मोदी की चुनावी रैली में उठे गंभीर सवाल
हाल ही में ओडिशा में एक लोकसभा चुनाव रैली के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बिगड़ती सेहत के मुद्दे को लेकर गंभीर सवाल उठाए। मोदी ने अपने भाषण में कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मुख्यमंत्री की स्वास्थ्य स्थिति की जांच करेगी। इस संदर्भ में उन्होंने एक वीडियो का जिक्र किया जिसमें पटनायक के निजी सचिव वीके पांडियन उनके कांपते हुए हाथ को थामते हुए नजर आ रहे हैं।
क्या है पूरी घटना?
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि सीएम पटनायक के हाथ में कम्पन हो रहा है, जिसे देखते हुए पांडियन ने उनका हाथ थाम लिया। इसे लेकर प्रधानमंत्री ने सवाल उठाया कि कहीं पटनायक के स्वास्थ्य के पीछे किसी प्रकार की साजिश तो नहीं है। मोदी ने कहा कि पटनायक का स्वास्थ्य खराब होना चिंताजनक है और उनके खिलाफ कोई षड्यंत्र रचा जा रहा हो सकता है।
बीजेपी की रणनीति
बीजेपी नेताओं ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक, हिमंता बिस्वा सरमा और अमित मालवीय ने भी इस वीडियो को साझा किया और टिप्पणी की कि पटनायक के कार्यकाल को अब समाप्त कर देना चाहिए। उनकी टिप्पणियों में संकेत था कि पटनायक की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि अब वे नए नेतृत्व की आवश्यकता है।
ओडिशा के लोगों की भावना
मोदी ने रैली में कहा कि ओडिशा के लोग एक ओडिया मुख्यमंत्री चाहते हैं, और पांडियन के गैर-ओडिया मूल का मुद्दा उठाया। बीजेपी ने पांडियन को ओडिशा की राजनीति में 'बाहरी' करार देते हुए यह तनाव बढ़ाया है। इस बयान से स्पष्ट है कि पार्टी ममता दीदी की चुनावी रणनीति की तर्ज पर यहां भी क्षेत्रीयता को प्रधानता दे रही है।
नवीन पटनायक का जवाब
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बीजेपी के इन आरोपों को 'ध्यान भटकाने' का तरीका बताया। उन्होंने अपने वीडियो संदेश में अपने कांपते हुए बाएं हाथ को दिखाया और स्पष्ट किया कि यह स्थिति उन्हें कम से कम पांच साल से है। पटनायक ने कहा कि विपक्ष के पास कोई वास्तविक मुद्दा नहीं है इसलिए वे इस तरह की बातें कह रहें हैं।
वर्तमान स्थितियां
यह मुद्दा राजनीतिक दलों के बीच गंभीर आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र बन गया है। एक तरफ बीजेपी को लगता है कि पटनायक जल्द ही अपनी सेवा से मुक्त हो जाएं, जबकि बीजेडी और पटनायक खेमे का कहना है कि वे फिट हैं और उनके नेतृत्व में सरकार स्थिर रूप से काम कर रही है। दोनों पार्टियों के बीच यह विवाद और बढ़ सकता है, खासकर निकट भविष्य में होने वाले चुनाव को देखते हुए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मुद्दे से दोनों पार्टियां अपने-अपने समर्थकों के बीच मजबूत आधार बना सकती हैं।