अगर आप पूछेंगे कि शरद पूर्णिमा क्यों खास है, तो जवाब बहुत आसान है‑ यह पूर्णिमा का सबसे सुंदर महीना है। इस दिन सूरज क्षितिज के ठीक नीचे डुबता है, जिससे शाम को रोशनी में एक अनोखी चमक आती है। यही कारण है कि लोग इसे ‘अंतिम सूर्य’ कहते हैं और कई रीति‑रिवाज़ करते हैं।
हिंदू मान्यताओं में शरद पूर्णिमा को धन, ज्ञान और मोक्ष की देवी मां लक्ष्मी से जोड़ा जाता है। कई परिवार इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके सफ़ेद कपड़े पहनते हैं और माँ के समर्पित पूजा करते हैं। कुछ लोग व्रत रखते हैं, खासकर काली और शरद ऋतु में रहने वाले किसान।
पूरे भारत में इस पौराणिक कथा को अलग‑अलग रूप में मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल में “कोयला पाथ” के साथ लाइटिंग की परम्परा है, जबकि गुजरात में दिये जलाते हुए ‘भोग’ लगते हैं। महाराष्ट्र में लोग घर के बाहर मिठाइयाँ बांटते हैं और बच्चे गुड़‑के‑पानी पीते हैं।
शरद पौराणिमा 2025 में 21 अक्टूबर को आएगी। यह तिथि भारतीय पंचांग के अनुसार तय की गई है, इसलिए सभी कैलेंडरों में समान दिखेगी। अगर आप इस दिन विशेष कार्यक्रम या पूजा का प्लान कर रहे हैं, तो आज ही तैयारी शुरू करें – दिये खरीदें, मिठाई बनाएँ और परिवार के साथ मिलकर कोई नया व्यंजन ट्राय करें।
इस साल शरद पूर्णिमा की खबरों में कई रोचक बातें उभर रही हैं। कुछ राज्य में स्कूल छुट्टी की घोषणा हो गई है, जिससे बच्चे घर पर ही पूजा‑पाठ कर सकते हैं। बड़े शहरों में सार्वजनिक स्थानों पर लाइटिंग इवेंट आयोजित किए जा रहे हैं, जहाँ लोग एक साथ दीप जलाते हैं और संगीत सुनते हैं।
शरद पौराणिमा का माहौल तभी पूरा होता है जब आप अपने आसपास के लोगों को भी इस खुशी में शामिल कर लें। पड़ोसियों को मिठाइयाँ बांटना या छोटे‑बड़े उपहार देना हमेशा अच्छा रहता है। इससे न सिर्फ रिश्ते मजबूत होते हैं, बल्कि सामाजिक बंधन भी गहरे होते हैं।
अगर आप स्वास्थ्य की बात करें तो शरद पूर्णिमा पर हल्का फुल्का भोजन करना बेहतर रहेगा। अधिक तेल या तले‑भुने खाने से बचें और दाल, सब्ज़ी और चावल जैसे साधारण विकल्प चुनें। साथ ही देर रात तक जगरना नहीं चाहिए, ताकि अगली सुबह आप तरोताज़ा महसूस करें।
किसी भी तरह के कार्यक्रम की तैयारी में बजट का ध्यान रखना जरूरी है। बड़े इवेंट के लिए बहुत खर्च करने की जरूरत नहीं; स्थानीय बाजार से सस्ते दिये और फूल खरीद सकते हैं। अगर आप सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करना चाहते हैं, तो रात के समय एक साफ़ जगह चुनें जहाँ रोशनी अच्छी हो।
अंत में यह याद रखें कि शरद पूर्णिमा केवल पूजा‑पाठ नहीं, बल्कि अपने जीवन को संतुलित रखने का अवसर है। इस दिन आप अपना लक्ष्य लिख सकते हैं, पुरानी गलतियों को छोड़ कर नई शुरुआत कर सकते हैं और परिवार के साथ मिलकर खुशियाँ बाँट सकते हैं। यही असली त्यौहार की भावना है।
तो तैयार हो जाइए, अपने घर में दीप जलाइए और शरद पूर्णिमा का आनंद उठाइए। चाहे आप छोटे शहर में हों या बड़े मेट्रोपॉलिस में, इस पूर्णिमा के साथ जुड़ी हर छोटी‑छोटी खुशी को महसूस करें। शुभकामनाएँ!
शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह वर्ष 2024 में 16 अक्टूबर को महाकाल और संदीपनी आश्रम में मनाई जाएगी। खासतौर पर इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा है, जो इस दिन के अध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करती है।