वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे: 5 जून को मनाए जाने वाले पर्यावरण दिवस का महत्व

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे: 5 जून को मनाए जाने वाले पर्यावरण दिवस का महत्व
द्वारा swapna hole पर 3.06.2024

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे: एक परिचय

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे हर साल 5 जून को मनाया जाता है। यह दिन पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने और उन्हें सुलझाने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दिन को पहली बार 1972 में संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावरण सम्मेलन के उपलक्ष्य में मनाया गया था, जो स्टॉकहोम, स्वीडन में आयोजित हुआ था। इसके बाद, 1973 में पहली बार वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे मनाया गया और तब से इसे हर साल मनाया जा रहा है।

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे का उद्देश्य

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे का प्रमुख उद्देश्य है: जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापन, जैव विविधता की हानि, और अन्य महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करना। यह दिन हमें इन मुद्दों के बारे में सोचने और अपने कार्यों के माध्यम से पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए प्रेरित करता है। इसके माध्यम से, व्यक्तियों, समुदायों, और सरकारों को सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया जाता है।

हर साल एक नया थीम

हर साल एक नया थीम

हर साल वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे के लिए एक नया थीम तय किया जाता है, जिससे वह साल के प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों को उजागर किया जा सके। 2024 में वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे का थीम 'भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण, और सूखा लचीला' है। इस थीम का उद्देश्य है: भूमि क्षरण को रोकना, मरुस्थलीकरण की समस्या का समाधन निकालना, और सूखा प्रभावित क्षेत्रों को लचीला बनाना।

भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण

संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण विरोधी सम्मेलन के अनुसार, दुनिया की लगभग 40% भूमि क्षरित हो चुकी है, जो वैश्विक जनसंख्या के आधे हिस्से को प्रभावित करती है। भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण के कारण खेती योग्य भूमि की कमी हो रही है, जिससे खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो रहा है। इसके साथ ही, मरुस्थलीकरण जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने में भी योगदान देता है।

सूखा और उसकी चुनौतियाँ

सूखा और उसकी चुनौतियाँ

सूखा एक अन्य गंभीर मुद्दा है, जिसकी घटना और अवधि में हाल के वर्षों में 29% की बढ़ोतरी हुई है। सूखा न केवल पानी की कमी का कारण बनता है, बल्कि यह कृषि, पशुपालन, और स्थानीय समुदायों पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, यदि हम तुरंत कार्रवाई नहीं करते हैं, तो 2050 तक तीन-चौथाई विश्व की जनसंख्या सूखे से प्रभावित हो सकती है।

भूमि पुनर्स्थापन के महत्व

भूमि पुनर्स्थापन का मतलब है क्षतिग्रस्त और क्षरित भूमि को पुनः उत्पन्न और उत्पादक बनाने के लिए प्रयास करना। इसके लिए वृक्षारोपण, मिट्टी संरक्षण, और सतत कृषि तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। भूमि पुनर्स्थापन के माध्यम से जैव विविधता बढ़ाई जा सकती है, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सकता है, और स्थानीय समुदायों की संभावनाएँ बढ़ाई जा सकती हैं।

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे की भूमिका

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे की भूमिका

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे एक चेतावनी का दिन है; यह हमें पर्यावरणीय समस्याओं की गंभीरता को समझने और उसे सुधारने के लिए कार्रवाई करने को प्रेरित करता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सभी को एकजुट होकर पर्यावरण सुरक्षा के लिए काम करना चाहिए। यह न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि हमारे भविष्य की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।

व्यक्तिगत प्रयासों का महत्व

व्यक्तिगत स्तर पर, हम कई उपाय कर सकते हैं, जैसे: बिजली की खपत को कम करना, सौर ऊर्जा का उपयोग, कचरे का सही ढंग से निस्तारण, वृक्षारोपण, और सतत विकास के उपायों को अपनाना। जब हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी निभाता है, तो सामूहिक रूप से हम बड़े बदलाव ला सकते हैं।

समुदाय और सरकारी प्रयास

इसके अलावा, समुदायों और सरकारों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। सरकारी नीतियां और कार्यक्रम सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, जल संरक्षण योजनाएँ, स्वच्छ ऊर्जा प्रोत्साहन, और भूमि पुनर्स्थापन परियोजनाएँ।

उपसंहार

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे हमें याद दिलाता है कि पर्यावरण की देखभाल करना हमारी सभी की जिम्मेदारी है। इसके माध्यम से, हम एक सुरक्षित, स्वस्थ, और टिकाऊ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। आइए, मिलकर अपने ग्रह को संरक्षित करें और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर स्थान बनाएं।

टिप्पणि

Sanjay Bhandari
Sanjay Bhandari

ye wala environment day bas ek aur fake campaign hai... koi karta kya hai? main toh apne ghar ke paas ke kachra utha leta hoon, par koi dekhta bhi nahi

जून 5, 2024 AT 03:57
Mersal Suresh
Mersal Suresh

यह दिन केवल एक नाटक नहीं है, यह एक आवश्यकता है। भारत में 70% भूमि क्षरित हो चुकी है, और हम अभी तक इस पर कोई व्यवस्थित नीति नहीं बना पाए हैं। वृक्षारोपण के लिए सरकारी बजट में 0.3% आवंटन है। यह अस्वीकार्य है। हमें तुरंत कार्रवाई करनी होगी।

जून 6, 2024 AT 20:37
Pal Tourism
Pal Tourism

dekho bhaiya, land restoration ka matlab sirf tree plantation nahi hai... ye soil microbiome, mycorrhizal networks, carbon sequestration ki baat hai. jaise hi humne 2018 mein Rajasthan mein biochar use kiya, soil moisture 40% badh gaya. koi nahi jaanta, par humne kia hai woh kuch aur hai

जून 8, 2024 AT 15:53
Sunny Menia
Sunny Menia

main bilkul sahi bol raha hoon - ek vyakti ka prayas kuch nahi kar sakta, lekin agar hum sab milke ek chhoti si shuruat karein, jaise bhookhe kutton ko paani dena ya plastic na istemal karna, toh yeh ek movement ban jayega. hum sab ek saath kar sakte hain

जून 9, 2024 AT 12:34
Abinesh Ak
Abinesh Ak

ohhh so now we’re having a ‘land restoration’ campaign? how poetic. while the government sells 5000 acres of forest to mining corporations every month. the irony is thicker than Delhi smog. #greenwashing #climatehype

जून 10, 2024 AT 12:04
Ron DeRegules
Ron DeRegules

according to the UNCCD 2023 report and the IPCC AR6 synthesis and the World Bank land degradation neutrality framework and the FAO soil health index and the Indian Ministry of Environment’s 2022 national action plan on desertification the primary driver of land degradation in the Gangetic plains is not overgrazing or deforestation but unsustainable groundwater extraction for industrial agriculture particularly in Punjab and Haryana where 87% of aquifers are overexploited and this is directly linked to the subsidy-driven cultivation of water-intensive crops like paddy and sugarcane which consume 90% of agricultural water yet contribute only 30% to GDP and if we don’t shift to millets and drip irrigation by 2030 we’re looking at a catastrophic collapse of food security for 400 million people and nobody is talking about this

जून 10, 2024 AT 13:52
Ashish Shrestha
Ashish Shrestha

यह सब बकवास है। आप लोग लोगों को भावनाओं से भर देते हैं, लेकिन कोई आंकड़े नहीं देता। क्या आपने कभी देखा है कि एक वृक्ष लगाने के बाद 90% उसकी मृत्यु हो जाती है? यह सिर्फ फोटो ऑपरेशन है।

जून 12, 2024 AT 08:04
Mallikarjun Choukimath
Mallikarjun Choukimath

प्रकृति एक विशाल चेतना है, एक अनंत ब्रह्मांडीय वास्तविकता जिसे हमने अपने सामाजिक निर्माण के बीच बंद कर दिया है। जब हम भूमि को पुनर्स्थापित करते हैं, तो हम वास्तव में अपने आत्मा के टुकड़ों को जोड़ रहे होते हैं। यह एक रूपांतरण है - न केवल भूमि का, बल्कि मानव चेतना का। जब तक हम अपने अहंकार को नहीं त्यागेंगे, तब तक यह दिन केवल एक शब्द बना रहेगा।

जून 13, 2024 AT 22:19
Sitara Nair
Sitara Nair

omg this is so beautiful 😭 i live in chennai and last monsoon we planted 200 neem trees with our colony and guess what? the birds came back 🐦🌸 and the soil feels different now… i swear i can feel the earth breathing 🌱💖 thank you for writing this, it made me cry happy tears 💕

जून 15, 2024 AT 15:28
Abhishek Abhishek
Abhishek Abhishek

wait, so you're saying we should plant trees? what about the 500 million people who need jobs? trees don't pay bills. you want to starve for a greener planet? lol

जून 16, 2024 AT 06:08
Avinash Shukla
Avinash Shukla

the way sitara mentioned birds coming back… that made me think. in my village in odisha, we used to hear cuckoos every spring. now, nothing. maybe we don’t need big policies first. maybe we just need to notice what’s missing.

जून 18, 2024 AT 03:51

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