जलाभिषेक क्या है और क्यों महत्वपूर्ण?

जल अभिषेक, या पानी से स्नान कराना, हिंदू धर्म में सबसे पुरानी रीति‑रिवाजों में से एक है। यह सिर्फ़ शारीरिक सफाई नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि भी माना जाता है। कई मंदिरों में मुख्य देवता को जल से अभिषक्त किया जाता है, जिससे भक्तों में श्रद्धा और विश्वास बढ़े। अगर आप पहली बार इस अनुष्ठान को समझना चाहते हैं तो जानिए कि इसका मूल मंत्र ‘शुद्ध जल ही जीवन का आधार’ क्यों कहा गया है।

जलाभिषेक करने की सही विधि

सबसे पहले साफ़ पानी चुनें – अगर संभव हो तो पवित्र नदी या कुंड के पानी से काम लें। फिर एक छोटा कटोरा लेकर उसमें हल्का नमक या चंदन मिलाएँ; इससे जल में शुद्धता बढ़ती है। अभिषेक करते समय हाथों को घुमाते हुए तीन बार भगवान का नाम जपें, जैसे ‘ॐ नारायणाय नमः’। पानी को धीरे‑धीरे माथे, आँखों और मुँह पर डालें – यह त्रिकालिक शुद्धि दर्शाता है। अंत में एक फूल या कली जल में डुबोकर देवता के पैर तक रखें; इससे अनुष्ठान पूरा माना जाता है।

जलाभिषेक से जुड़ी ताज़ा ख़बरें

शौर्य समाचार पर इस महीने कई लेख प्रकाशित हुए हैं जो जल अभिषेक की विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं। उदाहरण के तौर पर, ‘गणेश चतुर्थी 2025’ में कई राज्यों ने स्कूल बंद कर बच्चों को विशेष जल अभिषेक कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया। इसी तरह, अयोध्या के राम मंदिर में हाल ही में प्रथम वर्षगांठ समारोह में भी जल अभिषेक प्रमुख आकर्षण रहा। इन खबरों से पता चलता है कि आजकल जल अभिषेक सिर्फ़ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और शैक्षिक पहलू में भी महत्वपूर्ण हो गया है।

यदि आप अपने घर या किसी सामुदायिक कार्यक्रम में जल अभिषेक करना चाहते हैं तो ऊपर बताई गई सरल विधि को फॉलो कर सकते हैं। याद रखें, सबसे ज़रूरी बात यह है कि मन से करें और शुद्ध इरादे के साथ पानी को देवता तक पहुँचाएँ। इस तरह न केवल आप अपने विश्वास को मजबूत करेंगे बल्कि परिवार में सकारात्मक ऊर्जा भी फैलेगी।

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सावन के पहले सोमवार को लाखों शिवभक्तों ने किया जलाभिषेक

द्वारा swapna hole पर 23.07.2024 टिप्पणि (0)

सावन के पहले सोमवार को गोंडा, उत्तर प्रदेश में लाखों शिवभक्तों ने जलाभिषेक किया। इस पवित्र अनुष्ठान में भक्तजन भगवान शिव को पवित्र जल अर्पित करते हैं। यह आयोजन भक्तों की गहरी श्रद्धा और धार्मिक आस्था को दर्शाता है तथा हिंदू धर्म में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।