जब हम दवाई लेते हैं, तो अक्सर नहीं सोच पाते कि वह दवा किस तरह से हमारे हाथों तक पहुंचती है. असल में एक बड़ा सिस्टम होता है – ड्रग रेगुलेटर. यह सरकारी एजेंसियां और नियम होते हैं जो तय करते हैं कि कौन सी दवा बाजार में आ सकती है, कितनी मात्रा में और किन परिस्थितियों में.
भारत में इस काम की जिम्मेदारी मुख्य रूप से सीडीयएससीओ (केंद्रीय ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन) के पास है. सीडीयएससीओ फूड एंड ड्रग्स एक्ट, 1940 को लागू करता है और दवाओं की गुणवत्ता, प्रभावशीलता और सुरक्षा की जांच करता है.
पहला कदम – नया ड्रग आवेदन. कंपनी या रिसर्च संस्थान को अपनी नई दवा के क्लिनिकल ट्रायल डेटा, उत्पादन प्रक्रिया और लेबलिंग जानकारी सीडीयएससीओ को जमा करनी होती है. फिर एजेंसी इन दस्तावेजों की समीक्षा करती है, टेस्ट लैब में नमूने भेजती है और तय करती है कि दवा सुरक्षित है या नहीं.
अगर सभी मानक पूरे होते हैं तो न्यू ड्रग एप्रूवल (NDA) जारी होता है. इस मंजूरी के बाद ही दवा को भारत की किसी भी फार्मेसी में बेचा जा सकता है. पर मंजूरी मिलते ही कंपनी को लगातार गुणवत्ता जांच, पोस्ट‑मार्केट सर्विलांस और रिपोर्टिंग करनी पड़ती है.
ड्रग रेगुलेटर की देखरेख से हमें दो बड़ी चीज़ें मिलती हैं – सुरक्षा और विश्वास. अगर कोई दवा बिना मंजूरी के बाजार में आ जाए तो वह फर्जी या खतरनाक हो सकती है. इसलिए हमेशा पैकेज पर सीडीयएससीओ का लाइसेन्स नंबर चेक करें.
कभी‑कभी नई दवाओं की कीमत भी रेगुलेटर द्वारा तय होते हुए देखी जा सकती है, खासकर जब सरकारी सब्सिडी या मूल्य नियंत्रण लागू हो. इसका मतलब है कि आपको ज़्यादा खर्च नहीं करना पड़ेगा.
अगर आप किसी नई दवा के बारे में अनिश्चित हैं तो डॉक्टर से पूछें या आधिकारिक वेबसाइट cdsco.gov.in पर जाकर ड्रग सर्टिफिकेट देख सकते हैं. यह छोटा‑छोटा कदम आपके स्वास्थ्य को बड़े जोखिमों से बचाते हैं.
समय‑समय पर सरकार दवाओं के लिए नई दिशानिर्देश जारी करती है – जैसे जेनरिक दवा की बायोइक्विवेलेंस, क्लिनिकल ट्रायल्स में मरीज की सुरक्षा या ऑनलाइन फ़ार्मेसी की कड़ाई से जांच. इन बदलावों को समझना आसान नहीं लगता, पर अगर आप खबरें पढ़ते रहेंगे तो अपडेटेड रह पाएंगे.
अंत में यह कहना चाहूँगा कि ड्रग रेगुलेटर सिर्फ एक ब्यूरोक्रेटिक नाम नहीं है. यह आपके रोज़मर्रा के स्वास्थ्य का गार्ड है जो सुनिश्चित करता है कि दवा सही, सुरक्षित और प्रभावी हो. इसलिए जब भी नई दवा लेने की सोचें, थोड़ा समय लेकर इसकी मंजूरी जांच लें – इससे आपकी सेहत भी रहेगी बची हुई.
जम्मू-कश्मीर के ड्रग रेगुलेटर ने दवाओं की गलत बिक्री को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करते हुए 8 फार्मेसी के लाइसेंस रद्द किए और 75 खुदरा दुकानों को सस्पेंड कर दिया। इस ऑपरेशन का मकसद नशीली दवाओं की अनियमित बिक्री पर लगाम लगाना और कानून का पालन सुनिश्चित करना है।