पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए तैयारियां
भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने पेरिस ओलंपिक्स 2024 के लिए अपनी तैयारियों को पूरी तरह व्यवस्थित कर दिया है। इस ओलंपिक में भारतीय खेलप्रेमियों और एथलीटों की उम्मीदें बंधी हुई हैं, जहां बेहतर प्रदर्शन और अधिक से अधिक पदकों की आशा की जा रही है। IOA का यह कदम भारतीय एथलीटों की मानसिकता और तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
एथलीटों को मिलेगा दैनिक भत्ता
IOA ने स्पष्ट किया है कि वह पेरिस ओलंपिक्स 2024 में भाग लेने वाले भारतीय एथलीटों को एक दैनिक भत्ता प्रदान करेगा। यह भत्ता एथलीटों के दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए दिया जा रहा है, जिससे वे अपने खेल पर केंद्रित रह सकें और अन्य वित्तीय चिंताओं से मुक्त हो सकें। हालांकि, दैनिक भत्ता की सटीक राशि का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन यह अनुमानित है कि यह राशि पर्याप्त होगी जो एथलीटों की सभी आवश्यकताओं को पूरा करेगी।
भारतीय एथलीटों की वित्तीय सुरक्षा
IOA का यह निर्णय भारतीय एथलीटों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। अक्सर देखा गया है कि अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भाग लेने वाले एथलीटों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे उनका प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है। IOA ने इस बात का ध्यान रखते हुए सुनिश्चित किया है कि भारतीय एथलीट बिना किसी वित्तीय तनाव के केवल अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
पेरिस ओलंपिक का शेड्यूल
पेरिस ओलंपिक्स 2024 जुलाई महीने में आयोजित किए जाएंगे, और भारतीय एथलीटों ने इसके लिए अपनी तैयारियों को जोर-शोर से शुरू कर दिया है। विभिन्न खेलों में भारतीय प्रतिभागियों का चयन जारी है, और उनके प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी सावधानीपूर्वक तैयार किया जा रहा है।
पदक जीतने की उम्मीद
पेरिस ओलंपिक्स 2024 में भारतीय एथलीटों से उच्च प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। IOA का यह कदम एथलीटों के मनोबल को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि वित्तीय सुरक्षा के चलते एथलीट अपने खेल पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाएंगे और देश के लिए अधिक से अधिक पदक जीतने में सक्षम होंगे।
भविष्य की योजनाएँ
IOA द्वारा प्रस्तुत की गई यह योजना भविष्य में भी भारतीय एथलेटिक्स के क्षेत्र में योगदान कर सकती है। अगर यह मॉडल सफल रहता है, तो इसे अन्य अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भी लागू किया जा सकता है, जिससे भारतीय खेल क्षेत्र को अत्यधिक लाभ हो सकता है।
टिप्पणि
Reetika Roy
यह भत्ता देने का फैसला अच्छा है, लेकिन अब तक जो एथलीट्स ने पदक जीते हैं, उन्हें भी इतना सम्मान मिलना चाहिए था। अब जब ओलंपिक आ रहा है, तो ये बातें शुरू हो गईं।
Sanjay Bhandari
thik hai toh abhi bhi koi kisiko nahi de raha tha kya? bas abhi paise dene lage hain 😅
Mohit Sharda
इससे पहले भी कई एथलीट्स अपनी जेब से खर्च करते थे, अब तो बहुत अच्छा हुआ। उम्मीद है ये भत्ता सिर्फ बड़े खिलाड़ियों तक ही सीमित नहीं रहेगा। छोटे खेलों के लोगों को भी इसका फायदा मिले।
Pritesh KUMAR Choudhury
इस निर्णय को एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जा सकता है, जो भारतीय खेल प्रशासन में एक सकारात्मक परिवर्तन की ओर इशारा करता है। वित्तीय सुरक्षा एक अनिवार्य आधार है जिस पर उत्कृष्टता का निर्माण होता है।
Mersal Suresh
इस भत्ते की राशि का खुलासा न करना एक गंभीर लापरवाही है। एथलीट्स को बजट की जानकारी चाहिए, न कि अनुमान। यह अनिश्चितता उनकी तैयारी को नुकसान पहुंचा सकती है। IOA को जवाबदेही बढ़ानी होगी।
Pal Tourism
yrr ye sab bhaiya kya kar rahe hain? 1000 rs daily? 5000? koi batayega? jo bhi ho, sabse pehle shooting aur wrestling ke logon ko dena chahiye, unki toh kabhi koi nahi dekhta
Sunny Menia
यह भत्ता सिर्फ पैसा नहीं, एक संदेश है कि भारत अपने एथलीट्स को मानता है। अगर यह लगातार जारी रहा, तो देश का खेल जीवन बदल जाएगा।
Abinesh Ak
अरे भाई, अब तक तो एथलीट्स के लिए बेड़े बनाने के लिए पैसे नहीं मिलते थे, अब ओलंपिक के लिए दैनिक भत्ता? ये तो बहुत बड़ी बात है... जब तक राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भी खाने के लिए नहीं मिलता, ये सब नाटक है।
Ron DeRegules
इस भत्ते की आर्थिक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होनी चाहिए और इसकी गणना एथलीट के खेल के प्रकार, उसके प्रशिक्षण अवधि, और विदेशी खर्चों के आधार पर होनी चाहिए न कि एक सामान्य राशि जो सभी के लिए एक जैसी हो। यह व्यवस्था व्यापक और समग्र होनी चाहिए न कि सिर्फ एक दैनिक भत्ते के रूप में सीमित। अगर यह एक लंबी अवधि के लिए लागू होता है तो इसका प्रभाव अत्यधिक गहरा होगा।
Manasi Tamboli
क्या हम सिर्फ पदकों के लिए ही एथलीट्स को समर्थन देते हैं? या हम उनकी जिंदगी के लिए भी सोचते हैं? ये भत्ता तो बस एक दर्पण है जिसमें हम अपनी भावनाओं को देखते हैं - जब जीतने की उम्मीद हो, तब दिल खुलता है, वरना कोई नहीं सुनता।
Ashish Shrestha
यह भत्ता एक नाटकीय चाल है। अगर IOA वास्तव में एथलीट्स के प्रति समर्पित होता, तो वह दशकों से ऐसा कर रहा होता। अब जब ओलंपिक का दौर आ गया है, तो ये सब बनावट है।
Mallikarjun Choukimath
इस भत्ते का आर्थिक संरचनात्मक महत्व एक नवीन युग की शुरुआत है - जहाँ शारीरिक उपलब्धि को केवल राष्ट्रीय गौरव के रूप में नहीं, बल्कि मानवीय अधिकार के रूप में सम्मानित किया जाएगा। यह एक दर्शन है, जो भारत के खेलों के अध्यात्मिक और दार्शनिक इतिहास के साथ अभिव्यक्त होता है।