क्या आप तैयार हैं गणपति की धूमधाम के लिए? इस साल गणेश चतुर्थी 7 सितंबर (शुक्ल पक्ष चतुर्थी) को मनाई जाएगी। कई लोग इसे छुट्टी का दिन भी मानते हैं, इसलिए आज‑कल की तैयारी थोड़ी जल्दी शुरू करनी पड़ती है। नीचे हम सरल भाषा में बता रहे हैं कि इस वर्ष आप कैसे सही ढंग से पूजा कर सकते हैं और उत्सव को यादगार बना सकते हैं।
गणपति के जन्म को मनाने का दिन हिंदू कैलेंडर में बौधिक शुक्ल पक्ष के चौथे दिवस पर आता है। 2025 में यह 7 सितंबर को पड़ता है, जो कई राज्यों में सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा भी कर सकता है। इस दिन को भगवान गणेश की बुद्धि, समृद्धि और बाधा‑हटाने वाले स्वरूप का जश्न माना जाता है। घर‑घर में मूर्ति स्थापित करके उसके सामने धूप, रोली तथा नैवेद्य रखा जाता है। पूजा के बाद मोदक और लड्डू जैसे मिठाईयाँ बाँटी जाती हैं, जो गणेश जी की पसंदीदा मानी गई हैं।
हर साल जैसा इस बार भी बड़े शहरों में सार्वजनिक कार्यक्रम होते हैं—पंढरपुर (महाराष्ट्र), द्वारका (गुजरात) और कई छोटे कस्बे अपने पारंपरिक रिवाज़ रखते हैं। अगर आप भी भाग लेना चाहते हैं तो पहले से टिकट या अनुमति ले लें, क्योंकि इन जगहों पर भीड़ बहुत होती है।
घर में सजावट के लिए आप प्लास्टिक की मूर्तियों की बजाय मिट्टी या पपेटी‑आधारित मॉडलों को चुनें। यह पर्यावरण‑मित्र विकल्प है और कई नगर निगम इस वर्ष से इको‑फ्रेंडली मूर्तियों पर टैक्स छूट दे रहा है।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री आसानी से मिल जाती हैं: धूप, अक्षत (चावल), मोती (कुंडल) तथा फूल। यदि आपके पास नैवेद्य नहीं है तो आप घर में बना हुआ बेसन‑कोफ्ता या कच्ची सब्ज़ियों की तरकारी रख सकते हैं—यह स्वाद भी देता है और स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
भोजन तैयार करने वाले लोग अक्सर मोदक बनाते हैं। अगर आपका समय कम है, तो बाजार से तैयार मोदकों का इस्तेमाल करें, लेकिन घर में बना हुआ ज्यादा पसंद किया जाता है क्योंकि यह भगवान को अधिक प्रिय लगता है। मिठाई की मात्रा को परिवार के अनुसार तय कर लें—ज्यादा न हो तो पचने में दिक्कत हो सकती है।
समुदायिक स्तर पर कई जगहों पर ‘विद्युत् पंडाल’ लगाए जाते हैं, जहाँ संगीत और नृत्य होते हैं। यह अवसर सामाजिक जुड़ाव का भी अच्छा माध्यम है—पड़ोसी और रिश्तेदार मिल‑जुल कर आनंद लेते हैं।
यदि आप कामकाजी हैं तो शाम के समय को प्राथमिकता दें। कई मंदिर 6 बजे से लेकर 9 बजे तक खुलते हैं, जिससे देर‑से‑देर पूजा करने का विकल्प रहता है। याद रखें कि मूर्ति विसर्जन (विसर) अगले 10‑12 दिनों में होना चाहिए, इसलिए इस तारीख को भी कैलेंडर में नोट कर लें।
सुरक्षा की बात करें तो पंढरपुर जैसे बड़े आयोजन में सुरक्षा उपाय पहले से तय होते हैं—बैग जाँच और सीसीटीवी कैमरा। अपने बच्चे को हाथ में लेकर चलें, भीड़ में खो जाने का जोखिम कम हो जाता है।
आखिरकार, गणेश चतुर्थी केवल एक पूजा नहीं, बल्कि लोगों के बीच आपसी प्रेम और सहयोग बढ़ाने वाला त्यौहार है। इस साल इसे मनाते समय छोटे‑छोटे कदम—जैसे इको‑फ्रेंडली मूर्ति चुनना या स्थानीय कलाकारों को सपोर्ट करना—आपके उत्सव को विशेष बना देंगे। तो तैयार हो जाइए, अपने घर की साफ़-सफ़ाई करें, मिठाइयाँ बनायें और गणपति के चरणों में खुशियों का सन्देश ले कर आएँ।
27 अगस्त 2025 को गणेश चतुर्थी है और कई राज्यों में स्कूल बंद रहेंगे। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, मध्य प्रदेश, गोवा और कर्नाटक ने अवकाश की पुष्टि की है। बाकी राज्यों में सामान्य कक्षाएं रहने की संभावना है, जब तक स्थानीय आदेश न आएं। त्योहार 10 दिनों तक चलेगा और अनंत चतुर्दशी पर संपन्न होगा।