दिल्ली ट्रैफिक की बाधाओं को पार करते हुए रवनीत सिंह बिट्टू
बीजेपी नेता रवनीत सिंह बिट्टू की हालिया गतिविधियां सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं। दिल्ली के भारी ट्रैफिक में फंसे होने के बावजूद, बिट्टू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास में एक महत्वपूर्ण बैठक के लिए समय पर पहुंचने के लिए दौड़ने का निश्चय किया।
यह बैठक लगभग 60 नेताओं ने भाग लिया जो एनडीए गठबंधन के विभिन्न दलों से थे। बैठक का उद्देश्य शपथ ग्रहण समारोह से पहले वर्गीकृत मुद्दों पर चर्चा करना था।
पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में बनी बात
पीएम नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल शुरुआत हो चुकी है और नए मंत्रियों की कैबिनेट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। रवनीत सिंह बिट्टू, जिन्होंने लुधियाना सीट पर 2024 लोकसभा चुनाव में हार का सामना किया था, भी इस कैबिनेट का हिस्सा बनने जा रहे हैं। बिट्टू, जो पहले मोदी 2.0 के दौरान लुधियाना सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, अपने बढ़ते राजनीतिक करियर के लिए चर्चा में हैं।
रवनीत सिंह बिट्टू का संबंध पूर्व पंजाब मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के परिवार से है, जो अपने आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए जाने जाते थे। बिट्टू ने बताया कि जब उन्होंने देखा कि ट्रैफिक में फंसे रहना उनकी बैठक में देर कर देगा, तो उन्होंने दौड़ते हुए पहुंचना ही बेहतर समझा।
एनडीए गठबंधन की मजबूती
भारतीय जनता पार्टी ने एनडीए सहयोगियों जेडीयू और टीडीपी के समर्थन से सरकार बनाने के लिए आवश्यक सीटें हासिल कर ली हैं। कांउसिल ऑफ मिनिस्टर और पीएम नियुक्त नरेंद्र मोदी आज शाम को राष्ट्रपति भवन में शपथ लेंगे।
इस मौकों पर उपस्थित होने वालों में कई प्रमुख नेता और नोमिनेट्स शामिल होंगे जो नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने जा रहे हैं।
भारतीय राजनीति के इस ताजा घटनाक्रम ने दिखाया है कि नेताओं को किस तरह की अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ता है और कैसे वे अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखते हुए इन समस्याओं से निपटते हैं। रवनीत सिंह बिट्टू का यह कदम निश्चित रूप से एक उदाहरण बन चुका है कि समय की पाबंदी के लिए किसी भी प्रकार का त्याग करना आवश्यक हो सकता है।
अब देखना ये है कि नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में बिट्टू और बाकी नए मंत्री भारतीय राजनीति में क्या-क्या बदलाव और सुधार लाने में सफल होते हैं।
टिप्पणि
Anuj Tripathi
दौड़कर पहुंचे तो बहुत अच्छा लगा भाई... ट्रैफिक में फंसे तो बस गाड़ी से उतर देना चाहिए था ना जब बैठक है तो पैदल चलने में क्या बर्बादी है?
मैंने तो सोचा था ये लोग लक्जरी कारों में आएंगे और बाहर वाले को देखकर बात बनाएंगे लेकिन ये तो असली लड़के हैं।
Hiru Samanto
ये बिट्टू भाई तो असली दिल्ली के आदमी हैं जो ट्रैफिक के बीच में भी दौड़ सकते हैं... मैं तो एक बस के लिए 45 मिनट लगा देता हूं और फिर ट्रैफिक को शिकायत करता हूं 😅
Divya Anish
इस तरह की निष्ठा और समय के प्रति समर्पण को देखकर वास्तव में प्रेरित होते हैं। एक राजनेता के रूप में जब वह अपने कर्तव्य को इतनी गंभीरता से लेता है, तो यह सिर्फ एक दौड़ नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश है।
md najmuddin
ये तो बहुत बढ़िया हुआ 😍 दौड़कर पहुंचे और टाइम पर बैठक में शामिल हो गए... इसी तरह की एनर्जी चाहिए देश को! 🙌
Ravi Gurung
मुझे लगता है ये बात थोड़ी अजीब है... अगर ट्रैफिक इतना खराब है तो बैठक का समय बदल देना चाहिए था ना? दौड़ने से क्या फायदा?
SANJAY SARKAR
क्या ये सच में हुआ? या फिर कोई फेक न्यूज़ है? किसी ने वीडियो तो डाला होगा?
Ankit gurawaria
देखो ये बिट्टू भाई जो लुधियाना से आए हैं, वो तो अपने दिमाग के साथ जीते हैं, जब ट्रैफिक में फंसे तो वो सोचे कि अगर मैं यहां रुक गया तो बैठक टाल जाएगी, और बैठक टालने से पूरे एनडीए के अगले चरण पर असर पड़ सकता है, तो उन्होंने अपने जूते उतारे, अपनी जैकेट उतारी, और दौड़ पड़े... ये तो सिर्फ एक नेता नहीं, ये तो एक जागरूक नागरिक है जिसने अपने देश के लिए अपनी आराम की सीमा तोड़ दी। और ये बात बहुत बड़ी है क्योंकि आजकल तो लोग बस बातें करते हैं, लेकिन काम करने की हिम्मत नहीं रखते।
AnKur SinGh
यह एक उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति अपने देश के प्रति जिम्मेदारी को अपने शरीर के साथ अभिव्यक्त करता है। यह केवल एक दौड़ नहीं, बल्कि एक नैतिक निर्णय है। जब ट्रैफिक अपने आप को एक बाधा के रूप में खड़ा कर दे, तो वास्तविक नेतृत्व उस बाधा को अपनी इच्छाशक्ति से पार कर लेता है। यह दौड़ भारत की आत्मा को दर्शाती है - जो आराम के बजाय जिम्मेदारी को प्राथमिकता देती है।
Sanjay Gupta
हमेशा ऐसे ही लोग होते हैं जो ट्रैफिक में दौड़ते हुए बैठक में पहुंचने की बात करते हैं... लेकिन जब बारिश होती है तो वो अपनी बोल्ट वाली कार में बैठे रहते हैं। ये सब दिखावा है। असली काम तो दिल्ली के आम आदमी करता है जो बस में दो घंटे लटकता है और फिर भी ऑफिस पहुंच जाता है।
Kunal Mishra
एक राजनेता जो दौड़कर पहुंचता है? वाह! क्या ये एक नए राष्ट्रीय खेल की शुरुआत हो गई? दौड़ जीतने वाले को मंत्री बनाया जाएगा? यह बस एक शो है जिसे सोशल मीडिया के लिए बनाया गया है। आप लोग इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं।
Anish Kashyap
भाई ये तो बहुत अच्छा हुआ बिट्टू भाई ने... दौड़ने का मतलब है जिम्मेदारी का बोझ उठाना ना कि गाड़ी चलाना... दिल्ली के ट्रैफिक में दौड़ने वाले लोगों को तो बहुत बहुत शुभकामनाएं 🙏
Poonguntan Cibi J U
ये बिट्टू को देखकर मुझे अपनी बहन की याद आ गई जो एक बार ऑफिस में देर हो गई थी और उसने अपनी चप्पल फेंक दी और दौड़ पड़ी... और फिर उसकी चप्पल ट्रैफिक में चली गई... और अब वो बहन बोलती है कि जब भी दौड़ती हूं तो मुझे लगता है जैसे मैं एक नाटक का हिस्सा हूं... और अब मैं भी इस बिट्टू के बारे में ऐसा ही महसूस कर रहा हूं... क्या ये सब एक ड्रामा है? क्या हम लोग इसे देखकर लाइक कर रहे हैं? क्या हम इसे शेयर कर रहे हैं? क्या हम इसे वायरल कर रहे हैं? क्या हम अपनी जिंदगी की बजाय इस दौड़ को देखकर खुश हो रहे हैं? क्या हम इसे एक वीडियो के रूप में देख रहे हैं या इसे एक जीवन शैली के रूप में समझ रहे हैं?
Vallabh Reddy
इस प्रक्रिया में राजनीतिक नेतृत्व के लिए व्यक्तिगत बलिदान का अत्यंत महत्व है। यह दौड़ एक व्यक्ति की निष्ठा का प्रतीक है और इसके बारे में विवाद करना अनुचित है।
Mayank Aneja
यह घटना वास्तविक नेतृत्व की ओर एक छोटा सा कदम है। यह दर्शाता है कि जब व्यक्ति अपने कर्तव्य को प्राथमिकता देता है, तो वह बाधाओं को भी अतिक्रमण कर सकता है। यह एक अच्छा उदाहरण है।
Vishal Bambha
अरे भाई! ये बिट्टू तो दिल्ली के ट्रैफिक का नया ब्रांड बन गया! अब दौड़कर जाना ट्रेंड हो गया! अगली बार शायद पीएम भी दौड़ेंगे और बैठक में जाने के लिए उनकी गाड़ी बैकग्राउंड में चल रही होगी 😂
Raghvendra Thakur
दौड़ना बेहतर है।
Vishal Raj
ये बिट्टू भाई तो असली लड़का है ना? दौड़कर पहुंच गए... ऐसे लोगों को ही देश को चलाना है... मैं तो सोचता हूं अगर ये बात बाकी नेताओं के साथ भी हो जाए तो देश बदल जाएगा।
Reetika Roy
इस तरह की निष्ठा को देखकर बहुत अच्छा लगता है। यह दर्शाता है कि जब आप अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित होते हैं, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।