मलयालम सिनेमा के दिग्गज टी.पी. मधवन की विदाई
वयोवृद्ध मलयालम अभिनेता टी.पी. मधवन ने 9 अक्टूबर, 2024 को केरल के कोल्लम में एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से मलयालम फिल्म उद्योग में शोक की लहर दौड़ गई है। 88 वर्षीय मधवन को उनके स्वास्थ्य में आई गड़बड़ी के कारण कुछ दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां उन्हें बाद में वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। मधवन ने अपना जीवन अधिकांश फिल्मी भूमिकाओं को समर्पित किया, और वे मलयालम सिनेमा के कई प्रतिष्ठित चेहरों में से एक थे।
फिल्म जगत में मधवन का योगदान
टी.पी. मधवन ने अपने अभिनय करियर में 600 से अधिक मलयालम फिल्मों में भूमिका निभाई। अपने अभिनय और अनोखी भूमिकाओं के कारण वे न सिर्फ मलयाली दर्शकों में बल्कि पूरे भारत में लोकप्रिय हुए। वह मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (AMMA) के पहले महासचिव भी बने, जहाँ उनके नेतृत्व कौशल की प्रचुर प्रशंसा की गई।
मधवन का फिल्मी सफर फिल्म 'रागम' से 1975 में शुरू हुआ और इस यात्रा में उन्होंने विभिन्न प्रकार के चरित्र चित्रण किए, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा का प्रमाण है। उनकी अंतिम फिल्में और धारावाहिक उनके स्वास्थ्य के सुधार के बाद के दिनों में सामने आईं, जब उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं के कारण फिल्म उद्योग से दूर जाना पड़ा था।
मधवन का जन्म एक शिक्षाविद् परिवार में हुआ था और उनके पिता एन.पी. पिल्लई एक प्रसिद्ध व्याख्याता थे। मधवन ने समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री डॉ. भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उनके करियर का शुरुआती दौर बंबई के एक अंग्रेजी अखबार में नौकरी और उसके बाद बैंगलोर में एक विज्ञापन एजेंसी स्थापित करने में व्यतीत हुआ।
जीवन का अंतिम दौर और स्वास्थ्य संघर्ष
फिल्मी जीवन समाप्ति के बाद, उन्होंने हरिद्वार में निवास बनाया, लेकिन बाद में गिरते स्वास्थ्य के कारण केरल लौट आए। उनके जीवन के इस द्वंद्वात्मक दौर में उन्होंने कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना किया, जिसमें डिमेंशिया भी शामिल था।
थिरुवनंतपुरम के एक लॉज में अपनों से दूर और अस्वस्थ स्थिति में मिलने के बाद उनके सहयोगियों ने उन्हें गांधी भवन, पथानापुरम में लाया। वहां उनकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ और उन्होंने कुछ धारावाहिकों एवं फिल्मों में काम किया, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं ने उन्हें पुनः अस्वस्थ कर दिया।
शोक और यादें
मधवन का पार्थिव शरीर गुरुवार को गांधी भवन में प्रातः 9 बजे से 1 बजे तक अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, और इसी दिन शाम 5 बजे थिरुवनंतपुरम के शांति कावडम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके निधन से मलयालम सिनेमा के एक युग का समापन हो गया है।
उनके द्वारा निभाई गई यादगार भूमिकाएं और उनके साथ बिताए गए क्षण उनके प्रशंसकों और सहकर्मियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे। टी.पी. मधवन का जीवन का संघर्ष और अद्वितीय प्रतिभा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।