'Thalavan': बीजू मेनन और आसिफ अली की शानदार परफॉर्मेंस के साथ एक अच्छी तरह से बनी इन्वेस्टिगेटिव थ्रिलर | मूवी रिव्यू

'Thalavan': बीजू मेनन और आसिफ अली की शानदार परफॉर्मेंस के साथ एक अच्छी तरह से बनी इन्वेस्टिगेटिव थ्रिलर | मूवी रिव्यू
द्वारा swapna hole पर 24.05.2024

'Thalavan': बीजू मेनन और आसिफ अली की शानदार परफॉर्मेंस के साथ एक अच्छी तरह से बनी इन्वेस्टिगेटिव थ्रिलर

मलयालम फिल्म 'Thalavan' जो हाल ही में रिलीज हुई है, ने अपने दर्शकों के बीच खूब चर्चा बटोरी है। जेस जॉय के निर्देशन में बनी इस फिल्म में बीजू मेनन और आसिफ अली प्रमुख भूमिकाओं में हैं। फिल्म की कहानी दो पुलिस अधिकारियों, जयशंकर (बीजू मेनन) और कार्तिक (आसिफ अली) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक जटिल हत्या के मामले की जांच कर रहे हैं।

फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अत्यधिक नाटक से बचती है और एक तार्किक स्वर बनाए रखती है। बीजू मेनन ने अपने अभिनय में एक स्वाभाविकता दिखाई है जो उनकी भूमिका को और अधिक यथार्थवादी बनाती है। वहीं, आसिफ अली की भूमिका पूर्वाग्रह को परे छोड़कर एक महत्वपूर्ण उद्देश्य को पूरा करती है।

कहानी की गहराई और परफॉर्मेंस

'Thalavan' की कहानी बिना किसी स्पष्ट सुराग के स्वाभाविक रूप से आगे बढ़ती है, जिससे दर्शकों की उत्सुकता बनी रहती है। फिल्म के अन्य सहायक कलाकारों में दिलीश पोथन, मिया जॉर्ज, अनुस्री, और कोट्टायम नज़ीर शामिल हैं, जिन्होंने अपने-अपने रोल में अच्छा प्रदर्शन किया है।

फिल्म का क्लाइमेक्स अच्छी तरह से किया गया है और इसके अंत में अत्यधिक नाटकीयता से बचा गया है। हालांकि, फिल्म का अंत रोचक और संतोषजनक था, जबकि प्रतिपक्षी के चरित्र को और विस्तार देने की आवश्यकता महसूस होती है।

निर्देशन और तकनीकी पहलू

फिल्म के निर्देशक जेस जॉय ने थ्रिलर विधा में एक अनूठा दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है जो 'Thalavan' को अन्य जांच आधारित थ्रिलर्स से अलग करता है। फिल्म की निर्देशन शैली से लेकर उसकी सिनेमैटोग्राफी और म्यूजिक तक हर चीज अच्छी तरह से संयोजित है।

फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर कहानी के तनाव और रोमांच को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर दृश्य को अच्छी तरह से फिल्माया गया है और संपादन का काम भी प्रशंसनीय है।

अन्य महत्वपूर्ण पहलू

फिल्म में पुलिस की जाँच प्रक्रिया और इसके विभिन्न पहलुओं को अच्छी तरह से दिखाया गया है। जयशंकर और कार्तिक का चरित्र विकास इस प्रकार किया गया है कि वे अपनी कमजोरियों और विशेषताओं के साथ यथार्थवादी लगते हैं।

फिल्म में कोई भी दृश्य अनावश्यक नहीं लगता और हर किसी का एक उद्देश्य होता है। कहानी में सार है और उसकी गति भी संतुलित है, जिससे दर्शक पूरी फिल्म में जुड़ा रहता है।

अंततः, 'Thalavan' उन लोगों के लिए एक बेहतरीन फिल्म है जो इन्वेस्टिगेटिव थ्रिलर्स के प्रशंसक हैं। बीजू मेनन और आसिफ अली के शानदार अभिनय से सज्जित यह फिल्म एक मनोरंजक अनुभव प्रदान करती है। फिल्म देखने वालों के लिए यह निश्चित रूप से एक अनुशंसनीय विकल्प है और इसे देखने का अनुभव निश्चित रूप से संतोषजनक रहेगा।

टिप्पणि

Sitara Nair
Sitara Nair

ये फिल्म तो बस एक झलक है उस पुराने जमाने की जिसमें कहानी पर ध्यान दिया जाता था... बिना किसी ड्रामा के, बिना किसी गाने के, बस दो आदमी और एक मामला... 🥹❤️

मई 26, 2024 AT 16:31
Abhishek Abhishek
Abhishek Abhishek

अरे ये फिल्म तो बहुत ही बोरिंग थी... कोई बड़ा ट्विस्ट नहीं, कोई बड़ा एक्शन नहीं, बस दो आदमी बैठे हैं दाग ढूंढ रहे हैं। इतना बड़ा बहस क्यों?

मई 27, 2024 AT 07:16
Avinash Shukla
Avinash Shukla

बीजू मेनन का अभिनय तो बस एक शानदार अनुभव था... उनकी आँखों में सारी कहानी छिपी थी। और आसिफ अली का किरदार भी बहुत सूक्ष्म था। इस फिल्म ने मुझे याद दिला दिया कि अभिनय कभी-कभी चुप्पी में भी होता है। 🙏

मई 28, 2024 AT 15:12
Harsh Bhatt
Harsh Bhatt

इस फिल्म को 'थ्रिलर' कहना बिल्कुल गलत है। ये तो एक धीमी बातचीत की रिकॉर्डिंग है जिसमें दो पुलिस अधिकारी अपने बैग में कॉफी पी रहे हैं। निर्देशन तो बहुत ठीक है, लेकिन इसे एक फिल्म नहीं, एक डॉक्यूमेंट्री कहना चाहिए।

मई 30, 2024 AT 03:25
dinesh singare
dinesh singare

अरे भाई, ये फिल्म तो बहुत बढ़िया है! बीजू मेनन ने जिस तरह से अपने चरित्र को जीवंत किया, वो तो बस एक जादू था। आसिफ अली ने भी बिना किसी बड़े डायलॉग के दर्शक को अपने साथ ले गया। ये फिल्म बॉलीवुड के लिए एक बड़ा संदेश है!

मई 30, 2024 AT 07:11
Priyanjit Ghosh
Priyanjit Ghosh

अरे यार, इतना बड़ा बहस क्यों? फिल्म देखो और चले जाओ... बीजू मेनन की आवाज़ सुनकर मैंने तो खुद को बिना बाथरूम के बाथरूम में ले जाया 😅

मई 31, 2024 AT 12:19
Anuj Tripathi
Anuj Tripathi

अगर तुम अभिनय को समझते हो तो ये फिल्म तुम्हारे लिए है नहीं तो ये तो बस एक घंटे का सोना है

जून 1, 2024 AT 03:45
Hiru Samanto
Hiru Samanto

मुझे लगता है ये फिल्म बहुत अच्छी है बीजू मेनन का अभिनय तो बहुत अच्छा है और कहानी भी बहुत अच्छी है और निर्देशन भी बहुत अच्छा है

जून 2, 2024 AT 08:19
Divya Anish
Divya Anish

इस फिल्म के निर्माण और निर्देशन के स्तर को देखते हुए, यह भारतीय सिनेमा के लिए एक उल्लेखनीय योगदान है। जेस जॉय के दृष्टिकोण ने एक ऐसा वातावरण बनाया है जिसमें प्रत्येक शब्द, प्रत्येक चुप्पी और प्रत्येक छाया अर्थपूर्ण है। यह एक शास्त्रीय उदाहरण है कि कैसे कम शब्दों से अधिक भावनाएँ व्यक्त की जा सकती हैं।

जून 3, 2024 AT 13:36
md najmuddin
md najmuddin

ये फिल्म तो बस एक शांत बारिश की तरह है... धीरे-धीरे दिल में घुल जाती है। बीजू मेनन की आँखों में देखोगे तो लगेगा जैसे उनके अंदर सारा कोसम छिपा है 😊

जून 4, 2024 AT 06:54
Ravi Gurung
Ravi Gurung

मुझे लगा ये फिल्म अच्छी है बीजू मेनन अच्छा है आसिफ अली भी अच्छा है निर्देशन भी अच्छा है

जून 5, 2024 AT 15:26
SANJAY SARKAR
SANJAY SARKAR

क्या ये फिल्म किसी असली पुलिस ऑफिसर के दिन की तरह है? क्या वाकई इतनी धीमी होती है जांच?

जून 7, 2024 AT 00:44
Ankit gurawaria
Ankit gurawaria

ये फिल्म एक ऐसी बातचीत है जो आपके दिमाग में बैठ जाती है। बीजू मेनन का चरित्र तो बस एक ऐसा आदमी है जिसने अपने जीवन के हर दर्द को अपने अंदर दबा रखा है, और आसिफ अली का किरदार उसके लिए एक दर्पण है जो उसे वो दिखाता है जो वो खुद नहीं देखना चाहता। ये फिल्म बस एक अपराध की जांच नहीं, बल्कि एक आत्मा की खोज है। और जेस जॉय ने इसे इतनी नाजुकता से बनाया है कि आपको लगता है जैसे आप उनके साथ चल रहे हों।

जून 8, 2024 AT 21:40
AnKur SinGh
AnKur SinGh

इस फिल्म के माध्यम से, जेस जॉय ने एक नवीन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जो भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा। बीजू मेनन का अभिनय एक विश्वसनीय और मानवीय अभिव्यक्ति है, जो अत्यधिक नाटकीयता से परे जाकर वास्तविकता को उजागर करता है। इसकी सिनेमैटोग्राफी और संगीत ने एक ऐसा वातावरण बनाया है जो दर्शक को न केवल देखने, बल्कि अनुभव करने के लिए प्रेरित करता है। यह एक अत्यंत उच्च स्तरीय चित्रण है।

जून 9, 2024 AT 10:10
Sanjay Gupta
Sanjay Gupta

ये फिल्म तो बस मलयालम फिल्मों की अपनी बेकारी का एक और उदाहरण है। इतना धीमा, इतना बोरिंग, और फिर भी लोग इसे 'अच्छी फिल्म' कह रहे हैं? भारतीय सिनेमा तो बस इसी तरह की फिल्मों से डूब रहा है।

जून 11, 2024 AT 00:20
Sitara Nair
Sitara Nair

अरे भाई, तुम्हारी बात समझ आ रही है... पर अगर तुमने एक बार अपने दिमाग को बंद करके बस देख लिया होता, तो तुम्हें पता चलता कि ये फिल्म कितनी खूबसूरती से दर्द को दर्शाती है। बस इतना ही नहीं, ये फिल्म तुम्हें खुद के बारे में भी सोचने पर मजबूर कर देती है... 🤍

जून 11, 2024 AT 08:55

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