शीटल देवी ने ग्वांजु में पैरा तीरंदाज़ी में स्वर्ण पदक जता कर इतिहास रचा

शीटल देवी ने ग्वांजु में पैरा तीरंदाज़ी में स्वर्ण पदक जता कर इतिहास रचा
द्वारा swapna hole पर 28.09.2025

जब शीटल देवी, जम्मू और कश्मीर की 18‑साल की तीरंदाज, ने पैरा वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिपग्वांजु, दक्षिण कोरिया में महिलाओं के कॉम्पाउंड व्यक्तिगत दौर में ओज़नुर क्यूरे गिर्दी (विश्व नं. 1) को 146‑143 से हराकर स्वर्ण पदक जीत ली, तो देश भर में उत्साह की लहर दौड़ गई।

इतिहास की ओर एक कदम

यह जीत सिर्फ एक गोल्ड मेडल नहीं, बल्कि एक ऐसा मोड़ है जहाँ एक अँगूठे‑हिन्‍दी के बिना तीरंदाज़ ने अपनी निराली तकनीक से सबको चकित कर दिया। 2023 में पिलेसेन (पोलैंड) में हुई वही फाइनल जहाँ शीटल ने 138‑140 से हारी थी, आज की याद दिला गई – ‘देवता का अदला‑बदली’। दो साल बाद, वही प्रतिद्वंद्वी भी इस बार चुपचाप उसकी बेंच पर फिट हो गया।

प्रतियोगिता का विस्तृत विवरण

सेमीफाइनल में भारतीय जॉडी ग्रिनहैम (ब्रिटेन) को शीटल ने 145‑140 से मात दी। इस जीत में चार ‘10’ और दो ‘9’ ने निर्णायक भूमिका निभाई। फाइनल में दो बारी‑बारी के राउंड में दोनों ने आश्चर्यजनक शॉट लगाए, पर अंत में शीटल की ‘पैर‑जुबान’ तकनीक ने ओज़नुर को पछाड़ दिया।

टीम इवेंट में, सरिता देवी के साथ मिलकर शीटल ने खुली टीम फाइनल में थ्रिलर खेला, लेकिन टर्किश जोड़ी ओज़नुर क्यूरे गिर्दी और बर्सा फातमा उन्न के सामने 148‑152 से हारकर रजत पदक साथ ले आई।

  • कुल मेडल: भारत ने इस चैंपियनशिप में 5 मेडल (2 स्वर्ण, 1 रजत, 2 कांस्य) जीते।
  • समय‑सीमा: 27 सितंबर 2025 – फाइनल, 24 सितंबर 2025 – अर्द्धफाइनल।
  • स्कोर हाइलाइट: व्यक्तिगत फाइनल 146‑143, टीम फाइनल 148‑152।
  • मुख्य प्रतिद्वंद्वी: ओज़नुर क्यूरे गिर्दी (तुर्की) – विश्व क्रमांक 1।

भारतीय प्रतिनिधियों की टीम प्रदर्शन

भारतीय तीरंदाज़ी संघ, वर्ल्ड आर्चरी की आधिकारिक घोषणा के अनुसार, इस बार भारत ने दो शीर्ष स्थान हासिल किए। टॉमन कुमार ने मिश्रित टीम में अपना पहला स्वर्ण पदक जीत कर टीम को गौरवान्वित किया।

कोच रवि शेष, जिन्होंने टीम को तकनीकी सलाह दी, ने कहा, “हमारी तैयारी दो साल पहले से ही शुरू थी, और शीटल का मनोबल हमेशा ऊंचा रहा।” इस तरह की टीम भावना ने भारत को इस स्तर पर पहुँचा दिया।

विजयी की व्यक्तिगत कहानी

शीटल के लिए तीरंदाज़ी सिर्फ खेल नहीं, बल्कि जीवन‑समान था। 2023 में द इंडियन एक्सप्रेस के एक साक्षात्कार में उसने कहा: “शुरुआत में हाथ‑पाँव नहीं होते थे, फिर भी मैंने बाउ‍ को उठाने की कोशिश की। दो‑तीन महीने की मेहनत के बाद सब ठीक हो गया।” वह अपना धन्यवाद अपने माता‑पिता और गाँव के दोस्तों को देती हैं, “उनके विश्वास ने ही मुझे इस मुकाम तक पहुँचाया।”

उसकी तकनीक – पैरों से बाण खींचना और ठोड़ी से लक्ष्य पर निशाना साधना – इसे दिग्गज तीरंदाज़ी कोषी भी “अद्भुत” कहते हैं। इस अनूठी शैली ने न केवल प्रतिद्वंद्वियों को हैरान किया, बल्कि कई युवा दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रेरित किया।

भविष्य की दिशा और उम्मीदें

शीटल ने अगले साल के एशियन पैरा गेम्स की तैयारी शुरू कर दी है। उसका लक्ष्य अगली बार भी इस पदक को दोहराना और भारत को पहले एशियाई स्वर्ण विजेता बनाना है। कोच रवि शेष ने कहा, “यदि शीटल जैसी जीतें लगातार आती रहेंगी, तो भारतीय पैरा तीरंदाज़ी का नज़रिया पूरी दुनिया में बदल जाएगा।”

योजना में अब अधिक प्रशिक्षण सत्र, उन्नत उपकरण और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में नियमित भागीदारी शामिल हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि शीटल का सफलता मॉडल अन्य खेलों में भी लागू हो सकता है।

Frequently Asked Questions

शीटल देवी की यह जीत भारत की पैरा तीरंदाज़ी को कैसे प्रभावित करेगी?

यह जीत न केवल medals की गिनती बढ़ाएगी, बल्कि भारत में दिव्यांग खेलों के लिए जागरूकता भी बढ़ाएगी। इससे सरकारी और निजी निवेश दोनों में इजाफा होने की संभावना है, और युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी।

ओज़नुर क्यूरे गिर्दी को हार कर शीटल ने कौन‑से अभूतपूर्व रिकॉर्ड तोड़े?

वह पहली अँगूठे‑हिन्‍दी के बिना महिला तीरंदाज़ बनी जो विश्व क्रमांक 1 को व्यक्तिगत अंतिम दौर में हरा कर स्वर्ण पदक जीतती है। साथ ही, 2025 की इस जीत ने उसे दो साल पहले की हार का प्रतिकार करने का मौका दिया।

पैर‑जुबान तकनीक से तीरंदाज़ी में क्या लाभ हैं?

पैर‑जुबान तकनीक से स्थिरता और नियंत्रण में सुधार होता है, खासकर जब हाथ नहीं होते। शीटल ने दिखाया है कि सही अभ्यास और शरीर की समझ से यह तकनीक उच्च स्तर की सटीकता प्रदान कर सकती है।

ग्वांजु में आयोजित इस चैंपियनशिप का भारत पर क्या आर्थिक असर पड़ा?

भारत ने पाँच मेडल लेकर अंतरराष्ट्रीय ख्याति बढ़ाई, जिससे स्पॉन्सरशिप और सरकारी फंडिंग में संभावित वृद्धि होगी। साथ ही, दक्षिण कोरिया की मेजबानी से खेल यात्रा खर्च में भी भारतीय टीम को अनुभव मिला।

अगले एशियन पैरा गेम्स में शीटल किन चुनौतियों का सामना कर सकती हैं?

मुख्य चुनौती होगी निरंतर फॉर्म बनाए रखना और नई प्रतिस्पर्धियों के सामने अपनी तकनीक को अपडेट करना। साथ ही, मानसिक दबाव और बड़े मंच पर उम्मीदों का संतुलन भी एक बड़ा पहलू रहेगा।