ओडिशा चुनाव 2024: भाजपा की बढ़त, बीजद को झटका
न्यूज18 मेगा एग्जिट पोल के अनुसार, 2024 के ओडिशा लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को महत्वपूर्ण बढ़त मिलती दिख रही है। एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक, बीजेपी 13-15 सीटें जीत सकती है, जो 2019 में 8 सीटों से काफी अधिक है। दूसरी ओर, बीजू जनता दल (बीजद) के 6-8 सीटों पर सिमटने की संभावना है, जिसने 2019 में 12 सीटें हासिल की थीं।
ओडिशा की सियासत में बदलाव
ओडिशा की राजनीति में यह एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। बीजेपी और इंडिया गठबंधन ने मौजूदा चुनावों में कड़ी टक्कर दी है, जिसमें बीजेपी ने अपने प्रचार को काफी आक्रामक तरीके से चलाया। इसके अलावा, बीजद प्रमुख नवीन पटनायक अपनी छठी बार मुख्यमंत्री बनने का लक्ष्य लेकर चुनाव मैदान में उतरे थे।
चुनाव के मुख्य चरण और क्षेत्रों पर नज़र
ओडिशा में पांच चरणों में चुनाव हुआ, जो 13 मई से 1 जून के बीच संपन्न हुआ। इस दौरान कुल 21 लोकसभा और 147 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हुआ। प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में कालाहांडी, नबरंगपुर, बेरहामपुर, कोरापुट और अन्य शामिल हैं।
नौकरी और विकास बने मुख्य मुद्दे
इस बार चुनाव में विकास और रोजगार के मुद्दों पर खासा जोर रहा। लोगों को उम्मीद थी कि जो भी सरकार बनेगी, वह इन मुद्दों पर ध्यान देगी। बीजेपी ने अपने प्रचार में विकास और रोजगार को प्रमुख मुद्दा बनाकर बड़ा वोट बैंक अपने पक्ष में करने की कोशिश की।
बीजेपी का प्रचार और ताकत
बीजेपी ने इस बार प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई बड़े नेताओं ने ओडिशा में कई रैलियां कीं। पार्टी का उद्देश्य था कि राज्य में अधिक से अधिक सीटें हासिल की जाएं और केंद्र में फिर से सत्ता पर काबिज हों।
बीजद की दुर्दशा
बीजद के लिए यह चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण रहा। पिछले चुनाव में जहां बीजद ने 12 सीटें जीती थीं, इस बार उसे 6-8 सीटों पर सिमटने का अनुमान है। बीजद प्रमुख नवीन पटनायक ने पूरे राज्य में कई सभाओं को संबोधित किया, लेकिन उनका जादू शायद इस बार उतना नहीं चला।
आम जनता की राय और उम्मीदें
ओडिशा के आम लोग इस बार किसी बड़े बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। जनता चाहती है कि जो भी सरकार बने, वह उनके हितों का ध्यान रखे। खासकर नौजवान वर्ग रोजगार की मांग कर रहा है और इसे लेकर उनकी उम्मीदे भी काफी हैं।
चुनावी परिणामों की स्थिति
एग्जिट पोल के नतीजों से यह साफ हो रहा है कि ओडिशा की राजनीति में बड़ा बदलाव हो सकता है। अगर बीजेपी वाकई 13-15 सीटें जीतती है, तो यह उसके लिए बड़ी जीत होगी। हालांकि, वास्तविक स्थिति चुनावी परिणामों के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी।
निष्कर्ष
ओडिशा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल के नतीजे आगामी दिशा को स्पष्ट करते हैं। बीजेपी के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है, जबकि बीजद को नुकसान उठाना पड़ सकता है। अब सबकी निगाहें 2024 के चुनावी परिणामों पर टिकी हैं, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि ओडिशा की जनता ने किसे अपनी सेवा में चुना है।
टिप्पणि
dinesh singare
भाजपा ने बस रैलियां भर दीं और सोचा कि ओडिशा का दिल जीत जाएगा? ये लोग तो हर राज्य में विकास का नारा लगाते हैं, लेकिन असली बदलाव कहाँ है? बीजद के खिलाफ जो भी आंकड़े आ रहे हैं, वो सब एग्जिट पोल के बाद भी निकले हैं। असली आंकड़े तो बाद में आएंगे।
Harsh Bhatt
ये जो बीजेपी की 13-15 सीटों की बात है, वो तो बस एक नाटक है। ओडिशा की जनता ने अभी तक अपनी आत्मा को बेचा नहीं है। बीजद के लिए ये सिर्फ एक झटका नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। जब तक तुम लोग गाँव-गाँव जाकर नहीं सुनते, तब तक ये राजनीति बस बाजार की बात बनी रहेगी।
मैंने कालाहांडी में एक बूथ पर एक बूढ़े आदमी से बात की - उन्होंने कहा, 'मैंने नवीन को चुना था, क्योंकि वो भी तो यहीं का लड़का था।' ये लोग बस वोट नहीं बेचते, वो अपनी पहचान बेचते हैं।
भाजपा के नेता तो अब ओडिशा के लिए देश का आत्मसमर्पण करने की बात कर रहे हैं, लेकिन ओडिशा का आत्मसमर्पण तो उनके लिए नहीं, बल्कि अपने लिए है।
मैं तो सोचता हूँ कि अगर ये चुनाव बिना किसी नेता के होता, तो शायद अभी तक बीजद की जीत नहीं होती।
जनता बस इतना चाहती है - नौकरी, बिजली, पानी, और कोई भी नेता जो उसकी आवाज़ सुने।
हम तो बस इंतज़ार कर रहे हैं कि कौन असली बदलाव लाएगा - ना तो दिल का नारा, ना तो बोली का नारा।
एग्जिट पोल तो अंदाज़ा है, असली दिल की धड़कन तो वो आंकड़े बताएंगे जो आज रात आएंगे।
मैं तो उम्मीद करता हूँ कि ओडिशा का इतिहास फिर से लिखा जाए - ना भाजपा के नाम से, ना बीजद के नाम से, बल्कि जनता के नाम से।
Priyanjit Ghosh
अरे भाई, बीजेपी के लिए ये तो बस एक बड़ा सा विकास का बाज़ार है 😅
मोदी जी की रैली देखकर लोग भाग रहे हैं, लेकिन घर वापस आकर देखते हैं - बिजली नहीं आई, पानी नहीं है।
ये चुनाव तो वोट नहीं, बल्कि एक भावनात्मक विक्रय है।
बीजद के लिए तो ये एक बड़ा झटका है... लेकिन अगर नवीन पटनायक अब भी अपने घर के बाहर नहीं निकले, तो अगली बार तो बीजेपी वाले उनके घर के बाहर भी रैली कर देंगे 😂
मैं तो बस इतना चाहता हूँ कि अगली बार कोई ऐसा नेता आए जो बिना बोले भी नौकरी दे दे।
Anuj Tripathi
अगर बीजेपी ने 13 सीटें जीत ली तो ये बहुत अच्छा है लेकिन दोस्तों ये सिर्फ शुरुआत है
अब तो देखना है कि वो क्या करते हैं ओडिशा के लिए
बीजद वाले अगर अपने गाँवों में वापस जाकर बात करेंगे तो अभी भी बचा है
मैं तो बस चाहता हूँ कि लोग अपने घर की बात सुनें ना कि रैली की
हर कोई विकास की बात कर रहा है लेकिन कोई असली योजना नहीं बता रहा
अगर तुम्हारी बात बस रैली तक ही रह गई तो फिर वोट भी बस रैली तक ही रह जाएगा
मैं तो बस एक आम आदमी हूँ जिसे बिजली चाहिए ना कि नारे
Hiru Samanto
ओडिशा के लोग तो हमेशा से अपनी पहचान को बचाने की कोशिश करते रहे हैं
बीजेपी का जो भी प्रचार है वो तो बहुत बड़ा है लेकिन ओडिशा की जमीन तो अलग है
मैंने अपने दादा से सुना था कि जब तक राज्य के अपने नेता नहीं होंगे तब तक ये जमीन नहीं बदलेगी
बीजद अभी भी बहुत बड़ा है बस थोड़ा सा ठीक करना होगा
मैं तो बस इतना चाहता हूँ कि हर बच्चे को शिक्षा मिले और कोई भी नेता उसे ना भूले
मुझे लगता है अगर बीजेपी ने वाकई जीत ली तो उन्हें ओडिशा की भाषा और संस्कृति का सम्मान करना होगा
वरना ये भी एक बड़ा गलती होगी
Divya Anish
यह एग्जिट पोल केवल एक आंकड़ा है, न कि एक भविष्यवाणी।
ओडिशा की जनता की असली भावनाएँ, उनकी दर्द भरी कहानियाँ, और उनके रोज़मर्रा के संघर्ष - ये सब इन आंकड़ों में नहीं दिखते।
बीजेपी के प्रचार की ताकत अवश्य है, लेकिन क्या यह ताकत वास्तविक जीवन के समाधान तक पहुँच पाएगी? यह एक बड़ा प्रश्न है।
बीजद के लिए यह एक चुनौती है, लेकिन यह एक अवसर भी है - अपने आधार को फिर से बनाने का, अपने नेतृत्व को फिर से समझने का।
रोजगार और विकास के मुद्दे वास्तविक हैं, लेकिन उनका समाधान रैलियों और नारों से नहीं, बल्कि स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार नीतियों से होगा।
मैं ओडिशा के युवाओं के लिए आशा रखती हूँ - वे अपने भविष्य को अपने हाथों में लेने के लिए तैयार हैं।
चुनाव परिणाम आएंगे, लेकिन वास्तविक बदलाव तभी आएगा जब नेता जनता के साथ बैठेंगे, न कि उनके ऊपर से बोलेंगे।
md najmuddin
बस एक बात कहूँ... जब तक लोगों के घरों में बिजली नहीं आएगी, तब तक जो भी नेता आएगा - वो भी बस एक नाम होगा 😌
मैंने देखा है, बीजद के नेता गाँव में जाते हैं, बीजेपी के नेता शहर में रैली करते हैं।
अब तो बस इंतज़ार है - कौन लाता है बिजली, और कौन लाता है नारे?
मैं तो बस एक आम आदमी हूँ, मुझे बस एक अच्छी नौकरी चाहिए, ना तो रैली, ना तो नारा 😅