आपने अक्सर टाटा ग्रुप को कार, फोन या फैक्ट्री से जोड़ा होगा, लेकिन उनके सबसे बड़े कामों में से एक है टाटा ट्रस्ट्स। ये फाउंडेशन 1892 से चल रहा है और देश के कई हिस्सों में स्कूल, अस्पताल, जल परियोजनाएँ बनाता है। अगर आप भी इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं तो यहाँ पढ़िए कैसे.
सबसे पहले शिक्षा पर देखें तो टाटा ट्रस्ट्स ने ग्रामीण स्कूलों में लाइब्रेरी और कंप्यूटर लैब लगाई है। इससे बच्चों को डिजिटल साक्षरता मिलती है और पढ़ाई में रुचि बढ़ती है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में ट्रस्ट ने कई सरकारी अस्पतालों को उपकरण प्रदान किए हैं, जैसे कि एम्बुलेंस, एक्स‑रे मशीनें और मातृ‑शिशु देखभाल केन्द्र। इन सुविधाओं से छोटे शहरों में इलाज आसान हो गया है।
पानी और स्वच्छता भी इनके काम का बड़ा हिस्सा है। टाटा ट्रस्ट्स ने कई गांवों में जल शुद्धिकरण प्लांट लगाए हैं, जिससे लोग बिना बोतल के साफ पानी पी सकें। इसके अलावा वे सौर ऊर्जा से चलने वाले लाइटिंग सिस्टम भी स्थापित करते हैं, ताकि रात में पढ़ाई या काम करना आसान हो सके.
अगर आप दान देना चाहते हैं तो ट्रस्ट की वेबसाइट पर ‘Donate’ बटन है। न्यूनतम राशि 500 रुपये से शुरू कर सकते हैं और टैक्स छूट भी मिलती है। स्वयंसेवा करने के लिए नजदीकी प्रोजेक्ट का पता लगाएँ और उनके कोऑर्डिनेटर से संपर्क करें। अक्सर उन्हें स्कूल में पढ़ाने वाले, कंप्यूटर ट्रेनिंग देने वाले या स्वास्थ्य शिविर में मदद करने वाले लोगों की जरूरत रहती है.
एक और आसान तरीका है ‘डोना‑ए‑बॉक्स’ योजना—आप अपने घर के पास रखे बॉक्स में छोटे-छोटे दान (जैसे किताबें, कपड़े) डाल सकते हैं। ट्रस्ट इन्हें इकट्ठा करके जरूरतमंदों तक पहुंचाता है। इस तरह आप बिना बड़े खर्च के भी मदद कर सकते हैं.
टाटा ट्रस्ट्स की खबरें नियमित रूप से पढ़ना भी फायदेमंद है। इससे पता चलता है कि कौन‑सी नई योजना शुरू हुई, किस क्षेत्र में मदद पहुँचाई गई और किन चुनौतियों का सामना किया गया। इस जानकारी से आप अपनी योगदान रणनीति बेहतर बना सकते हैं.
संक्षेप में, टाटा ट्रस्ट्स सिर्फ बड़ी कंपनियों की शाखा नहीं बल्कि एक सामाजिक शक्ति है जो शिक्षा, स्वास्थ्य और जल जैसे बुनियादी क्षेत्रों को मजबूत करती है। आपका छोटा सा सहयोग भी इन पहलों को आगे बढ़ाने में बड़ा असर डाल सकता है. इसलिए अगली बार जब आप दान या स्वयंसेवा के बारे में सोचें तो टाटा ट्रस्ट्स को ज़रूर देखें.
नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जो उनके आधे भाई रतन टाटा के निधन के बाद आया। इस निर्णय के पीछे उनकी वर्षों की संगठनात्मक समझ और नेतृत्व भूमिका में अनुभव शामिल हैं। टाटा ट्रस्ट्स अब शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और समुदाय विकास जैसी पहलों पर ध्यान केंद्रित करेगा।