विनेश फोगाट की रजत पदक की अपील: डब्ल्यूएफआई उपाध्यक्ष ने सकारात्मक परिणाम के प्रति जताई उम्मीद

विनेश फोगाट की रजत पदक की अपील: डब्ल्यूएफआई उपाध्यक्ष ने सकारात्मक परिणाम के प्रति जताई उम्मीद
द्वारा swapna hole पर 14.08.2024

विनेश फोगाट की रजत पदक की अपील पर कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स की सुनवाई

भारतीय पहलवान विनेश फोगाट के लिए यह समय अत्यंत चुनौतीपूर्ण रहा है। पेरिस ओलंपिक में वह महिला 50 किलोग्राम वर्ग में प्रतिस्पर्धा कर रही थीं और उन्होंने अपनी अद्वितीय कुश्ती कौशल से फाइनल में जगह बनायी थी। उन्होंने गत ओलंपिक चैंपियन जापान की युई सुसाकी को हराकर पहले क्वार्टरफाइनल और फिर सेमीफाइनल में विजय प्राप्त की थी।

लेकिन, दुर्भाग्यवश, उन्हें पेरिस ओलंपिक फाइनल से पहले वजन की सीमा पूरी न कर पाने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उनका वजन सीमा से लगभग 100 ग्राम अधिक था, जिस कारण उनके सभी पूर्व जीते गए मुकाबलों को शून्य कर दिया गया।

कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (सीएएस) में अपील

विनेश ने इस अयोग्यता को चुनौती देते हुए कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (सीएएस) में अपील की है। उनकी अपील में यह मांग की गई है कि उन्हें रजत पदक साझा करने का अधिकार मिलना चाहिए। सीएएस ने इस शुक्रवार को उनकी अपील पर सुनवाई निर्धारित की है। सैद्धांतिक रूप से, सीएएस का फैसला रविवार, 16 अगस्त को रात 9:30 बजे भारतीय मानक समयानुसार (आईएसटी) आने की संभावना है।

डब्ल्यूएफआई उपाध्यक्ष की प्रतिक्रिया

भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के उपाध्यक्ष जय प्रकाश ने इस घटना पर गहरा खेद प्रकट किया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सीएएस में सुनवाई के बाद विनेश फोगाट को न्याय मिलेगा। जय प्रकाश ने कहा, "हमने विनेश की मेहनत और उनकी कौशल के साथ पूरी उम्मीद जगाई थी, लेकिन इस विलंबित निर्णय ने हम सभी को बहुत निराश किया है।"

विनेश फोगाट की सेवानिवृत्ति

इस अनिश्चितता के बीच, विनेश ने अपनी सेवानिवृत्ति की भी घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा कि उनके साहस और आत्मविश्वास को गहरा झटका लगा है। उनके इस निर्णय से भारतीय कुश्ती समुदाय में बड़ी निराशा फैल गई है।

विनेश के अनुसार, "मेरा आत्मबल अब टूट चुका है। मैंने अपनी पूरी ऊर्जा इस खेल में लगा दी थी और इस प्रकार की घटना ने मेरे आत्मविश्वास को झकझोर दिया है।"

फिलहाल, पूरे देश के नज़रें सीएएस के फैसले पर टिकी हुई हैं। आशा की जा रही है कि यह फैसला विनेश और भारतीय कुश्ती समुदाय के पक्ष में होगा, जिससे उनके द्वारा की गई मेहनत को सही स्थान मिल सके।

विनेश की कुश्ती यात्रा

विनेश फोगाट का नाम भारतीय कुश्ती जगत में बहुत ऊंचा है। हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक उपलब्धियाँ हासिल की हैं। अपनी बहनों गीता और बबीता फोगाट की तरह, विनेश ने भी अपने पिता महावीर फोगाट के आदर्शों का अनुसरण करते हुए कुश्ती में अपना करियर बनाया।

उनकी कुश्ती यात्रा चुनौतीपूर्ण रही है, लेकिन उनके साहस और दृढ़ संकल्प ने उन्हें कई महत्वपूर्ण पदक दिलाए हैं। विनेश ने कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता है, जो उनकी प्रतिभा और मेहनत को प्रमाणित करता है।

आगामी चुनौतियाँ और उम्मीदें

आगामी चुनौतियाँ और उम्मीदें

सीएएस का फैसला आने के बाद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारतीय कुश्ती संघ और विनेश फोगाट इस निर्णय को किस तरह से संभालते हैं। यदि फैसला उनके पक्ष में आता है, तो यह उनके करियर के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है।

पूरे भारत को विनेश की इस अपील के परिणाम की प्रतीक्षा है। उनके समर्थन में लोगों ने सोशल मीडिया पर कई अभियान चलाए हैं। भारतीय कुश्ती समुदाय और समस्त देशवासियों की आशा है कि विनेश को उनका न्याय मिलेगा और उनकी मेहनत को सही मान्यता मिलेगी।

भारतीय खेल परिषद और सरकार भी इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं और सभी जरूरी संसाधनों को सुनिश्चित कर रही हैं ताकि विनेश को सही न्याय मिल सके।

हम सभी को विश्वास है कि विनेश की मेहनत और समर्पण रंग लाएगा और उन्हें वह सम्मान मिलेगा जो वह सही मायनों में हकदार हैं।

टिप्पणि

Poonguntan Cibi J U
Poonguntan Cibi J U

ये तो बस एक बात है कि इतनी मेहनत करने के बाद 100 ग्राम की वजह से सब कुछ उड़ जाए? ये नियम तो बिल्कुल बेकार हैं। मैंने देखा विनेश ने जो मुकाबला किया, वो देश के नाम से लड़ रही थीं। अब जो भी नियम हैं, वो तो बस कागज़ पर लिखे हुए हैं, इंसानी भावनाओं को नहीं देखते। ये जो बाहर बैठकर फैसले देते हैं, उन्हें तो ये नहीं पता कि एक लड़की ने कितनी रातें बिना सोए तैयारी की, कितनी चोटें झेलीं, कितनी टीके लगवाए। अब ये बात है कि उसका पदक लौटाया जाए या नहीं, लेकिन इस बात का ख्याल रखो कि देश का दिल टूट गया है। अगर ये न्याय नहीं हुआ तो आगे कोई बच्चा कुश्ती क्यों करेगा? ये तो बस एक बात है कि जिसने खेल को बचाया, उसको धोखा दिया जा रहा है।

अगस्त 16, 2024 AT 05:56
Vallabh Reddy
Vallabh Reddy

मुझे लगता है कि इस मामले में न्याय की अवधारणा को अत्यधिक सांस्कृतिक और भावनात्मक आधार पर व्याख्या किया जा रहा है, जबकि खेल के नियम विश्वसनीयता और एकरूपता पर आधारित होने चाहिए। वजन वर्ग की सीमाएँ वैश्विक रूप से समझी जाती हैं और इनका उल्लंघन करना किसी भी एथलीट के लिए अनुमति योग्य नहीं है। यहाँ विनेश फोगाट के प्रति सहानुभूति की भावना समझने के लिए कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यदि हम नियमों को भावनाओं के आधार पर बदलने लगे, तो खेल का संरचनात्मक ढांचा टूट जाएगा।

अगस्त 18, 2024 AT 02:23
Vishal Bambha
Vishal Bambha

ये बात तो बस एक अपराध है! जब हम देश के लिए लड़ते हैं, तो हमें पदक चाहिए, न कि बहसें! विनेश ने जो किया, वो कोई बात नहीं, वो तो देश की गर्व की बात है। जो भी यहाँ बैठकर नियम बना रहे हैं, वो शायद कभी कुश्ती नहीं देखी! अगर ये फैसला उनके खिलाफ आया तो मैं कहूँगा-हमारे खेल का भविष्य खत्म हो गया। हमें अब बस एक ही चीज़ चाहिए-पदक वापस लौटाओ! नहीं तो देश भर में बच्चे कुश्ती छोड़ देंगे! हम यहाँ न्याय नहीं, बल्कि शर्म की बात कर रहे हैं।

अगस्त 19, 2024 AT 08:39
Raghvendra Thakur
Raghvendra Thakur

न्याय चाहिए, न कि नियम।

अगस्त 20, 2024 AT 11:33
Vishal Raj
Vishal Raj

ये बात तो सुनकर दिल टूट गया। विनेश ने जो किया, वो बस एक खिलाड़ी का काम नहीं, बल्कि एक असली लड़ाकू का काम था। मैं तो ये कहूँगा कि अगर एक छोटी सी गलती के लिए इतनी बड़ी मेहनत को रद्द कर दिया जाए, तो फिर हम किस चीज़ के लिए लड़ रहे हैं? देखो, जब तक हम अपने खिलाड़ियों के दिलों को नहीं बचाएंगे, तब तक हमारे खेल का कोई भविष्य नहीं। विनेश के लिए न्याय तो बस एक पदक नहीं, बल्कि एक आदर की बात है।

अगस्त 21, 2024 AT 07:23

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