अगर आप तंबाकू से जुड़े बदलावों के बारे में जल्दी‑जल्दी जानना चाहते हैं तो यहाँ सही जगह है। हम हर हफ्ते सरकार की नई नीतियों, कंपनियों की कीमत‑रनिंग और स्वास्थ्य रिपोर्ट्स को सरल भाषा में लाते हैं। पढ़ते रहिए, समझते रहिए – ताकि आप या आपका परिवार सही फैसले ले सके।
2025 के पहले छः महीने में केंद्र सरकार ने तंबाकू पर टैक्स बढ़ाने का फैसला किया। मौजूदा 28 % से नई दर 35 % हो गई, जिससे सिगरेट की कीमत औसत में लगभग ₹15‑20 बढ़ेगी। साथ ही, बिडी पैकेजिंग को कड़ाई से लागू करने के लिए नया नियम आया – हर पैक पर ग्राफ़िक हेल्थ चेतावनी अब 85 % जगह घेर लेगी। ये कदम स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्टों के बाद आए हैं, जहाँ बताया गया कि धूम्रपान‑जनित रोगों में सालाना 1.5 मिलियन से ज्यादा मौतें होती हैं।
राज्य स्तर पर भी कई राज्यों ने सिगरेट पर अतिरिक्त एक्साइस ड्यूटी लगाई है। महाराष्ट्र और कर्नाटक ने अब हर पैकेट पर ₹2 का स्थानीय टैक्स जोड़ दिया, जिससे प्रांत‑व्यापी कीमत में अंतर बढ़ गया। अगर आप इन बदलावों को नज़रअंदाज़ करते हैं तो आपकी खरीदारी महंगी हो सकती है, इसलिए रिटेलर से पूछना बेहतर रहेगा कि वर्तमान कीमत क्या है।
टैक्स बढ़ने के बावजूद तंबाकू बाजार में कुछ नई चीज़ें उभर रही हैं। इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (वाप) का शेयर 2024‑25 में 12 % तक पहुंच गया, क्योंकि युवा वर्ग कम निकोटीन वाले विकल्पों को पसंद कर रहा है। बड़े ब्रांड्स ने अपना उत्पादन हाई‑न्यूट्रल फ्लेवर पर केंद्रित किया – जैसे कि मीठा तुलसी या काली मिर्च वाला सिगरेट, जो धूम्रपान के बोरियत से बचना चाहते हैं।
एक और रोचक बात यह है कि कई छोटे शहरों में लोकल तंबाकू उत्पादकों ने लागत कम करने के लिए नई मशीनें लगाई हैं। इससे पैकेजिंग खर्च घटा, लेकिन वही कारण है कि कुछ जगहों पर गुणवत्ता नियंत्रण की कमी देखी जा रही है। उपभोक्ता को हमेशा पैक पर नज़र रखनी चाहिए – अगर लेबल साफ़ नहीं या ग्राफ़िक चेतावनी अधूरी दिखे तो वो नकली हो सकता है।
स्वास्थ्य प्रभाव के आंकड़े भी बदल रहे हैं। नई राष्ट्रीय सर्वे में पाया गया कि धूम्रपान छोड़ने वाले लोगों की संख्या 2024 में 8 % से बढ़कर 2025 में 11 % हो गई। इसका मुख्य कारण था टेली‑हेल्थ ऐप्स का बढ़ता उपयोग, जहाँ डॉक्टर ऑनलाइन सलाह देते हैं और निकोटीन रिप्लेसमेंट थैरेपी सुझाते हैं। अगर आप या आपका कोई जानने वाला तंबाकू छोड़ना चाहता है तो इन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को आज़माएँ।
सारांश में कहें तो 2025 में तंबाकू उद्योग दो ध्रुवों पर खड़ा है – एक ओर टैक्स और सख्त नियम, दूसरी ओर नई उत्पाद श्रेणियों और डिजिटल समर्थन की बढ़ती मांग। चाहे आप उपभोक्ता हों या व्यापारिक पक्ष से देखते हों, इन बदलावों को समझना अब ज़रूरी है। आगे के अपडेट्स के लिए इस पेज को फ़ॉलो करें, हम आपको हर महत्वपूर्ण खबर तुरंत देंगे।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस (31 मई) पर, बच्चों को तंबाकू उद्योग के हानिकारक प्रभाव से बचाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। भारत में तंबाकू उपयोग एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें लगभग 28.6% वयस्क और 13-15 आयु वर्ग के 14.6% बच्चे तंबाकू का उपयोग करते हैं। विशेषज्ञ प्रारंभिक वार्तालाप, तंबाकू-मुक्त रोल मॉडल बनने, और कड़ी नीति की सिफारिश करते हैं।