बॉलीवुड फिल्म 'बेबी जॉन' की समीक्षा: वरुण धवन की धमाकेदार एक्शन से शुरु, कहानी में खूब कमी

बॉलीवुड फिल्म 'बेबी जॉन' की समीक्षा: वरुण धवन की धमाकेदार एक्शन से शुरु, कहानी में खूब कमी
द्वारा नेहा शर्मा पर 25.12.2024

'बेबी जॉन' फिल्म का कथानक और निर्देशन

बॉलीवुड में धमाकेदार एक्शन फिल्मों की कोई कमी नहीं है, लेकिन नई रिलीज 'बेबी जॉन' वरुण धवन की मुख्य भूमिका वाली एक ऐसी फिल्म है जो अनगिनत क्लीशे और फार्मूलेका ट्रॉप्स से भरपूर है। यह फिल्म 2016 की तमिल फिल्म 'थरी' का रीमेक है और इसे डायरेक्ट किया है कलीस ने। फिल्म की कहानी दोहरी भूमिका निभा रहे वरुण धवन द्वारा निभाए गए जॉन डी’सिल्वा की है, जो एक पूर्व पुलिस अफसर हैं। इस किरदार की लाइफ में कई संघर्ष जुड़े हैं, जिसमें अपने पुराने दुश्मन से बेटी खुशी को बचाने के लिए नई पहचान के साथ जिंदगी बिताना शामिल है।

कहानी में गहराई की कमी

फिल्म के पूरे कथानक को देखें तो यह कई जगह कमजोर लगती है। जब दर्शक जॉन के अतीत के सफर पर निकलते हैं जहां वह डीसीपी सत्य वर्मा के रूप में कार्य कर रहे थे, तो कहानी में तीव्रता देखने को मिलती है, लेकिन अफसोस के साथ कह सकते हैं कि यह दिलचस्पी जल्द ही खिन्नता में बदल जाती है। फिल्म में धवन के एक्शन दृश्य जहाँ चकाचौंध तो करते हैं, परन्तु कहानी की उथल-पुथल और फॉर्मूलाबद्ध तरीके से इसे पेश किया गया है, ये निराशा जनक बन जाता है।

महिला किरदारों की भूमिका

इस फिल्म में महिला किरदारों की बात करें तो देख सकते हैं कि कीर्ति सुरेश और वामीका गब्बी ने मीरा और तारा के किरदारों को प्रभावी ढंग से निभाया है। उनके किरदारों ने भावनाओं को सही तरह से प्रदर्शित किया है, पर उनकी कहानी में गहराई की कमी और स्क्रीन टाइम बहुत कम है। महिला किरदारों का चित्रण अत्यधि उथला प्रतीत होता है और उन्हें केवल पुरुष नायक की कहानी को बढ़ावा देने वाले सहायक के रूप में दिखाया गया है।

खलनायक का चित्रण और पुलिस बर्बरता

फिल्म के खलनायक का चित्रण भी बहुत सरल और अतिशयोक्तिपूर्ण है। जैकी श्रॉफ द्वारा निभाया गया नाना का किरदार धमाकेदार तो है, परंतु उसमें गहराई की कमी है। फिल्म में पुलिस बर्बरता का महिमामंडन किया गया है, जो आज के समाज में अत्यधिक संवेदनशील मुद्दा है और इसे बिना सोचे-समझे फिल्म में शामिल किया गया है।

संगीत और अन्य पहलू

संगीत और अन्य पहलू

फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर सराहनीय है, जिससे कई भावनात्मक और एक्शन दृश्य जीवंत हो उठते हैं। फिल्म हालांकि रहस्य और रोमांच को दर्शाने में विफल रही है, शुरुआती धुनें और संगीत प्रभावशाली हैं, पर इनमें कुछ नया नहीं है। पूरी फिल्म जिज्ञासा और नवाचार की कमी से जूझ रही है।

निष्कर्ष में

अंततः 'बेबी जॉन' एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों के लिए केवल स्टाइलिश दृश्यों का वादा करती है और इसमें अंतर्निहित गहराई या नवीनता का सर्वथा अनुठापन है। यह कई पहलुओं में अपनी मूल फिल्म के संस्करण को छूने में विफल रही है। हालांकि वरुण धवन अपनी भूमिका में प्रभावशाली हैं, परंतु फिल्म में उन्हें ऐसे पटकथा से बांध दिया गया है जो उसके उत्तम प्रदर्शन को बधित कर देता है। 'बेबी जॉन' एक स्टाइलिश फिल्म जरूर है, पर वह अपनी कथा में परिवर्तन और विज्ञप्ता की जरुरत महसूस करती है।

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