When talking about अष्टमी, हिन्दू पंचांग में आठवां दिन, जो विभिन्न व्रत और पूजा‑पाठ का प्रमुख भाग है. It is also called अष्टमी व्रत. This day belongs to the larger category of हिन्दू त्यौहार, धार्मिक एवं सामाजिक आयोजन जो कैलेंडर के अनुसार मनाए जाते हैं and often coincides with special events like दुर्गा अष्टमी, देवी दुर्गा के आठवें दिन की पूजा, जिसमें नवरात्रि के अंत में विशेष अनुष्ठान होते हैं or कृष्ण अष्टमी, भक्तों द्वारा भगवान कृष्ण के जन्म के आठवें दिन का उत्सव, जिसमें कान्हा की लिलाओं का जश्न मनाया जाता है.
अष्टमी का सबसे उल्लेखनीय हिस्सा है उपवास. कई परिवार सुबह जल्दी-कुंडली उठाकर संकल्प लेते हैं, फिर दिन भर हल्का भोजन करते हैं। कुछ लोग केवल फल‑फूल ही खाते हैं, जबकि अन्य पूरी तरह से नीरभुक्त रहते हैं। उपवास का लक्ष्य मन को शुद्ध करना और ईश्वर के प्रति समर्पण दिखाना है। इस दौरान मंत्र जप, कथा‑सत्र और दान‑परोपकार भी किया जाता है, जिससे सामुदायिक बंधन मजबूत होते हैं।
भौगोलिक विविधता के कारण अष्टमी के रिवाज़ अलग‑अलग होते हैं। पश्चिमी भारत में दुर्गा अष्टमी को ‘अस्थी’ कहा जाता है, जहाँ देवी का विशेष रूप से ‘मुक्ति’ रूप में पूजन किया जाता है। बंगाल में कृष्ण अष्टमी को ‘अष्टमी मेला’ कहा जाता है, जहाँ घाटों पर ‘राधा‑कन्या’ की पेंटिंग और धारा‑नृत्य का आयोजन होता है। महाराष्ट्र में लोग इस दिन ‘व्रत‑विष्णु’ का पाठ करके भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने की आशा रखते हैं। इस तरह हर क्षेत्र अष्टमी को अपनी सांस्कृतिक रंगत में रंगता है।
अष्टमी का आध्यात्मिक लाभ भी अक्सर बताया जाता है। पवित्रता की भावना, मन की शांति और आत्म‑निरीक्षण के अवसर इसे खास बनाते हैं। कई लोग मानते हैं कि अष्टमी का उपवास करने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, क्योंकि यह शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। साथ ही, परिवार के साथ मिलकर पूजा‑पाठ करने से पारिवारिक संवाद बढ़ता है और बुजुर्गों को सम्मान मिला रहता है। इस प्रकार अष्टमी सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन‑शैली का हिस्सा बन जाता है।
अब आप अष्टमी की परिभाषा, रीति‑रिवाज़ और विभिन्न 지역ों में उसके रंगों को समझ चुके हैं। नीचे दी गई सूची में इस तिथि से जुड़ी ताज़ा खबरें, विश्लेषण और गहराई वाले लेख मिलेंगे—चाहे वह धर्म‑संस्कृति हो, खेल‑समाचार या आर्थिक अपडेट। पढ़ते रहिए, क्योंकि हर पोस्ट में आपको अष्टमी से संबंधित एक नई दृष्टिकोण मिलेगा।
चैत्र नवत्री 2025 का आरम्भ 30 मार्च को हुआ और यह 7 अप्रैल तक चलता है। नौ दिनों में माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा, अष्टमी की विशिष्ट महत्वता, रंग‑रिवाज़ और राम नवमी पर विशेष विवरण दिया गया है। इस लेख में तिथियों, विधियों और शरद नवत्री से अंतर को सरल भाषा में समझाया गया है।