भारत और यूके का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटिए) अब कई महीनों से चर्चा में है। अगर आप इस समझौते को लेकर उलझन में हैं, तो पढ़ें—यहाँ हम सरल शब्दों में बताते हैं कि यह क्या है, क्यों महत्वपूर्ण है और आपके रोज़मर्रा के जीवन पर इसका असर कैसे पड़ेगा।
एफटिए एक ऐसा समझौता है जहाँ दो देशों ने मिलकर व्यापार के नियम आसान कर दिए होते हैं। इससे सामान, सेवाएँ और निवेश दोनों तरफ़ तेज़ी से और कम लागत पर हो पाते हैं। भारत‑यूके एग्रीमेंट में टैरिफ (आयात-निर्यात शुल्क) को घटाने, कस्टम प्रक्रियाओं को सरल बनाने और बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा को मजबूत करने का प्रावधान है।
सरल शब्दों में कहें तो अब भारतीय कपड़े, दवाइयाँ या सॉफ़्टवेयर यूके बाजार में कम टैक्स के साथ बेचे जा सकते हैं, और यूके की तकनीकी सेवाएँ भारत में आसानी से पहुँच सकती हैं। यह दोनों देशों को आर्थिक रूप से एक‑दूसरे के करीब लाने का कदम है।
1. टैरिफ हटाना या घटाना: लगभग 300 वस्तुओं पर यूके ने भारत से आयात शुल्क को शून्य कर दिया है। इसके साथ ही भारतीय निर्यातकों को यूके में कम लागत पर प्रतिस्पर्धा का मौका मिलेगा।
2. सेवाओं की आसान पहुँच: वित्त, बीमा, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवा क्षेत्रों में लाइसेंसिंग प्रक्रिया तेज़ होगी। इससे भारतीय स्टार्ट‑अप्स को यूके के निवेशकों से जुड़ना आसान होगा।
3. डिजिटल व्यापार: डेटा ट्रांसफर और ई‑कॉमर्स नियमों को मानकीकृत किया गया है, जिससे ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल सेवाओं का विस्तार तेज़ी से होगा।
4. छोटे व्यवसायों के लिए सहायता: दोनों देशों ने छोटे उद्यमियों (SMEs) के लिये विशेष समर्थन कार्यक्रम बनाया है—जैसे कि प्रशिक्षण, मार्केट एक्सेस और वित्तीय मदद। यह उन लोगों को लाभ देगा जो बड़े कॉरपोरेशन नहीं हैं लेकिन निर्यात‑आयात की इच्छा रखते हैं।
5. बौद्धिक संपदा अधिकार: पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट सुरक्षा मजबूत होगी, जिससे इनोवेटर्स का भरोसा बढ़ेगा और नई तकनीकों को बाजार में लाने की गति तेज़ होगी।
इन बिंदुओं से पता चलता है कि सिर्फ बड़ी कंपनियों ही नहीं, बल्कि छोटे व्यापारी, फ्रीलांसर और स्टूडेंट्स भी इस समझौते से फायदा उठा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि आप एक फैशन डिजाइनर हैं तो आपका कपड़ा यूके में बिना टैक्स के बेचा जा सकेगा; या अगर आप आईटी प्रोजेक्ट पर काम करते हैं, तो यूके की कंपनियाँ आपके टैलेंट को आसानी से हायर कर सकती हैं।
भविष्य में इस एग्रीमेंट का असर कैसे दिखेगा? विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 5‑10 साल में भारत‑यूके व्यापार दो गुना तक बढ़ सकता है, खासकर डिजिटल सेवाओं और औषधि निर्यात में। साथ ही रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे—क्योंकि कंपनियों को नई मार्केट्स में विस्तार करने के लिए स्थानीय लोगों की जरूरत पड़ेगी।
तो अगर आप ट्रेड, निवेश या करियर विकल्पों के बारे में सोच रहे हैं, तो इस एफटिए पर नज़र रखें। सरकारी वेबसाइटें और व्यापार chambers नियमित अपडेट देते रहते हैं—जिन्हें फॉलो करके आप समय‑समय पर बदलते नियमों से खुद को अपडेट रख सकते हैं।
अंत में याद रखें: कोई भी बड़ा बदलाव तभी सफल होता है जब आम लोगों को उसकी सही समझ हो। इस लेख ने आपको एफटिए के मुख्य पहलू सरल शब्दों में बताए हैं, अब आप अपने व्यापार या करियर प्लानिंग में इसे शामिल करने की सोच सकते हैं।
भारत और ब्रिटेन के बीच फाइनल हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत दोनों देशों के बीच 99% व्यापार पर टैक्स खत्म होगा। इससे टेक्सटाइल, ऑटो, रत्न-आभूषण और आईटी सेक्टर को निर्यात में जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। डील से भारत-यूके ट्रेड 2030 तक 120 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है।