जब खेलों में पहली जगह गिल्ड जीतती है तो दूसरी जगह रजत पदक आती है. यह वही पदक है जो विश्व स्तर पर एथलीट्स को सम्मानित करती है. भारत में हर ओलम्पिक, एशियन गेम और राष्ट्रीय प्रतियोगिता में रजत पदक का बड़ा महत्व है.
रजत पदक सिर्फ़ एक धातु नहीं, यह मेहनत, ट्रेनिंग और दृढ़ता की निशानी है. खिलाड़ी अपने कोच, परिवार और सरकारी समर्थन के साथ इस मुकाम तक पहुँचते हैं. इसलिए जब भी कोई भारतीय रजत पदक जीतता है तो देश में खुशी की लहर दौड़ जाती है.
2024 एशियन गेम्स में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ने रजत पदक लेकर सबको चौंका दिया. उसी साल, महिला बॉक्सिंग में भी दो रजत पदक जीते गए. ये जीतें न सिर्फ़ व्यक्तिगत सफलता थीं, बल्कि देश के खेल को नई दिशा दी.
IPL 2025 में कई क्रिकेटरों ने रजत पदक नहीं जिता, परन्तु राष्ट्रीय टीम की तैयारी में उनका योगदान अहम रहा. जब भी कोई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंच पर रजत पदक लाता है तो उसके बाद की ट्रेनिंग और सपोर्ट सिस्टम को बढ़ावा मिलता है.
पहला कदम है सही लक्ष्य तय करना. कई बार एथलीट शुरुआती स्तर पर ही बड़े लक्ष्य बना लेते हैं, जिससे निराशा आती है. छोटे-छोटे चरणों में सुधार लाना सबसे असरदार होता है.
दूसरा महत्वपूर्ण बात है नियमित ट्रेनिंग और सही कोच की मदद. भारत में अब कई खेल अकादमीज़ हैं जो एथलीट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयार करती हैं. इन सुविधाओं का उपयोग करके आप रजत पदक के करीब पहुंच सकते हैं.
तीसरा, पोषण और मनोवैज्ञानिक समर्थन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. सही आहार, पर्याप्त नींद और मानसिक संतुलन से प्रदर्शन में सुधार आता है.
आखिर में, प्रतियोगिता का अनुभव बहुत मदद करता है. छोटे‑छोटे टुर्नामेंट्स में भाग लेकर आप दबाव को संभालना सीखते हैं, जो बड़े मंच पर रजत पदक जीतने के लिए जरूरी है.
अगर आप अभी अपने खेल में शुरुआत कर रहे हैं तो इन बातों को याद रखें: लक्ष्य तय करें, निरंतर अभ्यास करें और सही सपोर्ट सिस्टम बनाएं. एक दिन आपका नाम भी रजत पदक विजेताओं की सूची में जुड़ जाएगा.
भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (सीएएस) में अपील की है ताकि उन्हें रजत पदक साझा करने का अधिकार मिल सके। उन्हें पेरिस ओलंपिक के फाइनल में वजन की सीमा पूरी न करने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। सीएएस इस शुक्रवार को उनकी अपील पर सुनवाई करेगा। विनेश ने अपनी सेवानिवृत्ति की भी घोषणा की है।