आजम खान ने INDIA गठबंधन से की मुस्लिम नेतृत्व पर स्पष्टीकरण की मांग, रामपुर की राजनीति गरमाई

आजम खान ने INDIA गठबंधन से की मुस्लिम नेतृत्व पर स्पष्टीकरण की मांग, रामपुर की राजनीति गरमाई
द्वारा नेहा शर्मा पर 21.04.2025

रामपुर में मुस्लिम नेतृत्व की अनदेखी को लेकर आजम खान का बड़ा हमला

रामपुर का सियासी पारा फिर चढ़ गया है और वजह हैं आजम खान। सपा के वरिष्ठ नेता अपने तीखे तेवरों के लिए जाने जाते हैं, और इस बार उन्होंने सीधे अपने ही सहयोगी INDAI गठबंधन (जिसमें समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों शामिल हैं) को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने जेल से एक खुला पत्र लिखा, जिसमें रामपुर में मुस्लिम नेताओं के खिलाफ लगातार बढ़ रही सख्ती और कथित पक्षपात को लेकर सवाल उठाए हैं। आजम ने बाकायदा अपनी पार्टी की चिट्ठी पर लिखा कि जब संसद में संभल हिंसा के मुद्दे को आवाज मिल सकती है, तो रामपुर की अनदेखी क्यों हो रही है?

आजम के मुताबिक, इस रवैये से मुस्लिम समुदाय खुद को हाशिये पर महसूस कर रहा है और अगर ऐसा ही चलता रहा, तो वे अपनी राजनीतिक भागीदारी पर फिर से सोच सकते हैं। उनके इस पत्र के बाद सपा की ही अंदरूनी राजनीति में भी हलचल है—क्योंकि इसमें कांग्रेस पर भी कटाक्ष है कि वो सपा की संसद में उठाई गई बातों पर साथ नहीं देती। रामपुर के हालात को लेकर कांग्रेस भी पिछले कुछ वक्त से मुस्लिम वोट बैंक को फिर से साधने में जुटी है। नेताओं की आवाजाही, बड़े नामों जैसे इमरान मसूद और डॉ. दानिश अली से मुलाकातें इसी सिलसिले का हिस्सा हैं।

गठबंधन में बढ़ती खटास और 2024 चुनावों की गहमागहमी

गठबंधन में बढ़ती खटास और 2024 चुनावों की गहमागहमी

आजम खान के इस पत्र से गठबंधन में चल रही अंदरूनी टकराव साफ नजर आने लगा है। आरोप है कि दोनों सत्तारूढ़ दल—चाहे BJP हो या INDAI गठबंधन—मुस्लिम वोटर्स को तो इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जब हक और प्रतिनिधित्व देने की बारी आती है, तो सब चुप्पी साध लेते हैं। आजम ने खुद की, अपने बेटे अब्दुल्ला और पत्नी तजीन फातिमा की जेल में बंदी का भी जिक्र किया—जिसे वे राजनीतिक साजिश मानते हैं।

रामपुर का उदाहरण सामने रखकर आजम समाजवादी पार्टी के नेतृत्व को आड़े हाथों लेते हैं और मांग करते हैं कि कांग्रेस व अन्य सहयोगी दल इस मुद्दे पर अपनी नीति तुरंत साफ करें। अगर समाज में लगातार डर और अलगाव का माहौल बना रहा, तो मुस्लिम समुदाय अगली बार राजनीति के साथ कैसा रिश्ता रखेगा, यह तय करना मुश्किल हो सकता है। दूसरी तरफ, कांग्रेस के लिए भी यूपी में मुस्लिम समर्थन दोबारा पाना गठबंधन की मजबूती के लिए बेहद अहम है। आपसी खींचतान का असर न सिर्फ लोकसभा चुनाव 2024 बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी पड़ सकता है।

रामपुर का सवाल अब यूपी में मुस्लिम राजनीति के केंद्र में आ चुका है। क्या सपा और कांग्रेस मिलकर भरोसा जीत पाएंगे या ये तनातनी और उलझ जाएगी? आने वाले कुछ हफ्ते तस्वीर साफ करने वाले हैं।

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