नरेंद्र मोदी की एल.के. आडवाणी से मुलाकात के महत्वपूर्ण पहलू
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पार्टी के मार्गदर्शक एल.के. आडवाणी से मुलाकात कर एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। एनडीए बैठक के बाद यह मुलाकात दर्शाती है कि नरेंद्र मोदी, पार्टी और उसके इतिहास को कितनी गंभीरता से लेते हैं। यह मुलाकात न केवल एक औपचारिकता थी, बल्कि यह पार्टी के नए और पुराने नेताओं के सामंजस्य की भी मिसाल थी।
लोकसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए की सफलता
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 240 सीटें हासिल कीं, जबकि एनडीए के खाते में कुल 293 सीटें आईं। 543 सदस्यीय लोकसभा में यह संख्या उन्हें पूर्ण बहुमत प्रदान करती है और सरकार गठन करने का अधिकार भी देती है। नरेंद्र मोदी का अपने दुबारा चुनाव जीतने के बाद एल.के. आडवाणी से मिलना दर्शाता है कि वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के योगदान को अहमियत देते हैं और उनके मार्गदर्शन को स्वीकार करते हैं।
भविष्य के लिए संकेत
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा हमें यह भी समझाता है कि भाजपा आने वाले समय में भी अपने वरिष्ठ नेताओं का सम्मान बनाए रखेगी। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि एल.के. आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेताओं का पार्टी में समान आदर बना रहेगा और उनकी विचारधारा और अनुभव का लाभ लिया जाएगा। नरेंद्र मोदी के इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि वे पार्टी को एकजुट रखने और उसे आगे बढ़ाने की दिशा में तत्पर हैं।
मोदी की राष्ट्रपति से मुलाकात
एनडीए की इस शानदार जीत के बाद नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति से मिलकर नई सरकार गठन करने का दावा पेश करेंगे। यह मुलाकात वैसे तो एक औपचारिकता होती है, लेकिन इससे यह साबित हो गया कि एनडीए परम पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है और जनता ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर फिर से विश्वास जताया है।
प्रभावशाली नेताओं की भूमिका
एल.के. आडवाणी का भाजपा में योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने पार्टी को जिस प्रकार से गढ़ा और आगे बढ़ाया, वह आज भी याद किया जाता है। नरेंद्र मोदी की उनके प्रति यह श्रद्धा एक अच्छे नेतृत्व की निशानी है। मोदी के इस कदम से पार्टी और समर्थकों में सकारात्मक संदेश गया है, जो यह दर्शाता है कि उनमें अपने वरिष्ठ नेताओं के प्रति गहरा सम्मान है।
भाजपा की नीति और दिशा
एनडीए की इस जीत से साफ है कि जनता भाजपा की नीतियों और उनके द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट है। यह जीत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को भी मजबूत बनाती है और उनके कार्यों को एक नया आयाम देती है। इस जीत के बाद भाजपा की नीति और दिशा में क्या बदलाव होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। परंतु यह निश्चित है कि नरेंद्र मोदी का यह सम्मानजनक कदम पार्टी के भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आएगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भूमिका
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भाजपा के निर्माण और उसमें मार्गदर्शन हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। एल.के. आडवाणी के योगदान का सम्मान करना इस बात का प्रमाण है कि भाजपा आरएसएस के सिद्धांतों और मार्गदर्शन का पालन करती है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी इस बात को भली-भांति समझती है और इसी के अनुरूप पार्टी को आगे बढ़ाने की दृष्टि रखते हैं।
इस प्रकार नरेंद्र मोदी का एल.के. आडवाणी से मिलना न केवल एक सम्मानजनक कदम था बल्कि यह पार्टी के वर्तमान और भविष्य के नेताओं के लिए एक उदाहरण भी है। इससे यह संदेश जाता है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का सम्मान हमेशा कायम रहेगा और उनकी मेहनत और योगदान को भुलाया नहीं जाएगा। नरेंद्र मोदी की यह पहल एनडीए की सफलता के साथ-साथ भाजपा के अंदरुनी संबंधों को और भी मजबूती प्रदान करेगी।
टिप्पणि
Anuj Tripathi
बस एक बार फिर मोदी ने दिखा दिया कि बड़े लोगों का सम्मान करना भी नेतृत्व का हिस्सा है। आडवाणी जी के बिना आज का भाजपा कल्पना भी नहीं होता।
धन्यवाद।
Hiru Samanto
ये मुलाकात बहुत अच्छी बात है लेकिन अगर आरएसएस के साथ भी जुड़ाव दिखाया जाए तो और बेहतर होता। बस एक बार फिर नेता बने रहे।
Divya Anish
यह दृश्य वास्तव में भावनात्मक रूप से प्रेरणादायक है। एक ऐसे नेता जो अपने मार्गदर्शकों के प्रति श्रद्धा रखते हैं, वे वास्तव में एक राष्ट्रीय संपदा हैं। नरेंद्र मोदी के इस कदम से भाजपा के अंदर एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य उदाहरण बनेगा।
md najmuddin
मोदी जी और आडवाणी जी की ये मुलाकात बहुत अच्छी लगी 😊
पार्टी का भविष्य तो अच्छा है अगर ऐसे ही रहा तो 🤝
Ravi Gurung
अच्छा हुआ कि नेता बुजुर्गों को याद कर रहे हैं। अब बस ये देखना है कि इसी भावना से आगे बढ़ते हैं या सिर्फ फोटो खिंचवा लेते हैं।
SANJAY SARKAR
आडवाणी जी के साथ मिलने का मतलब ये नहीं कि वो अभी भी राजनीति में हैं। ये तो सिर्फ एक नमूना है कि नया नेतृत्व पुराने नेताओं को नहीं भूलता।
Ankit gurawaria
इस मुलाकात का महत्व बहुत गहरा है, क्योंकि यह दर्शाता है कि भाजपा अपने इतिहास को नहीं भूल रही है, और इस तरह के संकेत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अनमोल सबक हैं, क्योंकि जब एक पार्टी अपने निर्माताओं का सम्मान करती है, तो वह अपने आधार को मजबूत करती है, और यही वह चीज है जो इसे दीर्घकालिक रूप से स्थिर रखती है, न कि केवल चुनावी जीत या टीवी पर बोलने की क्षमता, और यह बात आज के राजनीतिक वातावरण में बहुत कम देखी जाती है, जहाँ बहुत से नेता अपने पूर्वजों को अनदेखा कर देते हैं जब उनकी जरूरत नहीं होती, लेकिन मोदी जी ने इस बात को एक विशिष्ट और अनौपचारिक तरीके से दर्शाया है, जो अधिक प्रभावी है क्योंकि यह दिल से आया है, न कि बस एक प्रेस रिलीज के लिए।
AnKur SinGh
एल.के. आडवाणी के नेतृत्व ने भाजपा को एक विचारधारा के रूप में स्थापित किया, और आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह विचारधारा एक राष्ट्रीय आंदोलन में बदल गई है। यह मुलाकात एक नए युग की शुरुआत नहीं, बल्कि पुराने आधार पर नए निर्माण का प्रतीक है। यह एक ऐसा दृश्य है जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रेरणा देता है - जहाँ विरासत का सम्मान और भविष्य की दृष्टि एक साथ चलती है।
Sanjay Gupta
अच्छा तो अब आडवाणी जी के साथ मिलकर फोटो खिंचवाकर अपनी लीगिटिमेसी बढ़ा रहे हैं? जब आप वास्तव में आरएसएस के विचारों को अपनाते हैं, तो तब तक बात करने का मतलब है। इससे पहले आपने आडवाणी जी को कितनी बार चुप करा दिया?
Kunal Mishra
यह सब बहुत नाटकीय है। एक बूढ़े नेता के साथ फोटो खिंचवाना राष्ट्रीय एकता का प्रतीक नहीं है। यह बस एक शो-बिज़नेस है। भाजपा के अंदर वास्तविक विचारधारा का अभाव है, और ये सब सिर्फ लोगों को भ्रमित करने के लिए है।
Anish Kashyap
मोदी जी ने बहुत अच्छा किया आडवाणी जी के साथ मिलकर बात करके अब ये बात आगे बढ़ेगी कि नेता बुजुर्गों को भी अपना नेता मानना होगा ना
Poonguntan Cibi J U
मैंने तो सोचा था कि आडवाणी जी को अब बस फोटो में दिखाया जाएगा लेकिन नहीं... अब तो ये भी बात हो गई कि उनके साथ बैठक हुई और फिर भी ये बात नहीं हुई कि आरएसएस के लोगों को भी बुलाया गया... ये तो बहुत दुखद है... मुझे लगता है कि ये सब बस नज़रों के लिए है...
Vallabh Reddy
इस घटना को राष्ट्रीय एकता के रूप में प्रस्तुत करना एक आधिकारिक रूप से अतिशयोक्तिपूर्ण और राजनीतिक रूप से गणितीय रूप से अविश्वसनीय दावा है। यह एक चित्रात्मक रूपक है, जिसका व्यावहारिक अर्थ अत्यंत सीमित है।
Mayank Aneja
मोदी जी का आडवाणी जी के साथ मिलना, एक गहरी सांस्कृतिक और राजनीतिक परंपरा को जारी रखने का संकेत है। यह एक अत्यंत सावधानी से चुनी गई योजना है, जिसका उद्देश्य न केवल पार्टी के अंदर सम्मान को बढ़ावा देना है, बल्कि उन लोगों को भी आश्वासन देना है जो भाजपा के इतिहास में विश्वास रखते हैं। यह एक छोटा सा कदम लग सकता है, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।