अष्टमी, नवरात्र और व्रत का संगम

अष्टमी को आम तौर पर माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप के रूप में देखा जाता है, और इस दिन महिलाएँ विशेष प्रसाद बनाती हैं – जैसे खीर, सफेद मोती के साथ चावल और मीठे पायसम। इस व्रत का मूल सिद्धांत ‘शक्ति का सम्मान’ है, इसलिए नवरात्र के दौरान दुर्गा के विभिन्न रूपों की घण्टे‑घण्टे ध्यानी प्रविष्टियों को पढ़ा जाता है। यदि आप सोच रहे हैं कि व्रत के दौरान क्या खाना‑पीना ठीक रहेगा, तो साफ़ पानी, फल और हल्का सब्ज़ी‑सूप सबसे सुरक्षित विकल्प है; यह शरीर को ऊर्जा देता है और पूजा की तीव्रता को कम नहीं करता। नवरात्र में हर दिन का एक अलग रंग, एक अलग मंत्र और एक अलग आरती होती है, परन्तु अष्टमी की आरती में ‘ऑम् दुर्गे नुरस्ये’ का जप सबसे अधिक सुनाई देता है। इस जप का उद्देश्य मन को शांति देना और देवी के आशीर्वाद से घर की समृद्धि बढ़ाना है।

जब हम दुर्गा पूजा की बात करते हैं, तो सिर्फ मंदिर में किए जाने वाले अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि घर में बनाई जाने वाली ‘पुजा विधि’ भी महत्वपूर्ण है। लेख में उल्लेखित ‘चैत्र नवत्री 2025’ विशेष रूप से अष्टमी के तिथियों, पूजन विधि और विशेषताएँ बताती है – जैसे कि किस समय सूर्यास्त के बाद आरती शुरू हो, कौन से फूल सर्वोत्तम हैं, और किन मंत्रों को दोहराना चाहिए। यह जानकारी स्थानीय रीति‑रिवाज़ों से लेकर राष्ट्रीय स्तर की मान्यताओं तक को जोड़ती है। अक्सर लोग पूछते हैं कि क्या दुर्गा पूजा केवल महिलाएँ ही कर सकती हैं? उत्तर है कि पूरी पारिवारिक भागीदारी चाहिए; पुरुष भी भोग तैयार कर सकते हैं, धूप जलाकर घर में देवी का स्वागत कर सकते हैं, और बच्चों को कथा सुनाकर त्यौहार की भावना में शामिल कर सकते हैं।

आजकल सोशल मीडिया पर हर साल दुर्गा पूजा की तस्वीरें और वीडियो बाढ़ की तरह आ रहे हैं, लेकिन असली मौलिकता वही है जो स्थानीय परम्परा में निहित होती है। यदि आप अपनी पूजन सामग्री चुनते समय पर्यावरण के अनुकूल विकल्प चुनते हैं, जैसे कि कागज की पावडर कँप जैसी सजावट, तो आप न केवल माँ दुर्गा का सम्मान करते हैं, बल्कि पृथ्वी का भी बचाव करते हैं। यही कारण है कि इस लेख में हमने पर्यावरण‑सजगता, स्थानीय रीति‑रिवाज़, और आध्यात्मिक अनुशासन को एक साथ जोड़ा है – पर्यावरण‑सजगता influences दुर्गा पूजा, दुर्गा पूजा requires अष्टमी, और अष्टमी benefits व्रत। अगला भाग आपके सामने उन ताज़ा अपडेट्स को लाएगा जो इस साल के दुर्गा पूजा में विशेष रूप से देखते हैं – जैसे कि थाणे में आयोजित सामुदायिक कार्यक्रम, नई पूजा सामग्री की उपलब्धता, और जियावेले (भोग) के नवीनतम ट्रेंड।

अक्टूबर 2025 में दशा‑व्रत: दुर्गा से छठ तक की महा‑तारीखें

द्वारा swapna hole पर 29.09.2025 टिप्पणि (19)

अक्टूबर 2025 में महा नवमी से लेकर छठ पूजा तक के प्रमुख हिंदू त्यौहारों की तिथियां, रीति‑रिवाज और सामाजिक‑आर्थिक प्रभावों का विस्तृत विवरण।