हाल ही में दिल्ली सरकार ने शराब से जुड़े कई नियम कड़े कर दिए हैं। अगर आप बार‑बैकरी मालिक हों या सिर्फ घर पर पीने वाले, तो ये बदलाव आपके रोज़मर्रा के फैसलों को सीधा असर करेंगे। सबसे बड़ी बात है लाइसेंस की नई प्रक्रिया और बिक्री समय का सीमित होना। आइए समझते हैं कि इन नियमों से क्या फायदा और नुकसान हो सकता है।
पहले शराबी दुकानें आसानी से लाइसेंस ले सकती थीं, लेकिन अब आवेदन फ़ॉर्म में अतिरिक्त दस्तावेज़ जैसे पुलिस क्लियरेंस और स्थानीय निकाय की मंजूरी अनिवार्य हो गई है। प्रक्रिया ऑनलाइन शुरू होती है, फिर दो‑तीन हफ्ते में जांच के बाद लाइसेंस जारी होता है। अगर कोई नियम तोड़ता पाया गया तो तुरंत सस्पेंड या रद्द किया जा सकता है। इसका मतलब है कि अब दुकान चलाने वाले को ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ेगी।
नई नीति के अनुसार शराब की बिक्री सुबह 10 बजे से लेकर रात 9 बजे तक ही संभव होगी। इसके अलावा, दिल्ली के कुछ ‘सुरक्षित क्षेत्रों’ में पूरी तरह बंदी लगाई गई है जहाँ कोई भी लाइसेन्स नहीं मिलेगा। ये कदम नशे की लत को कम करने और सार्वजनिक सुरक्षा बढ़ाने के लिये उठाए गए हैं। अगर आप इन घंटों से बाहर शराब खरीदने की कोशिश करेंगे तो दुकानें फाइन लगा सकती हैं या लाइसेंस रद्द कर सकती हैं।
इन सीमाओं का असर सिर्फ दुकानों पर नहीं, बल्कि सामान्य नागरिकों पर भी पड़ता है। कई लोग कहते हैं कि अब घर में छोटी‑बड़ी पार्टियों के लिये शराब ले जाना मुश्किल हो गया है। वहीं दूसरी ओर, युवा वर्ग को शराब की आसानी से पहुँच कम होने से संभावित नशा समस्या घट सकती है। सरकार ने यही लक्ष्य रखा है – अल्पकालिक असुविधा के बदले लम्बी अवधि में स्वास्थ्य और सुरक्षा बेहतर बनाना।
अगर आप शराब‑लाइसेंस वाले व्यापारियों के लिये सलाह चाहते हैं, तो सबसे पहले सभी दस्तावेज़ ठीक से तैयार रखें। पुलिस क्लियरेंस के लिए स्थानीय थाना में समय पर अपॉइंटमेंट लें और ऑनलाइन आवेदन में सही जानकारी भरें। लाइसेंस मिलने के बाद बिक्री घंटे का पालन करें; अगर गलती से भी देर तक खोल दिया तो भारी जुर्माना लग सकता है, इसलिए टाइमर या अलार्म सेट करके काम आसान बनाएं।
उपभोक्ताओं के लिये कुछ आसान टिप्स हैं – शराब खरीदते समय रसीद रखें और यदि किसी दुकान में बिक्री घंटे का उल्लंघन देखें तो रिपोर्ट करें। इससे न सिर्फ आपका अधिकार सुरक्षित रहेगा बल्कि समाज भी साफ़ रहेगी। कई NGOs ने भी इस नई नीति को समर्थन दिया है, क्योंकि वे मानते हैं कि सार्वजनिक जगहों पर शराब की उपस्थिति घटने से हिंसा और दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
कुल मिलाकर देखा जाए तो दिल्ली की शराब नीति का मुख्य उद्देश्य नशे के दुरुपयोग को रोकना, सुरक्षा बढ़ाना और स्वास्थ्य जागरूकता फैलाना है। प्रक्रिया थोड़ी कठिन लग सकती है, पर अगर आप नियमों को समझें और उनका पालन करें तो कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी। याद रखें – सही लाइसेंस, निर्धारित समय, और जिम्मेदारी भरा सेवन ही इस नीति की कुंजी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। उन्हें 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी है और उनकी हिरासत 25 जुलाई तक बढ़ा दी है।