'बेबी जॉन' फिल्म का कथानक और निर्देशन
बॉलीवुड में धमाकेदार एक्शन फिल्मों की कोई कमी नहीं है, लेकिन नई रिलीज 'बेबी जॉन' वरुण धवन की मुख्य भूमिका वाली एक ऐसी फिल्म है जो अनगिनत क्लीशे और फार्मूलेका ट्रॉप्स से भरपूर है। यह फिल्म 2016 की तमिल फिल्म 'थरी' का रीमेक है और इसे डायरेक्ट किया है कलीस ने। फिल्म की कहानी दोहरी भूमिका निभा रहे वरुण धवन द्वारा निभाए गए जॉन डी’सिल्वा की है, जो एक पूर्व पुलिस अफसर हैं। इस किरदार की लाइफ में कई संघर्ष जुड़े हैं, जिसमें अपने पुराने दुश्मन से बेटी खुशी को बचाने के लिए नई पहचान के साथ जिंदगी बिताना शामिल है।
कहानी में गहराई की कमी
फिल्म के पूरे कथानक को देखें तो यह कई जगह कमजोर लगती है। जब दर्शक जॉन के अतीत के सफर पर निकलते हैं जहां वह डीसीपी सत्य वर्मा के रूप में कार्य कर रहे थे, तो कहानी में तीव्रता देखने को मिलती है, लेकिन अफसोस के साथ कह सकते हैं कि यह दिलचस्पी जल्द ही खिन्नता में बदल जाती है। फिल्म में धवन के एक्शन दृश्य जहाँ चकाचौंध तो करते हैं, परन्तु कहानी की उथल-पुथल और फॉर्मूलाबद्ध तरीके से इसे पेश किया गया है, ये निराशा जनक बन जाता है।
महिला किरदारों की भूमिका
इस फिल्म में महिला किरदारों की बात करें तो देख सकते हैं कि कीर्ति सुरेश और वामीका गब्बी ने मीरा और तारा के किरदारों को प्रभावी ढंग से निभाया है। उनके किरदारों ने भावनाओं को सही तरह से प्रदर्शित किया है, पर उनकी कहानी में गहराई की कमी और स्क्रीन टाइम बहुत कम है। महिला किरदारों का चित्रण अत्यधि उथला प्रतीत होता है और उन्हें केवल पुरुष नायक की कहानी को बढ़ावा देने वाले सहायक के रूप में दिखाया गया है।
खलनायक का चित्रण और पुलिस बर्बरता
फिल्म के खलनायक का चित्रण भी बहुत सरल और अतिशयोक्तिपूर्ण है। जैकी श्रॉफ द्वारा निभाया गया नाना का किरदार धमाकेदार तो है, परंतु उसमें गहराई की कमी है। फिल्म में पुलिस बर्बरता का महिमामंडन किया गया है, जो आज के समाज में अत्यधिक संवेदनशील मुद्दा है और इसे बिना सोचे-समझे फिल्म में शामिल किया गया है।
संगीत और अन्य पहलू
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर सराहनीय है, जिससे कई भावनात्मक और एक्शन दृश्य जीवंत हो उठते हैं। फिल्म हालांकि रहस्य और रोमांच को दर्शाने में विफल रही है, शुरुआती धुनें और संगीत प्रभावशाली हैं, पर इनमें कुछ नया नहीं है। पूरी फिल्म जिज्ञासा और नवाचार की कमी से जूझ रही है।
निष्कर्ष में
अंततः 'बेबी जॉन' एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों के लिए केवल स्टाइलिश दृश्यों का वादा करती है और इसमें अंतर्निहित गहराई या नवीनता का सर्वथा अनुठापन है। यह कई पहलुओं में अपनी मूल फिल्म के संस्करण को छूने में विफल रही है। हालांकि वरुण धवन अपनी भूमिका में प्रभावशाली हैं, परंतु फिल्म में उन्हें ऐसे पटकथा से बांध दिया गया है जो उसके उत्तम प्रदर्शन को बधित कर देता है। 'बेबी जॉन' एक स्टाइलिश फिल्म जरूर है, पर वह अपनी कथा में परिवर्तन और विज्ञप्ता की जरुरत महसूस करती है।
टिप्पणि
Mayank Aneja
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर असल में बहुत अच्छा है। धुनें दिल को छू जाती हैं, भले ही कहानी थोड़ी फटी हुई हो।
वरुण के एक्शन सीन्स के साथ संगीत का मिलन अच्छा लगा।
Vishal Bambha
ये फिल्म तो बस एक और बॉलीवुड फॉर्मूला है! एक्शन, ड्रामा, बेटी को बचाना, पुलिस बर्बरता का गलत उपयोग-सब कुछ पुराना है।
कलीस ने तमिल वर्जन का नकली अनुवाद किया है, न कि रीमेक।
Raghvendra Thakur
कहानी नहीं है। बस दृश्य हैं।
Vishal Raj
अगर आप बस एक घंटे के लिए बैठकर एक्शन देखना चाहते हैं, तो ये फिल्म ठीक है।
लेकिन अगर आपको लगता है कि किरदारों के दिल की धड़कन सुननी है, तो ये फिल्म आपके लिए नहीं।
वरुण ने जो किया, उसके लिए उन्हें तारीफ।
Reetika Roy
महिला किरदारों को बस एक बचाव के लिए डाला गया है। कीर्ति और वामीका दोनों बहुत अच्छी हैं, लेकिन उनके पास कुछ भी नहीं है जो बोल सके।
फिल्म ने उन्हें बहुत छोटा जगह दिया।
Pritesh KUMAR Choudhury
फिल्म का विज़ुअल टच बहुत स्टाइलिश है।
कैमरा मूवमेंट, लाइटिंग, रंग-सब कुछ प्रोफेशनल लग रहा है।
लेकिन कहानी की कमी को ये सब नहीं ढक सकता।
एक बार देख लेने लायक है, दोबारा नहीं।
Mohit Sharda
मुझे लगता है कि ये फिल्म बहुत सारे लोगों के लिए एक अच्छा एंटरटेनमेंट है।
हर फिल्म में गहराई होना जरूरी नहीं।
अगर आप एक शानदार एक्शन फिल्म चाहते हैं, तो ये ठीक है।
पुलिस बर्बरता के मुद्दे को ज्यादा गहराई से नहीं देखा गया, लेकिन ये एक मुख्यधारा की फिल्म है।
Sanjay Bhandari
वरुण का एक्शन तो धमाका है पर कहानी में दिल नहीं लगा..
जॉन का पीछे का पार्ट बिल्कुल फ्लैट लगा..
और जैकी श्रॉफ का नाना तो बस एक बड़ा बॉस था जिसने बहुत चिल्लाया 😅
Mersal Suresh
यह फिल्म एक गंभीर विफलता है।
कलीस ने तमिल फिल्म के साथ बहुत कम सम्मान दिखाया है।
महिला पात्रों का उपेक्षित चित्रण, पुलिस बर्बरता का अनुचित उत्साह, और एक बिल्कुल बेमानी कहानी-यह सब एक शिक्षाप्रद अनुभव है।
बॉलीवुड को इस तरह की फिल्मों से बचना चाहिए।
यह कोई रीमेक नहीं, बल्कि एक अपमान है।
वरुण धवन का प्रदर्शन अच्छा था, लेकिन उन्हें इस तरह के पटकथा में नहीं रखना चाहिए था।
फिल्म निर्माताओं को दर्शकों की बुद्धि का आदर करना चाहिए।
Pal Tourism
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर तो बहुत अच्छा है पर अगर आपने थरी देखी है तो ये फिल्म बिल्कुल नीचे लगेगी..
वरुण ने जॉन और डीसिल्वा को अच्छा किया पर नाना का किरदार बहुत बेकार था..
और जैसे ही बेटी का मुद्दा आया, सब कुछ बोरिंग हो गया..
कीर्ति को बस एक बार रोने के लिए दिया गया था और वो भी बहुत कम समय में..
अगर ये फिल्म थरी का रीमेक है तो ये एक बहुत बड़ा गलत फैसला था..
मूल फिल्म में भावनाएं थीं, यहां बस बम फेंके गए..
और जो लोग इसे 8/10 दे रहे हैं, वो शायद बस वरुण के फैन हैं 😅