आजकल हर खबर में पर्यावरण का नाम सुनते‑सुनते थक गए होंगे। फिर भी छोटे‑छोटे कदमों से बड़ी बदलाब़ी लाया जा सकता है। इस पेज पर हम भारत की हालिया पर्यावरणी खबरें, आसान घर के उपाय और विश्व स्तर की पहल को समझेंगे ताकि आप तुरंत कार्रवाई कर सकें।
पिछले महीने World Earth Day 2023 पर सरकारी और निजी संस्थाओं ने कई अभियान चलाए। हिंदी में प्रेरक संदेशों से लोगों को पौधारोपण, प्लास्टिक कम करने और जल संरक्षण की याद दिलाई गई। साथ‑साथ राजस्थान के कुछ जिलों में प्री‑मानसून बारीश ने कृषि क्षेत्र में पानी की जरूरत बढ़ा दी, जिससे किसान जल बचत तकनीकों पर ध्यान दे रहे हैं। ये सब दिखाता है कि मौसम बदलने से पहले ही लोगों को सतर्क किया जा रहा है।
दूसरी बड़ी खबर गुजरात में सौर ऊर्जा परियोजना का तेज़ी से विस्तार है। नई फॉर्मूलेशन के कारण छोटे‑छोटे गांव भी ग्रिड से जुड़ पाए हैं और अब बिजली बिल घट गया है। इस तरह की हरित पहलें न सिर्फ कार्बन को कम करती हैं, बल्कि स्थानीय रोजगार भी बढ़ाती हैं।
आपका घर पर्यावरण संरक्षण का पहला मैदान हो सकता है। सबसे आसान उपाय है लाइट बंद करना जब कमरे खाली हों—एक मिनट की झलक ही बिजली बचा सकती है। फिर, प्लास्टिक बैग को थैला बनाकर कई बार इस्तेमाल करें; यह कचरा कम करता है और आपके खर्चे घटाते हैं।
पानी बचाने के लिए नहाने में बाल्टी का उपयोग या टॉयलेट फ्लश में दो‑तीन लिटर्स पानी बचाना आसान ट्रिक है। रसोई में सब्ज़ी धोने के बाद बचा हुआ पानी पौधों को देने से हरियाली बढ़ेगी और पानी की बर्बादी घटेगी।
अगर आपके पास थोड़ा समय है तो हफ्ते में एक बार कंपोस्ट बनाएं—किचन कचरा, फल‑सब्ज़ी के छिलके इकट्ठा करके ढेर बना दें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फेंका गया कचरा लैंडफ़िल से दूर रहता है।
इन छोटे‑छोटे बदलावों को अपनाने में ज्यादा खर्च नहीं आता, बल्कि आपके परिवार का जीवनस्तर भी सुधरता है। जब कई लोग मिलकर यही कदम उठाते हैं तो पूरे शहर या यहाँ तक कि देश की हवा साफ़ हो जाती है।
तो आप तैयार हैं? अभी आज के दिन से एक दो उपाय चुनें और उन्हें अपनी रोजमर्रा की आदत बना लें। शौर्य समाचार पर नियमित रूप से पर्यावरण सन्रक्षण की खबरें पढ़ते रहें, ताकि आपको नए अपडेट्स मिलते रहें और आप हमेशा आगे रह सकें।
वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे हर साल 5 जून को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य पर्यावरणीय मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापन, और जैव विविधता की हानि के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के उपलक्ष्य में इस दिन को पहली बार 1973 में मनाया गया था। हर साल इस दिन का एक विशिष्ट थीम होता है। 2024 का थीम 'भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण, और सूखा लचीला' है।