सीरिया के गृह युद्ध में अबु मोहम्मद अल-जोलानी : असद सरकार को गिराने का दावा

सीरिया के गृह युद्ध में अबु मोहम्मद अल-जोलानी : असद सरकार को गिराने का दावा
द्वारा swapna hole पर 8.12.2024

सीरिया का गृह युद्ध: अबु मोहम्मद अल-जोलानी की नई रणनीति

सीरिया के गृह युद्ध में लगातार बदलावों के बीच, अबु मोहम्मद अल-जोलानी एक ऐसा नाम है जो हाल के दिनों में उग्रवादी गतिविधियों के लिए चर्चित हुआ है। जोलानी, जो कि हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेता हैं, ने अब दमिश्क के बाहर स्थित उपनगरों में चल रही लड़ाई के बीच बीते दिनों दावा किया कि उनका मकसद असद सरकार को गिराकर एक नई प्रजातांत्रिक सरकार की स्थापना करना है। जोलानी, जिन्होंने पहले अमेरिका के खिलाफ इराक में संघर्ष किया और सीरिया में आत्मघाती हमलावरों का उपयोग किया, ने दावा किया है कि उनका अब अल-कायदा से कोई संबंध नहीं है। वो अब केवल मौजूदा सीरियाई शासन के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।

जोलानी का नया दृष्टिकोण और संघर्ष की दिशा

जोलानी का कहना है कि उनके समूह की योजना एक ऐसी सरकार की स्थापना करना है जो जनता द्वारा चुनी गई परिषद पर आधारित हो। HTS ने सीरिया के गृह युद्ध में मोहल्लों और शहरों पर कब्जा जमाने में बड़ी भूमिका निभाई है जिसमें कई बड़े शहर भी शामिल हैं। हालांकि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने जोलानी को आतंकवादी घोषित किया है, जोलानी ने स्वयं को अल-कायदा से अलग बताते हुए कहा है कि उनका संघर्ष अब असद शासन और उसके सहयोगियों के खिलाफ है।

सीरिया में हाल ही में देखे गए गृह युद्ध के पुनरारंभ राजनीतिक और सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। जोलानी ने अपनी रणनीति में एक बहु-सूत्री दृष्टिकोण अपनाया है। इसमें कुछ प्रमुख शहरों से ईरानी मिलिशिया और चरमपंथियों को हटाना और इस्लामिक स्टेट और उसके सहयोगियों से मुकाबला करना शामिल है।

सीरिया में स्थिति और वैश्विक परिप्रेक्ष्य

सीरिया में स्थिति एक जटिल विवाद में बदल गई है जहां एक ओर असद सरकार ने रूसी समर्थन पर निर्भरता बढ़ा दी है। दूसरी ओर, जोलानी ने पिछले कुछ वर्षों में अपने रणनीतिक सहयोगियों और वित्तीय संसाधनों को मजबूत किया है। HTS ने खुद के दाताओं को पर्शियन गल्फ से हासिल किया है, राजस्व को कराधान और संपत्तियों की जब्ती के माध्यम से एकत्र किया है। साथ ही, यह कई लड़ाकों को आकर्षित कर रहा है।

इसपरिप्रेक्ष्य में जोलानी की भूमिका एक खास बन जाती है क्योंकि एक ओर वो खुद को अल-कायदा से अलग बता रहे हैं और दूसरी ओर वह इस्लामिक स्टेट जैसे अन्य चरमपंथी गुटों के साथ समझौते और योजनाओं में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। जोलानी और उनकी रणनीति पर निरंतर ध्यान प्रचार कर रही है कि कैसे HTS सीरिया में अपना मजबूत स्थान बना रहा है और क्या यह भविष्य में किसी परिवर्तन का संकेत दे सकता है।

समस्याएँ और संघर्ष का भविष्य

गृह युद्ध की विभीषिका ने सीरिया को एक अतिवादी हिंसा का अखाड़ा बना दिया है। हालांकि HTS एक चरमपंथी समूह है, लेकिन जोलानी का दावा है कि उनका अब एक राजनीतिक दिशा में जा रहा है। उनके दावे और उनकी वास्तविकता के बीच काफी अंतर है, जोकि अलग-अलग समूहों और सरकारों के लिए एक विषय बना हुआ है। सीरिया में लगातार हिंसा और संघर्ष की स्थिति ने दुनिया भर में चिंता बढ़ा दी है कि क्या वहां स्थिरता आ सकती है।

सीरिया का भविष्य यह दर्शाता है कि किस प्रकार कठोर संगठनों और शासन की युद्धनीतियों के बीच संघर्ष जारी रहेगा। यह स्थिति सीरिया में शांति की दिशा में बड़ा प्रश्न चिह्न है जिसमें जोलानी जैसे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका बनी रहेगी।

टिप्पणि

Anish Kashyap
Anish Kashyap

ये सब बकवास सुनकर लगता है जैसे कोई बाजार में नया साबुन लॉन्च कर रहा हो जिसका नाम है 'अल-कायदा नहीं, बस एक अच्छा आदमी'। असली दुनिया में लोग अपने हथियारों से बात करते हैं, न कि ट्वीट्स से।
मैंने तो सोचा था ये लोग अब टीवी पर डॉक्यूमेंट्री बना रहे हैं।

दिसंबर 10, 2024 AT 00:18
Sanjay Gupta
Sanjay Gupta

अबु मोहम्मद अल-जोलानी? ये नाम सुनकर लगता है जैसे कोई बॉलीवुड फिल्म का हीरो बनने की कोशिश कर रहा हो।
असल में वो एक आतंकवादी है जिसने सैकड़ों बच्चों को मारा है।
अब वो डेमोक्रेसी की बात कर रहा है? बस अपनी गलतियों को नए नाम से ढकने की कोशिश कर रहा है।
भारत जैसे देश के लिए ये बहुत खतरनाक है कि लोग इस तरह के नारे सुनकर भ्रमित हो जाएं।
इसका असली मकसद तो इस्लामिक कैलिफेट बनाना है, न कि कोई चुनाव।
जो लोग इसकी बात मान लेते हैं, वो खुद को ही धोखा दे रहे हैं।
हमें इस तरह के बहानों से सावधान रहना चाहिए।
इतिहास दिखाता है कि जो लोग आतंकवाद को राजनीति में बदलने का दावा करते हैं, वो सब अंत में अपने ही लोगों को नष्ट कर देते हैं।
हमें इसके बारे में सच्चाई को समझना होगा, न कि उसके नए बैनर को।
ये सब बहाना है, और ये बहाने अब बहुत पुराने हो चुके हैं।
कोई भी आतंकवादी जब अपनी नीति बदलता है, तो वो अपनी ताकत बढ़ाने के लिए करता है, न कि इंसानियत के लिए।
हमें इस तरह के नारों से दूर रहना चाहिए।
इसकी जगह हमें अपने देश की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
ये सब बातें बस एक धोखा है।
और इस धोखे को भारतीय जनता को समझना होगा।

दिसंबर 10, 2024 AT 23:11
Vishal Raj
Vishal Raj

कभी-कभी लगता है जैसे दुनिया बदल रही है, लेकिन लोग अभी भी पुराने दृष्टिकोण से देख रहे हैं।
शायद जोलानी असल में बदल रहा है, या शायद नहीं।
पर एक बात तो साफ है - ये युद्ध अभी भी लोगों को नष्ट कर रहा है।

दिसंबर 11, 2024 AT 17:15
Pal Tourism
Pal Tourism

अरे यार ये लोग हर बार अल-कायदा से अलग होने की बात करते हैं पर असल में वो ही दूसरे लोगों को बार-बार मारते हैं।
ये लोग तो अपने नाम बदल रहे हैं न कि अपने दिमाग।
हालांकि अब तो ये लोग बस अपने आप को बहुत बड़ा समझने लगे हैं।
मैंने तो सुना है एक बार एक आतंकवादी ने कहा था 'मैं अब एक डेमोक्रेट हूं' - और उसके बाद एक बच्चे को बम से उड़ा दिया।
अब ये लोग तो इतने बड़े हो गए हैं कि उनके लिए तो बम भी डेमोक्रेसी का हिस्सा है।

दिसंबर 13, 2024 AT 03:08
Poonguntan Cibi J U
Poonguntan Cibi J U

मैं तो बस ये सोचता हूं कि ये सब लोग अपने आप को कितना बड़ा समझते हैं।
एक आतंकवादी जो बच्चों के खिलाफ हमले करता है, और फिर बस एक बयान देकर कहता है 'मैं अब नया इंसान हूं' - ये तो बस एक बहाना है।
मैंने देखा है कि जब एक आतंकवादी अपनी रणनीति बदलता है, तो वो अपने बलिदानों की संख्या बढ़ाता है, न कि घटाता।
जोलानी के पास अभी भी हजारों लोग हैं जो उसके नाम पर मर रहे हैं।
उसका नया नाम क्या बदल देगा? उसके दिल का रंग? नहीं।
उसके हथियारों का रंग बदल जाएगा, लेकिन उसकी नीयत नहीं।
मैंने देखा है कि जब लोग अपने बारे में बहुत ज्यादा बात करते हैं, तो वो अपने अंदर के डर को छुपाने की कोशिश करते हैं।
जोलानी डर रहा है - डर रहा है कि लोग उसे असली तरीके से देखें।
और इसलिए वो बहुत ज्यादा बातें करता है।
लेकिन जब तक उसके हाथ में बम है, तब तक उसकी बातें बस धुआं हैं।
मैं तो बस ये चाहता हूं कि लोग इस बात को समझें - एक आतंकवादी जो बच्चों को मारता है, वो कभी भी एक नया इंसान नहीं बन सकता।
वो बस अपने अपराध को नए नाम से ढकता है।
और हम लोग उसके नए नाम को मान लेते हैं।
ये बहुत दुखद है।

दिसंबर 14, 2024 AT 00:05
Sanjay Bhandari
Sanjay Bhandari

ये लोग तो हर बार अपना नाम बदल देते हैं पर अपने दिमाग का नहीं... बस एक नया बैनर लगा देते हैं और दुनिया को लगाते हैं कि अब वो नए हैं।
असल में वो तो पुराने ही हैं।

दिसंबर 14, 2024 AT 20:07
Mayank Aneja
Mayank Aneja

अबु मोहम्मद अल-जोलानी का दावा एक राजनीतिक रणनीति है, न कि एक वास्तविक बदलाव।
HTS के अधिकांश अनुयायी अभी भी इस्लामिक शासन के लिए लड़ रहे हैं।
जोलानी के बयानों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आकर्षित करना है, विशेषकर उन देशों को जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहे हैं।
वित्तीय स्रोतों का विश्लेषण दिखाता है कि HTS के राजस्व का 70% अभी भी अवैध गतिविधियों से आता है।
इसके अलावा, उनके शासन के तहत नागरिकों को नियंत्रित करने के लिए अभी भी धमकी और हिंसा का उपयोग किया जा रहा है।
अगर वास्तविक रूप से जनता की चुनावी प्रक्रिया का समर्थन करते हैं, तो उन्हें अपने शासन के तहत चुनाव आयोजित करने चाहिए।
लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं।
इसलिए उनका दावा एक रणनीतिक धोखा है।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए, संयुक्त राष्ट्र के विश्लेषण और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निगरानी समूह की रिपोर्ट्स देखें।
जोलानी के बयानों को निष्पक्ष तरीके से देखना चाहिए, लेकिन उनके कार्यों को भी देखना चाहिए।
कार्यों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
इसलिए ये दावा बस एक बहाना है।

दिसंबर 15, 2024 AT 10:28
Raghvendra Thakur
Raghvendra Thakur

नाम बदलना आत्मा बदलने का नहीं होता।

दिसंबर 16, 2024 AT 19:49
Pritesh KUMAR Choudhury
Pritesh KUMAR Choudhury

अच्छा लगा कि इस बारे में इतनी गहराई से लिखा गया है।
मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक आतंकवादी इतनी अच्छी तरह से अपने बयान दे सकता है।
पर अब लगता है कि ये सब बस एक नए ट्रेंड की तरह है।
हर कोई अब अपने आप को 'मॉडरेट' कहता है।
पर जब तक हथियार बने रहेंगे, तब तक बातें बस धुआं होंगी।

दिसंबर 18, 2024 AT 18:32
Mersal Suresh
Mersal Suresh

जोलानी का यह दावा पूरी तरह से एक राजनीतिक चाल है।
अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के आतंकवादी घोषणा पत्रों के आधार पर, उनकी गतिविधियों का विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि उनका संगठन अभी भी अल-कायदा के आधारभूत सिद्धांतों का पालन करता है।
उनके द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में न्याय प्रणाली, शिक्षा और सामाजिक व्यवस्था में कोई वास्तविक सुधार नहीं हुआ है।
अगर वे वास्तव में लोकतांत्रिक सरकार की ओर बढ़ रहे होते, तो वे अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में चुनाव आयोजित करते।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
उनके द्वारा जारी बयानों में बार-बार एक ही शब्द आता है - 'मुकाबला'।
इसका अर्थ है कि उनका लक्ष्य शांति नहीं, बल्कि अधिकार की लड़ाई है।
उनके आर्थिक स्रोतों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि वे अभी भी बाजारों, रास्तों और नागरिकों पर कर लगा रहे हैं।
यह लोकतांत्रिक शासन के विपरीत है।
इसलिए यह दावा एक धोखा है, और इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।
हमें इस तरह के बयानों के बजाय उनके कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
कार्यों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
इसलिए यह दावा बस एक रणनीतिक धोखा है।

दिसंबर 18, 2024 AT 19:02
Mohit Sharda
Mohit Sharda

मैं नहीं जानता कि जोलानी असल में बदल रहा है या नहीं।
लेकिन ये बात साफ है कि ये युद्ध अभी भी लाखों लोगों को पीड़ित कर रहा है।
अगर वो असल में शांति चाहते हैं, तो उन्हें बस एक बार बंदूक रख देनी चाहिए।
बस एक बार।
और फिर बात करना शुरू कर देना चाहिए।
लेकिन जब तक वो हथियार नहीं छोड़ते, तब तक कोई बात नहीं होगी।

दिसंबर 20, 2024 AT 14:29
Vishal Bambha
Vishal Bambha

ये सब बकवास तो हमारे देश में भी होता है।
एक आदमी बदलता है, लेकिन उसके अंदर का विचार नहीं।
हम भी तो अपने नाम बदलते हैं, अपने बैनर बदलते हैं, लेकिन अपने दिल को नहीं।
इसलिए ये सब बस एक नए रूप में पुरानी बात है।
अगर तुम असल में बदलना चाहते हो, तो बस एक बार बंदूक रख दो।
और फिर देखो कि लोग क्या कहते हैं।

दिसंबर 21, 2024 AT 01:29
Kunal Mishra
Kunal Mishra

अबु मोहम्मद अल-जोलानी का यह दावा एक बहुत ही शिक्षित और रणनीतिक धोखा है।
उनके बयानों में एक विशेष रूप से चुने गए शब्दों का उपयोग किया गया है - 'प्रजातांत्रिक', 'जनता द्वारा चुनी गई परिषद', 'अल-कायदा से अलग' - जो एक विशेष रूप से तैयार किए गए भाषण का हिस्सा हैं, जिन्हें विश्वविद्यालयों और राजनीतिक संचार विशेषज्ञों द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
इसका उद्देश्य विश्व समुदाय के लिए एक नया, 'मॉडरेट' इमेज बनाना है, जिससे उनके लिए वित्तीय और राजनीतिक समर्थन प्राप्त हो सके।
लेकिन इसके पीछे का वास्तविक इतिहास, उनके अतीत के अपराध, और उनके द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में लागू किए गए नियम इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर देते हैं।
उनके नियंत्रण वाले क्षेत्रों में न्याय प्रणाली अभी भी शरिया के आधार पर है, जिसमें अनुचित दंड, शारीरिक दंड और नागरिक स्वतंत्रता का पूर्ण अभाव है।
कोई चुनाव नहीं हुए।
कोई स्वतंत्र मीडिया नहीं है।
कोई स्वतंत्र न्यायपालिका नहीं है।
कोई विपक्ष नहीं है।
यह लोकतांत्रिक शासन के विपरीत है।
इसलिए यह दावा एक बहुत ही चतुर और खतरनाक धोखा है, जिसे न केवल राजनीतिक रूप से, बल्कि नैतिक रूप से भी खारिज किया जाना चाहिए।
इस तरह के बयानों को अपने अपराधों के लिए नहीं, बल्कि उनके वास्तविक कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
और यही वास्तविकता है।

दिसंबर 21, 2024 AT 22:51
Reetika Roy
Reetika Roy

इस बारे में सोचना बंद करो कि वो बदल गया है या नहीं।
सवाल ये है कि वो अभी भी लोगों को मार रहा है।
और उसके लिए अभी भी कोई जवाब नहीं है।

दिसंबर 23, 2024 AT 20:00
Vallabh Reddy
Vallabh Reddy

अबु मोहम्मद अल-जोलानी के दावे का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि उनका नया नारा एक राजनीतिक रणनीति है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच विश्वास जमा करना है।
हालांकि उनके बयानों में लोकतांत्रिक शब्दावली का उपयोग किया गया है, लेकिन उनके द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में शासन प्रणाली में कोई वास्तविक परिवर्तन नहीं हुआ है।
शरिया कानून के तहत न्याय, नागरिक स्वतंत्रताओं का अभाव, और राजस्व अर्जित करने के लिए कराधान और संपत्ति जब्ती का उपयोग - ये सभी लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विपरीत हैं।
इसलिए उनका दावा एक धोखा है, जिसे विश्लेषणात्मक रूप से अस्वीकार किया जाना चाहिए।
उनके कार्यों के आधार पर, उनकी नीतियाँ अभी भी एक चरमपंथी संगठन की तरह हैं।
इसलिए उनके दावे को विश्वास नहीं किया जाना चाहिए।

दिसंबर 24, 2024 AT 03:29

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