क्या आपने कभी सोचा है कि नवरात्रि का मुख्य कारण क्या है? दरअसल, इस पर्व की जड़ महिषासुर नाम के दानव में है। वह एक ऐसा राक्षस था जिसका रूप बफ़ाल (भैंसे) जैसा और इंसान जैसी दोहरावन करता था। उसकी कहानी सुनते‑सुनते ही हमें समझ आता है कि सच्ची शक्ति किसे कहते हैं।
पुराणों के अनुसार, महिषासुर ब्रह्मा जी की इच्छा से बना था, लेकिन उसने अपना जीवन शत्रुता में बिता दिया। वह बहुत ही बलवान और घमंडी था; अपने आप को देवताओं से भी ऊपर मानता था। उसके पास एक विशेष वरदान था – हर बार पूर्णिमा के दिन वह मनुष्य रूप में बदल जाता था, जबकि बाकी दिनों में वह भैंसे जैसा दिखता था। इस वजह से उसे मारना मुश्किल हो गया था।
देवताओं ने कई बार उसका नाश करने की कोशिश की, लेकिन उसकी दोहरी रूप-राखी के कारण वे असफल रहे। अंत में, ब्रह्मा जी ने एक योजना बनाई – उन्होंने सभी देवियों को मिलाकर देवी दुर्गा का निर्माण कराया। दुर्गा ने अपने दस हाथों से महिषासुर को घेर लिया और जब वह भैंसे के रूप में आया तो उसे पकड़ कर मार डाला। इस जीत ने नवरात्रि की शुरुआत की, जहाँ हर रात एक‑एक स्वरूप में दुर्गा की शक्ति को मनाया जाता है।
महिषासुर का अंत सिर्फ़ एक लड़ाई नहीं, बल्कि अहंकार के ऊपर सत्य और धर्म की जीत थी। यही कारण है कि नवरात्रि में हम देवी दुर्गा को मातृत्व, साहस और न्याय की प्रतीक मानते हैं। हर रोज़ का संघर्ष हमारे अंदर भी वही प्रश्न उठाता है – क्या हम अपने गर्व में फँसे हैं या सच्ची शक्ति को पहचानते हैं?
अगर आप इस कथा से प्रेरणा लेना चाहते हैं, तो रोज‑रोज के छोटे‑छोटे कामों में ईमानदारी और धैर्य अपनाएँ। जैसे दुर्गा ने महिषासुर को हराया, वैसें ही हम भी अपने जीवन की कठिनाइयों को पार कर सकते हैं।
महिषासुर की कहानी हमें सिखाती है कि शक्ति केवल शारीरिक ताकत में नहीं, बल्कि नैतिक दृढ़ता और सत्य के साथ जुड़ी होती है। नवरात्रि के नौ दिन इस बात का जश्न मनाते हैं – हर रात एक नई सीख, एक नया उत्सव।
इसलिए अगली बार जब आप दुर्गा पूजा देखें या महिषासुर की कथा पढ़ें, तो इसे सिर्फ़ पौराणिक कहानी नहीं, बल्कि अपने जीवन में लागू करने वाला एक मार्गदर्शन समझें। यही है इस टैग पेज का मकसद – आपको सरल भाषा में महत्वपूर्ण जानकारी देना और आपके सवालों के जवाब देना।
दुर्गा अष्टमी, नवरात्रि का महत्वपूर्ण दिन, 10 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। यह माँ महागौरी की आराधना का दिन है। भक्त माँ दुर्गा से शक्ति, समृद्धि, और आध्यात्मिक ज्योति की प्रार्थना करते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। सफेद वस्त्र धारण करना और विशेष मंत्र व प्रार्थनाएं करना इस दिन की खासियत है।