Operation Sindoor: KKR ऑलराउंडर मोईन अली के माता-पिता की डरावनी कहानी

Operation Sindoor: KKR ऑलराउंडर मोईन अली के माता-पिता की डरावनी कहानी
द्वारा swapna hole पर 23.07.2025

ऑपरेशन सिंदूर के बीच चौंकाने वाला अनुभव

कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के मशहूर ऑलराउंडर मोईन अली का परिवार हाल ही में चर्चा में आ गया जब उन्होंने 2025 में हुए Operation Sindoor के दौरान अपने माता-पिता के अनुभव साझा किए। उनकी कहानी एक क्रिकेटर के संघर्ष से कहीं आगे जाती है—यह उस इंसानी कीमत की झलक देती है, जो आम परिवारों को किसी सैन्य कार्रवाई के दौरान चुकानी पड़ती है।

मामला मई 2025 का है, जब भारतीय सेना ने पीओके और पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक शुरू की। यह कार्रवाई एक महीने पहले पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले के जवाब में थी। इस ऑपरेशन में एक साथ नौ ठिकानों को निशाना बनाया गया—कुछ तो पाकिस्तान के काफी अंदर थे। ऐसे माहौल में, जहां हर तरफ डर और अनिश्चितता थी, मोईन के माता-पिता भी लाचार हो गए।

जंग के बीच फंसा एक परिवार

मोईन अली ने बताया कि उनके मां-बाप पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में थे और अचानक बढ़े तनाव के चलते घर लौटना असंभव हो गया था। नजदीकी इलाके में मिसाइल गिरने, धमाकों और सुरक्षा बलों की चेकिंग से नागरिकों को बाहर निकलने की मनाही थी। मोबाइल नेटवर्क कई जगहों पर बाधित हो गया, जिससे अपनों से संपर्क भी मुश्किल हो गया। मोईन का कहना था, "ऐसा लगा, जैसे हम जंग के मैदान में हैं। हर पल डर लगता था कि अब क्या होगा।"

मोईन के बयान से इस पूरे घटना की इंसानी जटिलता उभरती है। आमतौर पर जब हम सीमा पार संघर्ष की खबरें सुनते हैं, तो राजनीति और आतंकवाद पर चर्चा करते हैं। लेकिन ऐसे हालात में जो आम लोग फंस जाते हैं, उनके दर्द और उलझनों पर कम ही बात होती है। मोईन ने खुलकर बताया कि उनके परिवार के मन में सिर्फ एक ही सवाल था—क्या वे सुरक्षित घर लौट पाएंगे?

रोजमर्रा की जरूरतें भी मुश्किल हो गई थीं। दूध, दवाइयां, खाना—सब सीमित हो गया। आस-पास के लोग भी डरे हुए थे, कई परिवार तो घरों से निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई, कामकाज रुक गया। इस हालात ने मोईन के माता-पिता को बेहद मानसिक तनाव में डाल दिया।

ऐसी घटनाएं बताती हैं कि सीमा पर तनातनी का सीधा असर सिर्फ सैनिकों तक सीमित नहीं, बल्कि उन आम नागरिकों के जीवन को भी लगातार झकझोरता है, जिनका शायद राजनीति या हथियारबंद संघर्षों से कोई लेना-देना नहीं होता। मोईन अली की ये कहानी उन अनगिनत परिवारों की आवाज़ बनकर सामने आई है, जो खुद कभी खबर नहीं बन पाते।

टिप्पणि

Avinash Shukla
Avinash Shukla

इस कहानी ने मुझे रुला दिया। 🥺 एक क्रिकेटर के रूप में वो जो खेलता है, उसके पीछे एक परिवार होता है जो अपनी जान लेकर खेल रहा होता है। कभी-कभी हम सिर्फ रन और विकेट ही देख लेते हैं, लेकिन इंसानियत की कीमत कौन समझता है?

जुलाई 23, 2025 AT 23:14
Harsh Bhatt
Harsh Bhatt

अरे भाई, ये सब तो बस राष्ट्रीयता का नाटक है। जब तक हम अपने घर के बाहर जंग लड़ रहे हैं, तब तक हम अपने घर के अंदर बर्बरता को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। ये ऑपरेशन सिंदूर? बस एक धुएं का बादल है जिसके पीछे राजनीति छिपी है।

जुलाई 25, 2025 AT 11:31
dinesh singare
dinesh singare

सुनो यार, ये जो मोईन अली का परिवार फंस गया, वो बिल्कुल अपने आप में एक युद्ध का नमूना है। आतंकवाद के खिलाफ जो कार्रवाई होती है, उसका असर सिर्फ सैनिकों पर नहीं, बल्कि उनके परिवारों पर भी पड़ता है। अगर तुम्हारा बेटा या बेटी बाहर फंस जाए, तो तुम क्या करोगे? बस टीवी पर न्यूज़ देखोगे? कोई नहीं सुनता।

जुलाई 26, 2025 AT 13:29
Priyanjit Ghosh
Priyanjit Ghosh

मज़ाक नहीं, ये कहानी बहुत गहरी है। 🤔 एक आदमी जो बल्लेबाजी करता है, उसकी माँ डर के मारे रात भर जागती है। ये दुनिया क्या है? जहाँ खेल के लिए लोग तालियाँ बजाते हैं, लेकिन उनके परिवार के दर्द को कोई नहीं सुनता।

जुलाई 26, 2025 AT 13:47
Anuj Tripathi
Anuj Tripathi

ये जो बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई वो बात है जिसके बारे में कोई नहीं बोलता। बस एक ऑपरेशन का नाम लेकर खुश हो जाते हैं। लेकिन बच्चे तो अपने घर से बाहर नहीं निकल पा रहे थे भाई। ये भी युद्ध है।

जुलाई 27, 2025 AT 20:40
Hiru Samanto
Hiru Samanto

moin bhai ki kahani ne mujhe sochne par majboor kar diya... kuch log khelte hai aur kuch log jeete hai... dono ka dard same hota hai. ❤️

जुलाई 28, 2025 AT 22:23
Divya Anish
Divya Anish

मुझे लगता है कि हमें इस तरह की कहानियों को अखबारों और स्कूलों में शामिल करना चाहिए। यह न केवल एक व्यक्तिगत दर्द है, बल्कि एक सामाजिक सच है। हमारी शिक्षा प्रणाली युद्ध के नैतिक बोझ को क्यों नहीं समझाती?

जुलाई 29, 2025 AT 15:51
md najmuddin
md najmuddin

बस इतना कहूं कि जब भी कोई खिलाड़ी जीतता है, उसके पीछे एक अनजान माँ और बूढ़ा पिता भी जीतते हैं। उनके दर्द का कोई नाम नहीं होता। लेकिन वो हैं। 🙏

जुलाई 29, 2025 AT 18:00
Ravi Gurung
Ravi Gurung

sirf ek line... ye kahani sab kuch keh deti hai.

जुलाई 30, 2025 AT 08:49

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