अगर आप सोचते हैं कि भारत और कनाडा सिर्फ़ वीज़ा के पेपर से जुड़े हैं, तो फिर एक बार पढ़िए ये लेख. यहाँ हम रोज‑रोज की खबरों, समझौतों और लोगों के बीच बढ़ती बातचीत को आसान भाषा में बताते हैं।
पिछले साल दो देशों ने कई नई वस्तुओं पर टैरिफ़ कम करने का सौदा किया. इससे भारतीय सॉफ्टवेअर कंपनी, फार्मा फर्म और कपड़े निर्माता को सीधे कनाडाई बाजार में कीमतें घटाने की सुविधा मिली। क्या आपको नहीं लगता कि यह छोटे‑छोटे व्यापारियों के लिए बड़ी मदद है?
कनाडा का तेल भी भारत के ऊर्जा मिश्रण में जगह बना रहा है. नई पाइपलाइन परियोजनाओं पर चर्चा चल रही है, लेकिन पर्यावरणीय चिंताओं की वजह से देरी हो रही है. फिर भी दोनों सरकारें नियमित बैठकें रखती हैं ताकि समझौते जल्दी पूरे हों.
ऐसे समझौतों का असर केवल बड़े उद्योगों तक नहीं रहता. छोटे कृषि उत्पाद जैसे बांस, मसाले और हर्बल टी अब कनाडा के सुपरमार्केट में आसानी से मिल रहे हैं। इससे किसानों को सीधे निर्यात करने का मौका मिलता है और मध्यस्थी कम होती है.
कनाडा हमेशा भारतीय छात्रों और पेशेवरों की पहली पसंद रहा है. 2024‑25 में वीज़ा प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए दो देशों ने एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया. अब आप घर बैठे अप्लाई कर सकते हैं, बिना कई दफ़्तर घूमे.
शैक्षणिक सहयोग भी बढ़ रहा है. कुछ शीर्ष भारतीय विश्वविद्यालयों ने कनाडाई संस्थानों के साथ संयुक्त डिग्री प्रोग्राम लॉन्च किए हैं. इसका मतलब है कि एक ही कोर्स से दोनों देशों में मान्य डिप्लोमा मिल सकता है। क्या यह आपके करियर प्लान में मदद नहीं करेगा?
सांस्कृतिक आदान‑प्रदान भी कम नहीं हो रहा. हर साल कनाडा में ‘इंडियन फेस्टिवल’ और भारत में ‘कनाडियन डे’ जैसे इवेंट होते हैं, जहाँ लोग संगीत, खाना और कला के ज़रिए एक-दूसरे को समझते हैं। यह दोस्ती का आधार है.
इन सभी पहलुओं को देख कर आप सोचेंगे – क्या आगे भी ऐसा सहयोग बढ़ेगा? दोनों सरकारें अब नई तकनीक, क्लीन एनर्जी और डिजिटल हेल्थ में संयुक्त रिसर्च पर फोकस कर रही हैं. अगर ये सफल हों तो नौकरी के नए अवसर, स्टार्ट‑अप निवेश और वैज्ञानिक प्रगति की दिशा तय होगी.
समाप्ति में, भारत‑कनाडा संबंध सिर्फ़ कागज़ी समझौता नहीं बल्कि रोज‑मर्रा की जिंदगी में दिखने वाला बदलाव है. चाहे आप छात्र हों, व्यापारी या सामान्य पाठक – इस रिश्ते से आपका कुछ न कुछ फायदा ही होगा.
कैनेडियन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद, भारतीय मूल की मंत्री अनिता आनंद उनके स्थान के लिए एक प्रबल उम्मीदवार बनकर उभरी हैं। अनिता की नियुक्ति का भारत-कनाडा संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। नेतृत्व की दौड़ तेज हो रही है जबकि अनिता का चयन हो तो वे इस पद पर पहुंचने वाली पहली भारतीय मूल की महिला होंगी।