शरद पूर्णिमा 2024: महाकाल और संदीपनी आश्रम में उत्सव की तिथि और धार्मिक अनुष्ठान

शरद पूर्णिमा 2024: महाकाल और संदीपनी आश्रम में उत्सव की तिथि और धार्मिक अनुष्ठान
द्वारा नेहा शर्मा पर 16.10.2024

शरद पूर्णिमा का महात्म्य

शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह विशिष्ट अवसर साल में एक बार आता है जब चाँदनी रात सफेद चाँद से भरी होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा की किरणों से औषधीय गुण प्रसारित होते हैं, और इसलिए खीर जैसा भोजन चाँदनी में रखा जाता है। इस परंपरा का उद्देश्य आध्यात्मिक और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करना है।

महाकाल और संदीपनी आश्रम का महत्व

महाकाल और संदीपनी आश्रम उज्जैन के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। यहाँ शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है। महाकाल मंदिर विशेष रुप से भगवान शिव को समर्पित है, और यहाँ शरद पूर्णिमा की रात विशेष पूजा का आयोजन होता है। इसके अलावा, संदीपनी आश्रम में ऋषि संदीपनी की शिक्षाओं के अनुसार विशेष धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है।

खीर का प्रसाद और उसकी धार्मिक मान्यता

शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाना और इसे चाँदनी रात में रखने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा की किरणों के संपर्क में आने से खीर में चिकित्सकीय गुण आ जाते हैं। इसे अगले दिन प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। यह एक प्रकार की मीठी खीर होती है जिसमें दूध और चावल मुख्य सामग्री होती है। यह परंपरा न केवल धर्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

तिथि की पुष्टि और आयोजन

शरद पूर्णिमा के आयोजन की तिथि को लेकर कुछ भ्रम था, लेकिन अब यह साफ हो चुका है कि महाकाल और संदीपनी आश्रम में यह उत्सव 16 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस तारीख को विशेष आयोजनों और धार्मिक सभाओं का आयोजन किया जाएगा, जिसमें वेदों के मंत्रोच्चार और विशेष आरती होगी। यह दिन सामूहिक भक्ति के प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध है।

संस्कृति और आध्यात्म का संगम

शरद पूर्णिमा पर महाकाल और संदीपनी आश्रम में आयोजित होने वाले कार्यक्रम केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी हैं। इस अवसर पर संगीत और नृत्य का आयोजन किया जाता है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता और उसकी गहराई को प्रस्तुत करता है।

भविष्य की पीढ़ियों के लिए संदेश

शरद पूर्णिमा जैसे उत्सव केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं हैं, बल्कि वे युवाओं को हमारी पुरानी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर से जोड़ने का एक माध्यम भी हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन त्यौहारों के महत्व को समझें और आने वाली पीढ़ियों को भी इसकी महत्ता से अवगत कराएं। इसका संदेश है कि हम अपने जीवन में अध्यात्म और ज्ञान का सम्मान करें।

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