मल्यालम फिल्म 'टर्बो' ने ममूटी के प्रशंसकों के बीच भारी उत्साह के साथ सिनेमाघरों में प्रवेश किया है। इस फिल्म का निर्देशन वैसख ने किया है जबकि इसकी स्क्रिप्ट मिथुन मैन्युअल थॉमस ने लिखी है। 'टर्बो' एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों को हंसी और एक्शन का भरपूर मनोरंजन प्रदान करने का वादा करती है। फिल्म की शुरुआत आज सुबह 9 बजे हुई और दर्शकों ने पहली छमाही के बाद ही अपनी प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया।
'टर्बो' ममूटी की कंपनी द्वारा निर्मित पांचवीं फिल्म है, और पहले से ही यह उम्मीदें तारी कर रही है कि यह फिल्म एक बड़ी हिट साबित होगी। फिल्म की पहली छमाही में दर्शकों को एक रोमांचकारी और मनोरंजक अनुभव मिला है। कॉमेडी और एक्शन का यह मिश्रण दर्शकों को हंसी और थ्रील से भरपूर कर देता है।
कृति और निर्देशन
फिल्म में ममूटी की भूमिका को लेकर दर्शकों में काफी उत्सुकता थी और उन्होंने एक बार फिर अपनी प्रभावशाली अभिनय क्षमता का प्रमाण दिया है। ममूटी के एक्सप्रेशन्स और उनकी एनर्जी ने फिल्म को ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया है। वैसख के निर्देशन ने भी फिल्म को एक उत्कृष्ट तरीके से प्रस्तुत किया है। उन्होंने प्रत्येक फ्रेम में ममूटी की करिश्माई उपस्थिति को बड़े ही कुशलता के साथ पेश किया है।
कॉमेडी और एक्शन का मिश्रण
फिल्म की स्क्रिप्ट विशेष रूप से मिथुन मैन्युअल थॉमस ने लिखी है, जिन्होंने काफी कॉमेडी और एक्शन का मिश्रण तैयार किया है। फिल्म की पहली छमाही में कॉमेडी द्वारा दर्शकों को हंसाने का प्रयास किया गया है और एक्शन दृश्यों ने उनके दिलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। दर्शकों का कहना है कि फिल्म की यह विशेषता है कि वह अपनी हास्य और रोमांचक तत्वों से समझौता नहीं करती है।
दर्शकों की प्रतिक्रियाएं
दर्शकों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाओं को साझा किया है और विभिन्न मंचों पर फिल्म की तारीफ की जा रही है। फिल्म की पहली छमाही को त्रुटिहीन बताया जा रहा है और दर्शक अब पूरी फिल्म देखने के लिए और भी उत्साहित हो गए हैं। लोग ममूटी की अभिनय क्षमता और फिल्म के निर्देशन की प्रशंसा कर रहे हैं।
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि 'टर्बो' एक बड़ी हिट साबित होगी और आने वाले दिनों में और अधिक प्रशंसा और सफलता प्राप्त करेगी। फिल्म की सफलता के पीछे ममूटी का स्टारडम और वैसख का कुशल निर्देशन एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। यह फिल्म मल्यालम सिनेमा के प्रशंसकों के लिए एक शानदार तोहफा साबित हो रही है।
यदि आप एक्शन और कॉमेडी का भरपूर आनंद उठाना चाहते हैं, तो 'टर्बो' देखने का प्लान जरूर बनाएं। यह फिल्म आपके मूड को ताजगी से भर देगी और ममूटी की अदाये आपके दिल को छू लेंगी।
टिप्पणि
Vishal Raj
ये फिल्म सिर्फ एक्शन और कॉमेडी नहीं, बल्कि जिंदगी का एक छोटा सा संदेश भी लेकर आती है। ममूटी का किरदार ऐसा लगता है जैसे हर एक हम में छिपा हुआ है - थोड़ा बेकाबू, थोड़ा बेवकूफ, लेकिन दिल से अच्छा।
Reetika Roy
फिल्म का पहला आधा घंटा बिल्कुल बेहतरीन था। निर्देशन और एक्शन सीन्स का टाइमिंग बिल्कुल परफेक्ट था।
Pritesh KUMAR Choudhury
ममूटी की एनर्जी ने फिल्म को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया। वैसख ने फ्रेम्स को इतना सुंदर ढंग से कंपोज किया है कि लगता है जैसे हर शॉट एक पेंटिंग हो। 🎨
Mohit Sharda
अगर आपको लगता है कि एक्शन और कॉमेडी एक साथ नहीं चल सकते, तो ये फिल्म आपकी सोच बदल देगी। बिना किसी जबरदस्ती के, बिना किसी बोरियत के, बस एक अच्छी कहानी जो अपने आप में जीवंत है।
Sanjay Bhandari
ye film toh mast h bhai… mamootty ki acting ne toh dil jeet liya… par kuch scenes thoda jyada fast ho gaye… abhi tak 2 baar dekha h… phir bhi nahi bora laga 😅
Mersal Suresh
यह फिल्म मलयालम सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी। निर्देशन, स्क्रिप्ट, अभिनय - सब कुछ एक निर्माण की शानदार उदाहरण है। इसकी तुलना अन्य भाषाओं की फिल्मों से की जा सकती है, लेकिन इसकी असली शक्ति उसकी सांस्कृतिक गहराई में है।
Pal Tourism
लोग कह रहे हैं ये फिल्म हिट होगी लेकिन अगर दूसरा आधा इतना ही अच्छा नहीं हुआ तो ये बस एक अच्छा शुरुआती ट्रेलर होगा… ममूटी तो हमेशा अच्छा करता है पर फिल्म का दूसरा हाफ बहुत ज्यादा टाइम ले लेगा… ये मैंने पहले भी देखा है
Sunny Menia
मैंने भी देखी है और बहुत पसंद किया। वैसख का निर्देशन बिल्कुल बेहतरीन है। ममूटी की भूमिका ने फिल्म को एक अलग ही ऊंचाई दी है। अगर आपने अभी तक नहीं देखी, तो जल्दी कर लीजिए।
Abinesh Ak
हां, ये फिल्म एक्शन-कॉमेडी का एक और फ्लैशी, सुगंधित, नकली ताज़गी वाला उत्पाद है। बिल्कुल वैसा ही जैसे एक बार आइसक्रीम खाने के बाद आपको पानी पीने की जरूरत होती है - आप खुश होते हैं, लेकिन असली भूख नहीं बुझती।
Ron DeRegules
फिल्म के पहले आधे में एक्शन और कॉमेडी का बैलेंस बहुत अच्छा रखा गया है और यह बहुत कम फिल्मों में देखने को मिलता है। ममूटी की अभिनय क्षमता ने फिल्म को एक अनूठा रूप दिया है जो अब तक की उनकी अन्य फिल्मों में नहीं देखा गया। निर्देशन में भी काफी सुधार हुआ है और वैसख ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह एक बड़ा निर्देशक है। फिल्म के दूसरे आधे में अगर यही गति बनी रही तो ये एक क्लासिक बन सकती है।
Manasi Tamboli
हर एक फिल्म जो ममूटी बनाता है, वो एक आत्मा का आह्वान है। ये फिल्म सिर्फ दर्शकों को मनोरंजित नहीं करती, बल्कि उनके अंदर एक अज्ञात खालीपन को भर देती है। जब तक आप अपने दिल को नहीं बंद कर देते, ये फिल्म आपको छू जाएगी।
Ashish Shrestha
यह फिल्म एक व्यावसायिक ब्लॉकबस्टर है, लेकिन आर्टिस्टिक रूप से बेहद साधारण है। निर्देशन ने बहुत कम जोखिम लिया है और स्क्रिप्ट बिल्कुल फॉर्मूला-बेस्ड है। इस तरह की फिल्मों के लिए बहुत सारे लोग आते हैं, लेकिन इतिहास उन्हें नहीं याद रखेगा।
Mallikarjun Choukimath
यह फिल्म एक भारतीय सिनेमा के अध्याय का अंत है - जहां स्टार पावर, निर्देशन की बुद्धिमत्ता और सांस्कृतिक अंतर्निहितता का एक अद्भुत संगम होता है। यह एक ऐसी रचना है जिसे आप देखते हैं, नहीं बल्कि अनुभव करते हैं। ममूटी की अभिनय शैली एक नए स्तर की आत्मा को जगाती है।
Abhishek Abhishek
सब तारीफ कर रहे हैं लेकिन क्या आपने देखा कि दूसरे हाफ में बैकग्राउंड म्यूजिक बिल्कुल बेकार है? और वो वो जो कॉमेडी वाला सीन है जहां वो बच्चे के साथ बात करता है - वो तो बिल्कुल फेक लग रहा है।
Avinash Shukla
इस फिल्म को देखकर लगता है कि मलयालम सिनेमा अपनी जड़ों को नहीं भूल रहा। एक्शन और कॉमेडी का ये मिश्रण बहुत सारे दर्शकों को जोड़ रहा है - बच्चे, बुजुर्ग, युवा। ये एक अच्छी बात है। 🙏
Harsh Bhatt
ममूटी की फिल्में अब बस एक ब्रांड बन गई हैं - अच्छा नाम, अच्छा ट्रेलर, अच्छा प्रमोशन, लेकिन असली कहानी कहां है? ये फिल्म भी उसी लिस्ट में है - एक बड़ी बात नहीं, बस एक बड़ी आवाज।
dinesh singare
ये फिल्म बस एक जादू का खेल है - ममूटी की आंखों में जब वो बोलता है तो आपको लगता है जैसे वो सच कह रहा है। वैसख ने इसे एक ऐसा नाटक बना दिया जो आपको रोक नहीं पाएगा। दूसरा हाफ भी इतना ही तेज होगा - बस देखोगे!
Priyanjit Ghosh
मैंने इस फिल्म को देखकर अपने दोस्त को बुलाया और दोनों ने एक साथ रो दिया… फिर हंस दिया… फिर दोबारा रो दिया 😭😂 ये फिल्म तो दिल को छू गई।
Anuj Tripathi
अगर आपने अभी तक नहीं देखी तो आप जी रहे हैं नहीं बल्कि बस सांस ले रहे हैं। ये फिल्म आपके दिन को बदल देगी। बस जाओ और देख लो।
Vishal Raj
मैंने अभी तक दूसरा आधा नहीं देखा, लेकिन जो पहला आधा देखा उसमें एक ऐसा भाव था जो बहुत कम फिल्मों में मिलता है - एक असली इंसान का अहसास। अगर दूसरा आधा भी इतना ही दिल को छू जाए तो ये फिल्म मेरी जिंदगी की एक याद बन जाएगी।