जम्मू-कश्मीर में ड्रग रेगुलेटर का सख्त एक्शन
फार्मेसी की दुकानों पर दवाओं की खरीदी-बिक्री पहले जैसी बात नहीं रह गई है। जम्मू-कश्मीर ड्रग्स एंड फूड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने पूरे इलाके में भारी छापेमारी की। आठ मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस हमेशा के लिए रद्द कर दिए गए और 75 दुकानों को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया। यह कार्रवाई सीधे उस वक्त हुई जब नियमों की धज्जियां उड़ती दिखीं—खासकर नशीली और जम्मू-कश्मीर में पर्ची पर मिलने वाली दवाओं की गैर-कानूनी बिक्री पर।
फार्मेसियों से न केवल जरूरी रिकॉर्ड गायब थे बल्कि कई दुकानों में कंप्यूटराइज्ड बिलिंग सिस्टम भी लागू नहीं था। इसका मतलब, कोई ट्रांजेक्शन पकड़ना या पता लगाना लगभग नामुमकिन। इससे नशीली दवाओं और सायकोट्रॉपिक सब्स्टेंस की अवैध खरीद-फरोख्त आसान हो जाती है। इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला तथ्य ये रहा कि देर रात बिना डॉक्टर की पर्ची के भी दवा बेची जा रही थी।

किन दुकानों पर गिरा गाज, वजह क्या रही?
जिन लाइसेंस का रद्द किया गया, उनमें आतिर एंटरप्राइजेज गंजिवाड़ा अनंतनाग, अल-मेहदी मेडिकेट, शहजर फार्मेसी बडगाम, मेडिसिटी फार्मेसी चडूरा, न्यू भट मेडिकेट चडूरा, दार मेडिकेट काजीपोरा, फार्मा प्लस मेडिकेयर राजौरी और हैप्पी सैनी मेडिकल हॉल मढ़ीन शामिल हैं। इन स्टोर्स पर लगातार नियमों का उल्लंघन पाया गया—न रिकॉर्ड, न सही बिलिंग, और न सही निगरानी। ऐसी दुकानों से अवैध या बिना रसीद वाली दवाओं का निकलना बिलकुल भी मुश्किल नहीं था।
ड्रग रेगुलेटर की स्पेशल टीम ने यह साफ कर दिया कि किसी भी हाल में बिना रेगुलेटरी मानकों के फार्मेसी चलाने की छूट अब नहीं दी जाएगी। नशीली दवाओं की ट्रैकिंग के लिए कंप्यूटराइज्ड सिस्टम लागू करना अब अनिवार्य बनाया गया है, ताकि हर दवा का पूरा हिसाब-किताब उपलब्ध रहे। ये कदम समाज में नशे के बढ़ते खतरे को रोकने और डॉक्टरी दवाओं के दुरुपयोग को टोकने की दिशा में बेहद जरूरी है।
स्थानीय जनता से लेकर प्रशासन तक सभी को उम्मीद है कि इस तरह की सख्ती से बिना लाइसेंस और नियमों के उल्लंघन में चल रही फार्मेसियों पर लगाम लगेगी और दवाओं की बिक्री अधिक पारदर्शी और सुरक्षित हो सकेगी।