हर साल अक्टूबर‑नवंबर में दुर्गा अष्टमी आता है। इस वर्ष भी कई शहरों में बड़े मेले लगे हैं, विशेष प्रांगण सजे हैं और माँ दुर्गा की आरती का शोर गूँज रहा है। अगर आप जानना चाहते हैं कि कब, कहाँ सबसे अच्छा मनाया जाता है और क्या खास कार्यक्रम चल रहे हैं, तो आगे पढ़ें।
दुर्गा पूजा में सबसे पहले घरों के आंगन या पंडाल में ध्वजा लगाई जाती है। फिर कलश जलाकर माँ दुर्गा का पूजन शुरू होता है। इस साल भी कई जगहें पारम्परिक ‘संध्या आरती’ और ‘महिषासुर मोचन स्तोत्र’ के साथ पूजा करती हैं। अगर आप पहली बार भाग ले रहे हैं तो साफ‑सफ़ाई, धूप‑दीप जलाना और प्रसाद तैयार करना सबसे आसान काम है।
भोजन में ‘सरसों का साग’, ‘लड्डू’, ‘खिचड़ी’ और मिठाइयाँ मुख्य होते हैं। कई नगरपालिकाएँ अब सार्वजनिक स्वच्छता अभियान के साथ इस त्योहार को मनाने की सलाह देती हैं, इसलिए कचरा न फेंके और पर्यावरण के प्रति जागरूक रहें।
जिलों में अलग‑अलग तारीख़ पर ‘शोभा प्रदर्शनी’ और सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित हो रहे हैं। जैसे कि मुंबई में 7 अक्टूबर को बड़े पंडाल में नृत्य प्रतियोगिता, दिल्ली में 9 अक्टूबर को संगीत सभा और कोलकाता में 11 अक्टूबर को ‘दुर्गा सत्संग’। इन कार्यक्रमों की टिकटिंग ऑनलाइन चल रही है, इसलिए देर नहीं करनी चाहिए।
अगर आप यात्रा योजना बना रहे हैं तो रेल एवं बसें इस अवधि में भरपूर चलती हैं। कई स्टेशनों पर विशेष ‘शुभमंगल’ बोर्ड लगा होते हैं जो दर्शकों को समय‑समय पर सूचना देते रहते हैं। कुछ राज्यों ने सड़कों पर ट्रैफ़िक प्रबंधन के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है, जिससे भीड़भाड़ कम होती है।
यहाँ तक कि हमारे पास ‘गणेश चतुर्थी 2025’ की खबरें भी थीं, जहाँ कई स्कूल बंद थे और लोग इस अवधि में घर से ही पूजा कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि त्योहारों का सिलसिला एक-दूसरे के साथ जुड़ता जा रहा है, इसलिए आप अपनी छुट्टियों को एक साथ प्लान कर सकते हैं।
अंत में याद रखें: दुर्गा अष्टमी सिर्फ़ महालक्ष्मी की पूजा नहीं, बल्कि सामाजिक संगम भी है। इस साल भी लोग मिल‑जुलकर खाने‑पीने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले रहे हैं। आप भी अपने परिवार के साथ इस उत्सव को सरलता से मनाएँ, पर सफाई और सुरक्षा का ध्यान रखें।
दुर्गा अष्टमी, नवरात्रि का महत्वपूर्ण दिन, 10 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। यह माँ महागौरी की आराधना का दिन है। भक्त माँ दुर्गा से शक्ति, समृद्धि, और आध्यात्मिक ज्योति की प्रार्थना करते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। सफेद वस्त्र धारण करना और विशेष मंत्र व प्रार्थनाएं करना इस दिन की खासियत है।