आपने कभी सोचा है कि काम या कॉलेज में किसी ने आपका मज़ाक बना कर असहज किया तो वह यौन उत्पीड़न नहीं हो सकता? अक्सर लोग इसे हल्का समझ लेते हैं, लेकिन वास्तविकता बहुत गहरी होती है। इस लेख में हम साफ‑साफ बताएँगे कि उत्पीड़न कैसे दिखता है, आपके अधिकार क्या हैं और तुरंत मदद कहाँ मिल सकती है।
सबसे पहला कदम है यह समझना कि कब बात यौन उत्पीड़न की हो रही है। अगर कोई आपको लगातार ऐसे संदेश भेजता है, निजी जगह में अनचाहे स्पर्श करता है या आपके काम‑काज को बाधित करने के लिए धमकी देता है, तो ये स्पष्ट संकेत हैं। अक्सर लोग कहते हैं “बस मज़ाक था” लेकिन जब वह मज़ाक आपकी भावनाओं को चोट पहुँचाता है, तो वही उत्पीड़न कहलाता है।
ध्यान देने योग्य कुछ सामान्य लक्षण:
इनमें से किसी एक या कई लक्षणों को लगातार देखना आपका हक़ है कि आप इस पर आवाज उठाएँ। याद रखें, यह सिर्फ आपके लिये नहीं, बल्कि दूसरों के लिये भी सुरक्षित माहौल बनाने की जरूरत है।
भारत में यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए कई कानून मौजूद हैं। सबसे प्रमुख है भर्त्सणीयता (वाइलेंस) प्रतिबंध अधिनियम, 2013, जो कार्यस्थल पर सुरक्षा देता है। यदि आपका मामला काम‑काज से जुड़ा है तो कंपनी की एचआर डिपार्टमेंट को रिपोर्ट करें और लिखित में शिकायत दर्ज कराएँ। अगर वह मदद नहीं करता तो आप सीधे स्थानीय पुलिस स्टेशन या साइबर सेल के पास जा सकते हैं।
आपकी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए, कुछ प्रमुख हेल्पलाइन नंबर यहाँ हैं:
इन नंबरों पर कॉल करने से तुरंत सलाह, काउंसलिंग और कानूनी मदद मिलती है। अगर आप छात्र हैं तो अपने कॉलेज की पीडेंट अफेयर्स कमेटी या महिला छात्रावास से संपर्क करें; वे अक्सर फ्री में काउंसिलर उपलब्ध कराते हैं।
कभी‑कभी हमें डर लगता है कि आगे बढ़ने से ज्यादा नुकसान होगा, लेकिन याद रखें—आपकी आवाज़ सुनाई देना ही पहला कदम है। एक बार शिकायत दर्ज करने के बाद प्रक्रिया धीरे‑धीरे चलती है; आपको दस्तावेज़ीकरण, गवाहों की सूची और घटना का विवरण तैयार रखना चाहिए। यह सब आपके केस को मजबूत बनाता है।
साथ में आप खुद भी आत्मरक्षा की बुनियादी ट्रेनिंग ले सकते हैं—जैसे कि तेज आवाज़ में बात करना, सुरक्षित स्थान पर जाना या किसी भरोसेमंद व्यक्ति से साथ रहना। ये छोटे‑छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं।
अंत में यह कहूँगा: यौन उत्पीड़न को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर आप या आपका कोई जानकार इससे जूझ रहा है, तो तुरंत मदद लें, अपने अधिकारों को समझें और सच्चाई की आवाज़ बनें। सुरक्षित रहिए, जागरूक रहिए।
हेम कमेटी की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं द्वारा झेली जा रही दुर्दशा का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और अत्यधिक शोषण की घटनाओं को उजागर किया गया है। कमेटी ने लगभग दो साल तक 51 पेशेवरों के साथ साक्षात्कार करके यह रिपोर्ट तैयार की है।