World Earth Day 2023: क्यों खास है यह दिन?
हर साल जब World Earth Day मनाया जाता है, तो चर्चा का असली विषय सिर्फ धरती नहीं होती, बल्कि हमारी जिम्मेदारी भी बनती है। 2023 में भी, यह दिन सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि लोगों को झकझोरने और जागरूक करने का मौका बना। दुनियाभर में करोड़ों लोग, स्कूल, ऑफिस और घर से लेकर सोशल मीडिया तक, अलग-अलग तरीके अपनाकर पर्यावरण को बचाने की अपील करते दिखे। सबसे खास बात, इस बार सोशल मीडिया पर हिंदी में खास कोट्स और संदेशों की भरमार रही। हर किसी की जुबां पर धरती के लिए चिंता और प्यार दिखा।
कोई सोचता है कि पर्यावरण बचाना सरकार या बड़ी संस्थाओं का काम है—but सच्चाई ये है कि असली बदलाव हमारी छोटी-छोटी आदतों से शुरू होता है। लोगों को यह याद दिलाने के लिए, 'आने वाली पीढ़ी है प्यारी तो पृथ्वी को बचाना है हमारी जिम्मेदारी' जैसे कोट्स वायरल हुए। इन संदेशों में जो ताकत है, वही हमारी सोच बदल सकती है।
धरती को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं?
अगर धरती है, तभी जीवन है—अक्सर यह लाइन कही जाती है, लेकिन 2023 ने फिर से साबित किया कि इस सोच को अमल में लाने की जरूरत है। हिंदी में प्रसारित संदेशों ने लोगों को छोटे-छोटे कदम उठाने की प्रेरणा दी, जैसे:
- पेड़ लगाना और दूसरों को इसके लिए प्रेरित करना
- प्लास्टिक और केमिकल्स का कम इस्तेमाल करना
- घर और ऑफिस में कचरा कम से कम करना
- प्राकृतिक संसाधनों—पानी और बिजली को बेवजह बर्बाद न करना
- शहरों में अधिक से अधिक ग्रीन जोन बनाना
'आओ पर्यावरण बचाएं और धरती मां का कर्ज चुकाएं'—यह नारा सिर्फ कहावत नहीं रहा, बल्कि युवाओं ने इसे अपना मंत्र बना लिया। WhatsApp और Instagram पर मेसेज, फोटो और स्टेटस के जरिए हर कोई अपने स्तर पर लोगों को जोड़ने लगा। छोटे शहर हो या बड़े, हर जगह बच्चे, बुजुर्ग और जवान मिलकर पर्यावरण की जिम्मेदारी समझने में जुटे दिखे।
इसी अवसर पर 'पृथ्वी हमारा नहीं हम पृथ्वी के हैं' जैसे गहरे विचार भी खूब चर्चा में रहे। इसने लोगों को अहसास दिलाने की कोशिश की कि हम अगर पृथ्वी का ध्यान नहीं रखेंगे तो प्रकृति भी हमें बहुत समय तक मौका नहीं देगी।
कई स्कूलों और ऑफिस में eco-friendly campaigns भी चले, जिसमें कपड़े के थैले दिए गए, पेड़ लगाओ अभियान चलाया गया और बच्चों को पौधारोपण में शामिल किया गया। साथ ही 'धरती बचाओ, जीवन बचाओ' जैसे स्लोगन ने सबको याद दिलाया कि सिर्फ बातों से नहीं, असली काम से ही भविष्य बदलेगा।
हिंदी भाषा ने इन संदेशों को हर घर, गली, और मोबाइल तक पहुँचाया। पर्सनल स्टेटस से लेकर स्थानीय पोस्टर्स, हर जगह इन स्लोगन की गूंज सुनाई दी। World Earth Day 2023 पर भारतीय समाज ने दिखा दिया कि अगर बात सरोकार की हो, तो भावनाओं को ठोस एक्शन में बदलना हर किसी के बस की बात है।
टिप्पणि
Ron DeRegules
धरती बचाना तो बहुत अच्छी बात है लेकिन असली मुद्दा ये है कि हम लोग इसे सिर्फ एक दिन का ट्रेंड बना लेते हैं फिर भूल जाते हैं। एक बार गांव में पेड़ लगाया था और एक साल बाद वो सब सूख गए क्योंकि किसी ने पानी नहीं दिया। अगर हम रोज़ एक बोतल प्लास्टिक कम खरीदें तो ये बड़ा बदलाव आ जाएगा न कि एक दिन के लिए फोटो डालकर अपने आप को हीरो बना लें
Sitara Nair
मुझे बहुत पसंद आया कि बच्चे भी इसमें शामिल हुए 😊 अपने स्कूल में तो उन्होंने पुराने कपड़ों से बैग बनाए और उन्हें बाजार में बांट दिया 🌿 एक छोटी सी लड़की ने मुझे बताया कि उसकी दादी कहती हैं कि पृथ्वी भी एक माँ है और उसे नहीं छेड़ना चाहिए 💖 ये बात मेरे दिल में बैठ गई ❤️
Kunal Mishra
एक अत्यंत भावुक और अतिशयोक्तिपूर्ण पोस्ट। वास्तविकता यह है कि भारत में लगभग 70% जनसंख्या अभी भी बुनियादी स्वच्छता के लिए संघर्ष कर रही है। पेड़ लगाने की बात करना आसान है, लेकिन जब तक आप अपने शहर के डंपिंग ग्राउंड्स को नियंत्रित नहीं करेंगे, तब तक ये सब सिर्फ एक सिनेमाई नाटक है। इस तरह के संदेश जनता को भ्रमित करते हैं।
Ashish Shrestha
अच्छा लगा कि कुछ लोग बात कर रहे हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि जिन लोगों ने ये सब लिखा है वो अपने घर में एसी चलाते हैं 24 घंटे और बाहर जाकर बोल रहे हैं पर्यावरण बचाओ? ये सब बातें बस इंस्टाग्राम के लिए हैं।
Harsh Bhatt
आप सब जो इस दिन बातें कर रहे हैं, आपका दिल अच्छा है लेकिन आपकी बुद्धि बहुत बचकाना है। प्रकृति कोई भक्ति का विषय नहीं है। यह एक तंत्र है। जब तक आप आर्थिक व्यवस्था को नहीं बदलेंगे, तब तक ये सब बातें बस एक अलंकार हैं। आप जो टी-शर्ट पहनकर फोटो खींच रहे हैं, वो टी-शर्ट तो चीन से आई है जहां काम करने वाले बच्चे हैं। ये दिखावा है।
Avinash Shukla
मैंने अपने बारे में सोचा कि मैंने क्या किया इस दिन। मैंने अपने बगीचे में एक नीम का पौधा लगाया और अपने पड़ोसी को भी बताया। उसने कहा कि वो भी अगले हफ्ते लगाएगा। शायद यही छोटी शुरुआत है जो बड़ा बदलाव ला सकती है। 🌱 बहुत सारे लोग यहाँ नाराज़ हैं लेकिन अगर हम सब इतने नाराज़ हो गए तो क्या कोई आगे बढ़ेगा? शायद थोड़ा धैर्य और थोड़ा साथ देना जरूरी है।
Manasi Tamboli
पृथ्वी हमारी माँ है... और हम उसे रोते हुए देखते हैं... जब आप एक बार उसकी आँखों में देखते हैं... तो आपका दिल टूट जाता है... ये बस एक दिन का अवसर नहीं है... ये तो हमारी आत्मा की आहट है... हर सांस में उसका नाम लें... हर कदम पर उसकी याद आए... क्योंकि जब हम उसे भूल जाएंगे... तो हम खुद भूल जाएंगे... और तब कोई नहीं बचाएगा... कोई नहीं रोएगा... कोई नहीं याद करेगा... कि हम कैसे गिरे... कैसे खो गए... कैसे अपनी माँ को बेच दिया...
Abhishek Abhishek
क्या आपने कभी देखा है कि जो लोग इतने बड़े बड़े संदेश देते हैं वो अपने घर में बिजली बंद नहीं करते? मैंने एक दिन देखा एक इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर ने बाहर पेड़ लगाया और घर में एसी चलाया 24 घंटे। ये सब बस फेक है।
Mallikarjun Choukimath
हम जिस प्रकृति का आदर करते हैं, वह आदर नहीं है, वह एक आत्म-संतुष्टि है। जब हम पेड़ लगाते हैं, तो हम अपने आप को धरती के उद्धारक के रूप में देखते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि हम इसे एक आर्टिफिशियल वातावरण में बदल रहे हैं। एक वास्तविक बदलाव तभी होगा जब हम अपने उपभोग के आदर्शों को नष्ट कर देंगे। अब तक हमने सिर्फ लकड़ी के टुकड़े लगाए हैं, न कि जीवन की जड़ों को छूआ है।