी कारों को अपने शहरों में लाने की इच्छा कर रहे हैं। क्या ये विकास है या सिर्फ एक औपचारिक अपमान? हमारे कारीगरों की आत्मा कहाँ है? क्या हम अपने इतिहास को बेचकर ब्रिटिश ब्रांड्स के लिए अपना देश बेच रहे हैं? मैं रो रही हूँ लेकिन कोई नहीं सुन रहा।
Ashish Shrestha
यह एग्रीमेंट एक राजनीतिक लाभ के लिए बनाया गया है, जिसका आर्थिक आधार अत्यंत कमजोर है। ब्रिटेन के लिए यह एक बहुत ही न्यून जोखिम वाला निवेश है, जबकि भारत के लिए यह एक विशाल असंतुलन है। टेक्सटाइल और फुटवियर के क्षेत्र में निर्यात बढ़ने का दावा बिल्कुल गलत है क्योंकि ब्रिटेन के बाजार में भारतीय उत्पादों की बाजार हिस्सेदारी लगभग शून्य है। यह समझौता केवल एक फोटो ऑपरेशन है।
Mallikarjun Choukimath
इस एफटीए को एक अंतर्राष्ट्रीय रूपांतरण के रूप में देखना चाहिए - एक ऐसा अवसर जो भारत को एक नए युग की ओर ले जा सकता है, जहाँ हम केवल श्रम नहीं, बल्कि स्ट्रैटेजिक वैल्यू जनरेट करते हैं। जब हम फार्मा और IT सेवाओं के माध्यम से ब्रिटेन के जीवन शैली को बदल रहे हैं, तो यह केवल व्यापार नहीं, बल्कि संस्कृति का विनिमय है। हम अपने रूप को बदल रहे हैं, और यह अपने आप में एक युगांतकारी घटना है।
Sitara Nair
ये बात बहुत अच्छी है 😊 लेकिन अगर हम अपने छोटे उद्यमियों को सही तरीके से सपोर्ट करें तो ये एक बहुत बड़ा फायदा हो सकता है 🌟 मैंने एक छोटा सा कपड़ा बनाने वाला उद्यम देखा था जो अपने हाथों से बनाता था - अगर उन्हें ये बाजार मिल जाए तो वो दुनिया के सामने खड़े हो सकते हैं 💪✨
Abhishek Abhishek
अरे ये सब बकवास है, ब्रिटेन के लिए ये सिर्फ एक बड़ा व्यापारिक अवसर है और हम इसे अपने लिए बड़ा फायदा समझ रहे हैं? जब तक हमारी इंडस्ट्री अपने अंदर के बाजार को मजबूत नहीं करेगी, तब तक ये सब नकली खुशियाँ हैं। आप लोगों को लगता है कि ब्रिटिश कारों की कीमत घटेगी तो हम खुश हो जाएंगे? बस अपनी आँखें खोलो।
Avinash Shukla
मुझे लगता है कि ये एक बड़ा कदम है, लेकिन इसका असर लंबे समय में दिखेगा। अगर हम छोटे उद्यमियों को ट्रेनिंग और एक्सेस दे सकें, तो ये एक असली जीत हो सकती है। ब्रिटेन के साथ हमारा संबंध बहुत पुराना है - अब ये एक नया अध्याय है। 🤝
Harsh Bhatt
अरे भाई, तुम सब बातें कर रहे हो कि टैक्स कम हुआ, लेकिन क्या तुमने कभी ब्रिटेन के बाजार की गहराई में जाकर देखा है? वहाँ लोग अपने घर के बाहर की चीज़ें खरीदने से घबराते हैं। भारतीय टेक्सटाइल उनके लिए 'बजट ब्रांड' हैं, न कि लक्जरी। ये एफटीए तो एक बड़ा डिस्काउंट डील है, जिसका कोई असली असर नहीं होगा।
dinesh singare
ये एग्रीमेंट ब्रिटेन के लिए एक जीत है, भारत के लिए एक बड़ा जाल है। तुम सब व्हिस्की और जगुआर के बारे में बात कर रहे हो, लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि हमारे गाँवों में जो लोग जूते बनाते हैं, उनकी आय कैसे बढ़ेगी? नहीं! ये सब बस दिल्ली के ऑफिसों में बैठे लोगों के लिए है। जब तक हम अपने गरीबों को नहीं देखेंगे, तब तक ये सब बकवास है।
Priyanjit Ghosh
अरे भाई, ये एफटीए बहुत बड़ी बात है! 🎉 अब तो भारतीय फैशन ब्रिटेन में ट्रेंड होगा, और हमारे जूते लंदन की गलियों में चलेंगे! ये तो हमारी संस्कृति की जीत है! 💃🕺
Anuj Tripathi
ये एग्रीमेंट बहुत अच्छा है लेकिन अगर हम अपने छोटे उद्यमियों को ट्रेनिंग और एक्सेस नहीं देंगे तो ये सिर्फ बड़ी कंपनियों के लिए होगा। हमें इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए और उन्हें सपोर्ट करना चाहिए। हम सब मिलकर इसे सफल बना सकते हैं 😊
Hiru Samanto
मुझे लगता है ये बहुत अच्छा है, बहुत अच्छा लग रहा है। ब्रिटेन के साथ ये बंधन बहुत अच्छा है। मैंने एक बार लंदन में भारतीय कपड़े देखे थे, वो बहुत सुंदर थे। अब वो और भी ज्यादा लोगों तक पहुंचेंगे।
Divya Anish
इस एग्रीमेंट का वास्तविक लाभ तभी होगा जब यह एक व्यापक रूप से लागू होगा, जिसमें छोटे और मध्यम उद्यमों की भागीदारी शामिल हो। फार्मा और IT क्षेत्र में भारत की प्रतिष्ठा बहुत मजबूत है, और इस एफटीए के माध्यम से यह प्रतिष्ठा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और बढ़ेगी। यह एक रणनीतिक विकास का आधार है।
md najmuddin
मुझे लगता है ये बहुत अच्छा है। अब भारतीय उत्पाद ब्रिटेन में आसानी से मिलेंगे। अगर हम अपने छोटे उद्यमियों को सही तरीके से सपोर्ट करें तो ये बहुत बड़ा फायदा होगा। 🤝
Ravi Gurung
कुछ तो हो रहा है ना? अच्छा है।
SANJAY SARKAR
व्हिस्की की कीमत कम होगी तो क्या होगा? मेरे दोस्त के पास एक छोटा सा फैक्ट्री है जहाँ लोग जूते बनाते हैं - उनका क्या होगा?
Ankit gurawaria
ये एफटीए बस एक नया अध्याय नहीं, बल्कि एक नए भारत का जन्म है। हम अपने उत्पादों के माध्यम से दुनिया को बता रहे हैं कि हम केवल लो-कॉस्ट मैन्युफैक्चरिंग नहीं, बल्कि इनोवेशन, कला और स्थायित्व के लिए भी जाने जाते हैं। जब एक ब्रिटिश लड़का एक हाथ से बने भारतीय जूते पहनता है, तो वो न सिर्फ एक उत्पाद खरीद रहा होता है, बल्कि एक संस्कृति को समझ रहा होता है। ये व्यापार नहीं, ये एक संवाद है।